आपका पैसा- क्या SIP यानी सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान:100 रुपए से शुरू कर सकते हैं निवेश, जानें SIP के फायदे, निवेश के टिप्स

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आज के समय में हम सभी चाहते हैं कि हमारा भविष्य सुरक्षित हो, इसलिए सेविंग्स करना बहुत जरूरी हो गया है। सेविंग्स और इन्वेस्टमेंट के कई तरीके हैं। जैसे सोना खरीदना, शेयर बाजार, फिक्स डिपॉजिट (FD), NPS और SIP, LIC आदि। हालांकि, आज हम SIP यानी सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान के बारे में बात करेंगे। SIP म्यूचुअल फंड में पैसे लगाने का एक आसान तरीका है। इन्वेस्टमेंट का यह तरीका उन लोगों के लिए खास फायदेमंद होता है, जो एक बार में बड़ी करम नहीं नहीं लगा सकते हैं या बाजार के उतार-चढ़ाव से उनको घबराहट होती है। ऐसे लोग SIP के जरिए हर महीने या तीसरे महीने थोड़े-थोड़े पैसे म्यूचुअल फंड में लगा सकते हैं। ऐसे में आज हम आपका पैसा कॉलम में जानेंगे कि- सवाल- SIP क्या होता है? जवाब- SIP यानी सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान, म्यूचुअल फंड में निवेश करने का एक तरीका है। इसमें आप हर महीने एक तय रकम निवेश करते हैं, ठीक वैसे ही जैसे लोन की EMI भरते हैं। आपका इस पैसे से म्यूचुअल फंड की यूनिट्स खरीदी जाती हैं। SIP के जरिए आप धीरे-धीरे लॉन्ग टर्म में बड़ा फंड तैयार कर सकते हैं। म्यूच्यूअल फंड्स के अलावा इस समय कुछ कंपनियां गोल्ड SIP का भी विकल्प देती हैं। सवाल- SIP कैसे काम करता है? जवाब- SIP में आप हर महीने या हर हफ्ते या तिमाही, कुछ मामलों में हर रोज, एक तय रकम म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं। आपके इस पैसे से हर बार NAV (नेट एसेट वैल्यू) के हिसाब से कुछ यूनिट्स आपको मिलती हैं। शेयर बाजार ऊपर-नीचे होता रहता है, इसलिए ये यूनिट्स कभी महंगी तो कभी सस्ती मिलती हैं। सवाल- SIP के क्या फायदे हैं? जवाब- SIP के कई सारे फायदे है। खासतौर पर तब, जब आप लॉन्ग टर्म के लिए इन्वेस्टमेंट करते हैं। आइए इसे ग्राफिक्स के जरिए समझते हैं। छोटी रकम से शुरुआतSIP में आप छोटे निवेश से शुरुआत कर सकते हैं। आप पेटीएम के जरिए 21 रुपए हर रोज निवेश कर सकते हैं। वहीं अन्य म्यूच्यूअल फंड कंपनियों के जरिए 500 रुपए से लेकर 5000 रुपए या इससे अधिक तक का निवेश प्रतिमाह कर सकते हैं। लॉन्ग टर्म में कंपाउंड रिटर्नलंबे समय तक SIP करने से जो आप रिटर्न के रूप में कमाते हैं, उस पर भी रिटर्न मिलने लगता है, जिससे रिटर्न कंपाउंड होकर बहुत ज्यादा हो सकता है। इससे भविष्य की पैसों की चिंता कम हो जाती है। लिक्विडिटी ओपन एंडेड म्यूचुअल फंड SIP में निवेश करने पर जरूरत पड़ने पर पैसे निकाले जा सकते हैं। कई म्यूचुअल फंड्स में चार्ज बहुत कम या बिल्कुल नहीं लगता है। बाजार के उतार-चढ़ाव की चिंता नहींअगर निवेश लंबी अवधि के लिए किया गया है, तो बाजार के उतार-चढ़ाव की चिंता नहीं होती है। शेयर बाजार में लंबे समय तक निवेश करने पर छोटे-मोटे उतार-चढ़ाव का असर कम पड़ता है। अनुशासित निवेशहर महीने एक तय तारीख पर निवेश करते हैं, जिससे हम वित्तीय अनुशासन सीखते हैं। साथ ही किस्त के बाद पूरे महीने इस चिंता से मुक्त रहते हैं। टैक्स बेनिफिटअगर आप SIP के जरिए ELSS फंड्स में निवेश करते हैं, तो आयकर की धारा 80C के तहत टैक्स में छूट का लाभ मिल सकता है। इसमें आप सालाना अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक की टैक्स छूट पा सकते हैं। हालांकि, ELSS फंड्स में निवेश की गई रकम को कम से कम 3 साल तक नहीं निकाला जा सकता है। सवाल- SIP में क्या जोखिम होते हैं? जवाब- आमतौर पर लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट में SIP में नुकसान की संभावना बहुत कम होती है। हालांकि, शॉर्ट टर्म में बाजार में उतार-चढ़ाव के दौरान नुकसान हो सकता है। ऐसे में SIP में निवेश करें तो लॉन्ग टर्म के लिए करें। आइए इसे ग्राफिक के जरिए समझते हैं। मार्केट के उतार-चढ़ाव का रिस्कSIP ज्यादातर इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में किया जाता है। इन फंड्स का रिटर्न शेयर बाजार की चाल पर निर्भर करता है। अगर बाजार गिरता है या मंदी के दौर में चला जाता है, तो SIP के माध्यम से किया गया निवेश भी प्रभावित होता है।उदाहरण: अगर आपने मार्च 2020 में SIP शुरू किया और अगले कुछ महीनों में बाजार गिरे, तो आपकी NAV (नेट एसेट वैल्यू) घट सकती है। इससे यूनिट्स की वैल्यू कम हो जाती है। हालांकि, लॉन्ग टर्म में यह रिकवर हो सकता है। कम समय में कम या नेगेटिव रिटर्नSIP का असली लाभ लंबे समय में मिलता है। अगर आप इसे 1–2 साल में बंद कर देते हैं, तो बाजार की अस्थिरता की वजह से रिटर्न उम्मीद से काफी कम हो सकता है या घाटा भी हो सकता है।उदाहरण: अगर आपने SIP से एक-दो साल में पैसा निकाल लेते हैं और इस दौरान मार्केट गिरा है तो आपको नुकसान हो सकता है। फंड के खराब प्रदर्शन का जोखिम हर म्यूचुअल फंड का ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा नहीं होता है। आपने जिस फंड में निवेश किया है, अगर उसकी फंड मैनेजमेंट टीम कमजोर है या उसका पोर्टफोलियो खराब है, तो वह खराब प्रदर्शन करेगा।उदाहरण: अगर एक फंड पिछले 5 साल में इंडेक्स से कम रिटर्न दे रहा है, और आपने उसमें SIP किया है, तो आपकी ग्रोथ प्रभावित हो सकती है। ओवर डाइवर्सिफिकेशन बहुत सारे SIPs में एक साथ निवेश करने से पोर्टफोलियो में समान तरह के फंड आ सकते हैं। इससे रिटर्न पर असर पड़ता है क्योंकि निवेश का फोकस बंट जाता है।उदाहरण: अगर आपने 5 अलग-अलग लार्ज कैप फंड्स में SIP शुरू कर दिया, तो इनमें बहुत सारी कंपनियां कॉमन होंगी। ऐसे में पोर्टफोलियो देखकर लगेगा कि आपने निवेश डावर्सिफाई किया है, लेकिन असल में इससे डुप्लिकेशन (यानी एक ही कंपनी में बार-बार निवेश) बढ़ जाता है। इन्फ्लेशन रिस्कअगर SIP सिर्फ लो-रिस्क डेट फंड्स में किया जा रहा है, तो उसका रिटर्न महंगाई दर से भी कम हो सकता है।उदाहरण: अगर डेट फंड सालाना 5% रिटर्न दे रहा है और महंगाई 6% है, तो आपकी असली क्रय शक्ति कम हो रही है। निवेश का अनुशासन टूटना SIP की सफलता इसकी नियमितता में है। अगर आप बीच में निवेश बंद कर देते हैं, तो कंपाउंडिंग का लाभ नहीं मिल पाता।उदाहरण: यदि आपने 10 साल के लिए SIP प्लान किया था लेकिन 2 साल में ही फंड की परफॉर्मेंस देखकर घबरा गए और SIP रोक दी, तो लॉन्ग टर्म में अच्छा रिटर्न नहीं मिल पाएगा। गलत टाइमिंग की सोचकई निवेशक SIP को हर समय लाभदायक मान लेते हैं, लेकिन अगर आप बिना किसी वित्तीय लक्ष्य या योजना के SIP शुरू करते हैं, तो लाभ नहीं मिल पाता है।सुझाव: SIP शुरू करने से पहले यह तय करें कि आपका लक्ष्य क्या है (जैसे—रिटायरमेंट, घर खरीदना, बच्चों की शिक्षा) और उसी अनुसार सही फंड चुनें। सवाल- SIP शुरू करने का सबसे अच्छा समय कौन-सा है? जवाब- SIP शुरू करने का सबसे अच्छा समय आज है। यानी आप जितनी जल्दी शुरुआत करेंगे, उतना ज्यादा फायदा मिलेगा। कंपाउंडिंग की ताकत तभी काम करेगी जब निवेश को समय मिलेगा। उदाहरण के लिए अगर आप 25 साल की उम्र में ₹2000 की SIP करते हैं और 12% सालाना रिटर्न मानें, तो 60 की उम्र में आपके पास लगभग एक करोड़ 29 लाख होंगे। लेकिन यही SIP अगर 35 की उम्र में शुरू की जाए तो सिर्फ 38 लाख के करीब बनते हैं। सवाल- क्या SIP में कभी रुकना या निकलना चाहिए? जवाब- SIP एक लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट है। लेकिन कुछ स्थितियों में इसे रोकना या एग्जिट लेना समझदारी हो सकती है। सवाल- SIP में निवेश कितने समय के लिए करना चाहिए? जवाब- कम से कम 5 साल के लिए SIP करें। 10 साल या उससे ज्यादा तक निवेश करने पर रिटर्न बेहतर होते हैं। SIP लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के लिए ही डिजाइन किया गया है। सवाल- SIP में कौन-से म्यूचुअल फंड्स चुनें और कैसे चुनें? जवाब- यह आपकी उम्र, रिस्क प्रोफाइल और निवेश उद्देश्य पर निर्भर करता है। युवा निवेशक (उच्च जोखिम सहने की क्षमता): इक्विटी म्यूचुअल फंड्स ​​​​​मध्यम उम्र निवेशक: बैलेंस्ड या हाइब्रिड फंड्स सीनियर सिटीजन: डेट म्यूचुअल फंड्स या कम जोखिम वाले फंड्स नोट: निवेश करने से पहले फंड का पिछला परफॉर्मेंस, फंड मैनेजर का रिकॉर्ड और एक्सपेंस रेशियो जरूर देखें। सवाल- SIP और FD में क्या अंतर है? जवाब- SIP बाजार पर के उतार-चढ़ाव पर निर्भर करता है, वहीं FD में रिटर्न तय होता है। आइए इसे पॉइंट्स में समझते हैं। सवाल- SIP किसके लिए सही है? जवाब- SIP उन लोगों के लिए अच्छा विकल्प है जिनकी आमदनी हर महीने तय होती है, जैसे कि नौकरीपेशा लोग। ऐसे लोग जो शेयर बाजार की ज्यादा समझ नहीं रखते, लेकिन धीरे-धीरे और लंबे समय तक निवेश करना चाहते हैं, उनके लिए SIP बेहतर ऑप्शन है। इसमें कम पैसों से भी आसानी से निवेश शुरू किया जा सकता है। सवाल- क्या SIP केवल इक्विटी में होता है? जवाब- नहीं, SIP के जरिए निवेश केवल इक्विटी यानी शेयर बाजार में नहीं होता है। इसके जरिए आप डेट फंड, हाइब्रिड फंड, गोल्ड फंड और इंटरनेशनल फंड में भी निवेश कर सकते हैं। …… आपका पैसा से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें…. आपका पैसा- क्रेडिट कार्ड कहीं कंगाल न कर दे: कभी न करें ये 8 गलतियां, इस्तेमाल के 5 फायदे, जानें फाइनेंशियल एक्सपर्ट से रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के मुताबिक, साल 2024 के दिसंबर महीने तक क्रेडिट कार्ड पर कुल बकाया राशि 6,742 करोड़ रुपए थी। यह राशि साल 2023 के मुकाबले 1500 करोड़ अधिक है। पूरी खबर पढ़ें