आज दुनियाभर में ‘वर्ल्ड ब्लड डोनर डे’ मनाया जा रहा है। इस साल की थीम ‘Give Blood, Give Hope’, यानी ‘रक्त दें, उम्मीद दें’ है। यह दिन महान वैज्ञानिक कार्ल लैंडस्टीनर की याद में मनाया जाता है। उन्होंने ABO ब्लड ग्रुप सिस्टम की खोज कर मेडिकल साइंस को नई दिशा दी थी। रक्तदान एक ऐसा मानवीय कार्य है, जो किसी जरूरतमंद को नई जिंदगी दे सकता है। हालांकि आज भी समाज में इससे जुड़ी कई गलतफहमियां मौजूद हैं। कई लोगों को लगता है कि खून देने से शरीर कमजोर हो जाएगा, चक्कर आएंगे या सेहत बिगड़ जाएगी। वहीं कुछ मानते हैं कि सिर्फ जवान, ताकतवर या पूरी तरह फिट लोग ही रक्तदान कर सकते हैं। तो चलिए, आज जरूरत की खबर में बात ब्लड डोनेशन को लेकर प्रचलित मिथक और उनकी सच्चाई के बारे में। साथ ही जानेंगे कि- एक्सपर्ट: डॉ. अभिषेक राज, सीनियर कंसल्टेंट, हेड मेडिकल ऑन्कोलॉजी और हेमेटोलॉजी, सर्वोदय हॉस्पिटल, फरीदाबाद सवाल- रक्तदान को लेकर समाज में सबसे आम मिथक क्या हैं? जवाब- स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, भारत में हर साल करीब 1.46 करोड़ यूनिट ब्लड की जरूरत होती है, लेकिन करीब 10 लाख यूनिट की कमी बनी रहती है। इस कमी का बड़ा कारण सिर्फ जागरूकता की कमी ही नहीं है, बल्कि रक्तदान को लेकर फैली अनेक भ्रांतियां और डर भी हैं। बहुत से लोग गलत धारणाओं के कारण इस जरूरी और जीवनरक्षक कार्य से दूर रहते हैं। नीचे दिए ग्राफिक में रक्तदान से जुड़ी कुछ आम गलतफहमियों और उनके पीछे की सच्चाई के बारे में जानते हैं। सवाल- ब्लड डोनेशन से पहले कौन-कौन से चेकअप किए जाते हैं?जवाब- ब्लड डोनेशन से पहले डॉक्टर या मेडिकल स्टाफ कुछ जरूरी जांच करते हैं। जैसेकि- इन जांचों से ब्लड डोनर और ब्लड रिसीवर दोनों सुरक्षित रहते हैं। ये जांचें आमतौर पर कुछ मिनटों में हो जाती हैं। सवाल- ब्लड डोनेट करने से डोनर को क्या फायदा होता है? जवाब- नियमित रूप से ब्लड देने से शरीर में आयरन का संतुलन बना रहता है। ज्यादा आयरन जमा होने से हार्ट अटैक का खतरा बढ़ सकता है। साथ ही इससे ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल भी कंट्रोल में रहता है, जिससे हार्ट हेल्थ बेहतर होती है। एक और बड़ा फायदा यह है कि ब्लड डोनेशन से पहले बेसिक हेल्थ चेकअप होता है। इसमें वजन, ब्लड प्रेशर, हीमोग्लोबिन और ब्लड में किसी इन्फेक्शन की जांच की जाती है। इससे अपनी सेहत की शुरुआती जानकारी मिलती रहती है, जो आमतौर पर हम रोजमर्रा की जिंदगी में नहीं करवाते हैं। सवाल- कौन-कौन लोग ब्लड डोनेट कर सकते हैं? जवाब- हर कोई ब्लड डोनेट नहीं कर सकता है। इसके लिए कुछ जरूरी शर्तें होती हैं, जो यह तय करती हैं कि आप ब्लड डोनेट के लिए फिट हैं या नहीं। उदाहरण के लिए आपकी उम्र, वजन, सेहत और हाल की मेडिकल हिस्ट्री को ध्यान में रखा जाता है। नीचे दिए गए ग्राफिक में इसे देखिए- सवाल- ब्लड डोनेट करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? जवाब- ब्लड डोनेट एक सरल प्रक्रिया है, लेकिन इसके पहले और बाद में कुछ छोटी-छोटी सावधानियां बरतनी जरूरी हैं। इससे न सिर्फ डोनर सुरक्षित रहता है, बल्कि रक्तदान का अनुभव भी बेहतर बनता है। सवाल- ब्लड डोनेशन के दौरान ब्लड बैंक किन सेफ्टी प्रोटोकॉल्स का पालन करता हैं? जवाब- ब्लड डोनेशन की प्रक्रिया को पूरी तरह सुरक्षित और इन्फेक्शन-फ्री बनाए रखने के लिए ब्लड बैंक कई सख्त सेफ्टी प्रोटोकॉल का पालन करता हैं। इन्हें इन पॉइंट्स से समझिए- डिस्पोजेबल सुई और कलेक्शन किट का इस्तेमाल हर डोनर के लिए एक बार इस्तेमाल होने वाली सुई और ब्लड बैग का प्रयोग किया जाता है, जिसे डोनेशन के तुरंत बाद सुरक्षित तरीके से नष्ट कर दिया जाता है। इससे इन्फेक्शन का कोई खतरा नहीं रहता है। डोनेशन से पहले स्वास्थ्य जांच रक्तदान से पहले डोनर का वजन, तापमान, ब्लड प्रेशर, पल्स और हीमोग्लोबिन की जांच की जाती है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि डोनर फिट है। साफ-सफाई और सैनिटाइजेशन ब्लड डोनेशन से पहले और बाद में इस्तेमाल किए जाने वाले सभी उपकरणों को सैनिटाइज किया जाता है। स्टाफ भी हैंड ग्लव्स पहनता है। प्रशिक्षित मेडिकल स्टाफ ब्लड कलेक्शन का पूरा काम प्रशिक्षित डॉक्टरों और नर्सों की निगरानी में किया जाता है ताकि किसी भी इमरजेंसी को तुरंत संभाला जा सके। ब्लड की स्क्रीनिंग डोनेट किए गए हर यूनिट ब्लड की HIV, हेपेटाइटिस B और C, मलेरिया, सिफलिस जैसी बीमारियों के लिए जांच की जाती है, ताकि रिसीवर को सुरक्षित ब्लड मिल सके। इमरजेंसी सुविधा किसी भी तरह की प्रतिक्रिया जैसे कमजोरी, चक्कर आने की स्थिति में तुरंत मदद के लिए ब्लड बैंक में प्राथमिक चिकित्सा और जरूरी दवाएं उपलब्ध रहती हैं। इन सभी उपायों से यह सुनिश्चित किया जाता है कि रक्तदान करने वाले और जिसे खून दिया जा रहा है, दोनों पूरी तरह सुरक्षित रहें। ………………….. ये खबर भी पढ़िए... सेहतनामा- नाक से बहा खून और ब्लड प्रेशर पहुंचा 230:किन कारणों से अचानक बढ़ सकता है बीपी, किसे ज्यादा खतरा, कम कैसे करें बेंगलुरु की एक टेक मीडिया कंपनी के सीईओ, अमित मिश्रा ने लिंक्डइन पोस्ट में लिखा कि शनिवार को अचानक उनकी नाक से खून बहने लगा। उन्हें लगा कि यह बंद हो जाएगा पर उनका सफेद वाशबेसिन लाल हो गया। रुई का बड़ा टुकड़ा गीला हो गया तो वह घबराकर तुरंत अस्पताल भागे। वहां पता चला कि बीपी 320 है। अमित का शॉकिंग पॉइंट ये था कि उन्हें न तो सिरदर्द था, न चक्कर आ रहे थे,और न ही BP की कोई हिस्ट्री थी। इसके बावजूद अचानक इतना बीपी कैसे बढ़ा। यह मेडिकल इमरजेंसी है और जान जा सकती है। पूरी खबर पढ़िए...