शहरों की चहल-पहल में कबूतरों की मौजूदगी आम बात है। ये शांत और मासूम लगने वाले पक्षी अक्सर हमारी बालकनियों, छतों और छज्जों पर नजर आते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कबूतरों की सूखी बीट (मल) हमारे स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन सकती है। नवंबर 2023 में एक 53 वर्षीय महिला को कबूतरों की सूखी बीट के संपर्क में आने से फेफड़ों की गंभीर बीमारी हाइपरसेंसिटिविटी न्यूमोनाइटिस हो गई। यह बीमारी इतनी गंभीर थी कि उसे लंग ट्रांसप्लांट तक कराना पड़ा। इससे पहले, जनवरी 2019 में स्कॉटलैंड के ग्लासगो में दो मरीजों की मौत हुई थी, जिनमें कबूतरों की बीट से फैले फंगस क्रिप्टोकोकस के कारण इन्फेक्शन पाया गया था। अमेरिका की सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) भी पक्षियों से फैलने वाली इन बीमारियों को गंभीर खतरा मानते हैं। कोविड-19 जैसी महामारी से हमें यह भी सीख मिली है कि पक्षियों से इंसानों में फैलने वाली बीमारियों को नजरअंदाज करना कितना खतरनाक हो सकता है। तो चलिए, आज जरूरत की खबर में बात करेंगे कि कबूतरों की सूखी बीट इतनी खतरनाक क्यों है? साथ ही जानेंगे कि- एक्सपर्ट: डॉ. अंकित बंसल, कंसल्टेंट, इंटरनल मेडिसिन एंड इन्फेक्शियस डिजीज, श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट, दिल्ली सवाल- कबूतरों की बीट इतनी खतरनाक क्यों है? जवाब- कबूतरों का सूखा मल यानी बीट दिखने में तो सामान्य लगती है, लेकिन इसमें कई खतरनाक बैक्टीरिया और फंगस हो सकते हैं। इनमें क्रिप्टोकोकस (Cryptococcus), हिस्टोप्लास्मोसिस (Histoplasmosis) और क्लैमाइडिया सिटासी (Chlamydia psittaci) जैसे जीव शामिल हैं। जब ये सूखी बीट हवा में उड़ती है तो इसके साथ मौजूद छोटे-छोटे फंगल स्पोर्स सांस के जरिए हमारे शरीर में जा सकते हैं। इससे सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। सवाल- कबूतरों की बीट से कौन-कौन सी बीमारियां हो सकती हैं? जवाब- कबूतरों की बीट में कई हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस होते हैं। जब यह सूखकर धूल या पानी की बूंदों के साथ मिलती है और सांस के जरिए शरीर में जाती है तो इससे फेफड़ों में सूजन (Hypersensitivity Pneumonitis), दिमाग की झिल्ली में सूजन (Cryptococcal meningitis) या सिटाकोसिस नामक बीमारी हो सकती है। सिटाकोसिस फ्लू जैसी बीमारी होती है, जिसमें तेज बुखार, सिरदर्द और सांस लेने में परेशानी होती है। इसके अलावा कबूतर की बीट में साल्मोनेला बैक्टीरिया भी हो सकता है, जो दस्त और पेट से जुड़ी समस्याओं का कारण बन सकता है। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए- सवाल- किन लोगों को कबूतर की बीट से बीमार होने का खतरा ज्यादा होता है? जवाब- सबसे ज्यादा खतरा उन लोगों को होता है, जिनकी इम्यूनिटी कमजोर है। इनमें बुजुर्ग, छोटे बच्चे, अस्थमा या फेफड़ों की बीमारी से पीड़ित लोग शामिल हैं। जर्नल ऑफ ऑक्यूपेशनल हेल्थ, 2021 की एक रिसर्च में पाया गया कि जो लोग लंबे समय तक कबूतरों की बीट या पंखों के संपर्क में रहते हैं, जैसे सफाईकर्मी या पक्षियों की देखभाल करने वाले, उन्हें सांस संबंधी बीमारियों का खतरा आम लोगों से 3 से 5 गुना ज्यादा होता है। सवाल- कबूतर बालकनी या खिड़की पर घोंसला न बनाएं, इसके लिए क्या सावधानियां बरतनी चाहिए? जवाब- अगर आप नहीं चाहते कि कबूतर आपकी बालकनी या खिड़की पर घोंसला बनाएं तो इसके लिए कुछ आसान और असरदार उपाय अपनाए जा सकते हैं। सबसे जरूरी है कि उस जगह को साफ-सुथरा और सूखा रखा जाए क्योंकि कबूतर आमतौर पर गंदगी और नमी वाली जगहों को पसंद करते हैं। इसके अलावा कुछ विशेष चीजें इस्तेमाल करके आप उन्हें वहां घोंसला बनाने से रोक सकते हैं। इसे नीचे दिए इस ग्राफिक से समझिए- सवाल- कबूतरों की बीट साफ करते वक्त किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? जवाब- कबूतरों की सूखी बीट में ऐसे सूक्ष्म कण होते हैं, जो सांस के रास्ते हमारे शरीर में जा सकते हैं और फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए बीट की सफाई करते वक्त कुछ सावधानियां जरूर रखनी चाहिए। जैसेकि- सवाल- कबूतरों की बीट से होने वाली बीमारियों का इलाज कैसे किया जाता है? जवाब- कबूतरों की बीट से जो बीमारियां होती हैं, उनका इलाज बीमारी की प्रकार और गंभीरता पर निर्भर करता है। आमतौर पर डॉक्टर सबसे पहले बीमारी की सही पहचान करते हैं। इसके बाद इलाज में एंटीबायोटिक्स या एंटीफंगल दवाइयां दी जाती हैं, जो बैक्टीरिया या फंगस को खत्म करती हैं। अगर फेफड़ों में सूजन या सांस की परेशानी हो तो सांस लेने में मदद के लिए दवाएं दी जाती हैं। कुछ मामलों में मरीज को आराम और पूरी देखभाल की जरूरत होती है। …………………………. ये खबर भी पढ़िए… जरूरत की खबर- गर्मियों में बढ़ता दाद-खुजली का खतरा:फंगल इन्फेक्शन से बचाव के लिए आदतों में करें बदलाव, जानें लक्षण और बचाव के तरीके गर्मी के मौसम में स्किन डिजीज यानी दाद-खुजली की समस्या ज्यादा होती है। इनमें सबसे ज्यादा होने वाली समस्या फंगल इन्फेक्शन है। गर्मियों में उमस, धूल-मिट्टी और पसीने के कारण यह इन्फेक्शन तेजी से फैलता है। इसके कारण ही स्किन पर खुजली, लालिमा और जलन जैसी समस्याएं होती हैं। पूरी खबर पढ़िए...