किताब- माइंड मास्टर (‘माइंड मास्टर: विनिंग लेसन्स फ्रॉम ए चैंपियंस लाइफ’ का हिंदी अनुवाद) लेखक- प्रसिद्ध भारतीय शतरंज खिलाड़ी विश्वनाथन आनंद और पत्रकार सूजन नैनन अनुवाद- रंजना सहाय प्रकाशक- प्रभात प्रकाशन मूल्य- 700 रुपए ‘माइंड मास्टर’ किताब पांच बार के विश्व चैंपियन विश्वनाथन आनंद के शतरंज और जिंदगी के सफर को दिलचस्प तरीके से बताती है। ये किताब आत्मकथा के साथ-साथ आत्मसुधार पर भी केंद्रित है। इस किताब को पढ़ते वक्त शायर राघवेंद्र द्विवेदी का एक शेर रह-रहकर दिमाग में आता है। वो लिखते हैं.. हर क़दम शतरंज जैसी चाल चलती ज़िंदगी, जीत हो या हार हो सब एक ख़ाने पर रखा विश्वनाथन आनंद की ये किताब भी शतरंज को जीवन से कुछ इसी तरीके से जोड़ती है। किताब की सबसे अच्छी बात है…विजुअल स्टोरी टेलिंग किताब में किस्सागोई इतनी गजब है कि आप खुद चेस बोर्ड पर बैठा हुआ महसूस करेंगे। आनंद ने हर हिस्से को लिखने से ज्यादा उसे दिखाने पर फोकस किया है। इसका उदाहरण शुरुआत में ही मिलता है, जब आनंद 2008 में हुए बॉन वाले मुकाबले का जिक्र करते हैं। कैसे मैच से पहले उन्हें बेचैनी हो रही थी, कदम हॉल की तरफ नहीं बढ़ रहे थे। फिर आखिर में उन्होंने अपने पैरों की ओर ही देखना बेहतर समझा। वजह साफ थी, अगर किसी और को देखते तो आंखें मिलतीं और सामने वाला शुभकामनाएं देता, उनकी जीत पर भरोसा जताता। आनंद उस आखिरी वक्त यही नहीं चाहते थे। इन सारी बातों को पन्नों पर दर्ज करने की भी उन्होंने एक बहुत सुंदर वजह बताई है। किताब अपनी मां को समर्पित करते हुए वे लिखते हैं: किताब का मुख्य उद्देश्य- मेहनत से सब मिलेगा वैसे तो किताब के हर पन्ने पर दो बातें जरूर मिलेंगी। पहली- शतरंज के दांव-पेंच और दूसरी खेल से पहले और बाद की मानसिक-शारीरिक स्थिति। जैसे-जैसे पन्ने पलटते हैं, पता चलता है कि कैसे एक टेनिस क्लास में जाने वाला बच्चा शतरंज को ही अपना सबकुछ मान बैठता है। वजह भी खेल नहीं, सुबह उठने का आलस था। फिर पता चलता है कि क्यों आनंद के लिए विश्वचैंपियन का खिताब जीतना और चैंपियन महसूस कर पाने का अंतर काफी लंबा रहा है। किताब के 10 जरूरी सबक इस किताब में यूं तो जिंदगी के सारे सबक शतरंज के इर्द–गिर्द घूमते हैं, लेकिन इसका सबसे बड़ा जादू ये है कि शतरंज के बहाने किताब आपको जिंदगी के सबसे जरूरी और कीमती सबक सिखाती चलती है। शतरंज की गोटियों की तरह असल जिंदगी भी हर क्षण बिछी बिसात है और यहां सफलता–असफलता, सुख–दुख सब इस बात पर निर्भर है कि आप कौन सी चाल कितने धैर्य, विवेक और समझदारी के साथ चलते हैं। किताब पढ़ने के बाद जो बातें याद रह जाएंगी कम जानने में कोई खराबी नहीं है ‘माइंड मास्टर’ में आनंद लिखते हैं कि- ‘मेरे द्वारा खेले गए सबसे खूबसूरत गेम उस समय खेले गए, जब मैं कम जानता था और केवल एक युक्तिपूर्ण योजना या एक स्पष्ट लक्ष्य को हासिल करने पर निशाना साध रहा था। सटीक सूचना होना प्रचुर मात्रा में सूचनाएं होने के कारण पैदा भ्रम से ज्यादा महत्त्वपूर्ण है।’ खान-पान और संस्कृति की दिखती है झलक किताब में जिस जगह का जिक्र होता है, वहां की संस्कृति, खान-पान और यहां तक कि बोली भाषा को भी बखूबी लिखा गया है। जैसे जब विशी आनंद वर्ल्ड चैंपियन बने थे तो उन्हें टूर्नामेंट के आयोजकों ने एक शानदार डिनर करवाया और पार्टी दी। किताब के इस हिस्से में हमें मैक्सिकन फूड, संगीत और वहां के लोगों के हाव-भाव का भी पता चलता है। अपनों का साथ सब आसान बना देता है किताब विश्वनाथन आनंद पर है तो आपको कहीं ये तो नहीं लग रहा कि हर जगह हीरो वही हैं। किताब के हर पन्ने पर नए किरदार अपनी छाप बखूबी छोड़ते हैं। चाहे उनकी पत्नी का आनंद के पूरे मैच शेड्यूल, टीम और यहां तक की शतरंज के ऑफिशियल को मैनेज करना हो। या फिर उनकी मां, जिन्होंने हर मुश्किल से कैसे बाहर निकलना है ये सिखाया हो। अच्छा या बुरा, लिखना बहुत जरूरी है विश्वनाथन आनंद का खेल दूसरों से अलग था क्योंकि उन्हें अपनी मां की एक सीख हमेशा याद रही। मां ने कहा था- हर गेम के बाद उस खेल से क्या सीखा, जीत-हार की वजह क्या रही? इसे जरूर लिखो। आनंद ने इसे अपनी आदत बना लिया, आगे सालों में यही उनके लिए परफेक्ट नोट्स की तरह मददगार साबित होने लगी। खुद को लगातार अपडेट करते रहें जब 2013 में चेन्नई में हुए मुकाबले में कार्लसन ने आनंद को उनके घर में हराया तो ये बहुत हैरान करने वाला था। लेकिन विशी आनंद ने इससे एक सीख ली- जब कभी आपको अपनी कमजोरियां दिखाई दें, इसे तुरंत ठीक करने के लिए तैयार रहिए। ये किताब किसे पढ़नी चाहिए 264 पन्नों की ‘माइंस मास्टर’ किताब उन लोगों के लिए सबसे जरूरी है, जिन्होंने लीक से हटकर कुछ अलग करने की ठानी है। आनंद के लिए शतरंज का सफर कुछ ऐसा ही था, उन दिनों न भारत में इसका इतना क्रेज था, न ही सीखने के मौके। ऐसे हालात में कैसे आनंद ने अपने लिए राह बनाई? घर से बाहर निकलकर नए देश और नई भाषा को अपनाया। न सिर्फ विश्व चैंपियन बने, बल्कि लोगों की नजरों में चैंपियन वाली इज्जत भी कमाई। बाकी अगर आपको शतरंज के दांव-पेंच भी समझ आते हैं तो ये किताब आपको निराश नहीं करेगी। ....................ये रिव्यू भी पढ़िएबुक रिव्यू- दुनिया की हर परीक्षा में सफलता का राज:भटकाव से बचें और सोच बदलें, 'लुक अराउंड' में मिलेंगे जीवन के 7 गोल्डन रूल इस किताब की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह सिर्फ प्रेरित नहीं करती, बल्कि मंजिल तक पहुंचने का रास्ता भी दिखाती है। पूरा रिव्यू पढ़िए...