दलाई लामा का उत्तराधिकारी कौन होगा इस पर दलाई लामा और चीन की सरकार के बीच तकरार देखने को मिल रहा है. एक तरफ चीन का कहना है कि दलाई लामा कौन होंगे उनकी नियुक्ति में चीन की सहमति जरूरी है तो दूसरी तरफ दलाई लामा का कहना है कि वे पंचेन लामा की तरह गलती दोबारा नहीं दोहराएंगे.दलाई लामा तिब्बत के बौद्ध धर्मगुरु 1959 से भारत में रह रहे हैं. वे चीन के तिब्बत पर अधिकार के विरोध में तिब्बती विद्रोह के दौरान भारत आए थे. तब से आज तक वे भारत के धर्मशाला हिमाचल प्रदेश में निर्वासन के जीवन में हैं. लेकिन एक सवाल जो बार-बार लोगों के मन में आता है क्या भारत ने दलाई लामा को भारतीय नागरिकता दी है?. चलिए, आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं. क्या दलाई लामा भारत के नागरिक हैं?इसका सीधा उत्तर है नहीं, दलाई लामा आज भी भारतीय नागरिक नहीं हैं. वे भारत में शरणार्थी के तौर पर रह रहे हैं और भारत सरकार ने उन्हें मानवीय आधार पर राजनयिक सुरक्षा और निवास की अनुमति दी है, लेकिन आधिकारिक तौर पर उन्हें भारतीय नागरिकता नहीं दी गई है.भारत ने कैसे की थी दलाई लामा की मदद?1950 में जब चीन ने तिब्बत पर सैन्य कब्जा कर लिया, तब दलाई लामा जो उस समय महज 15 वर्ष के थे को एक बौद्धिक और धार्मिक नेता के रूप में आगे आना पड़ा. कुछ सालों तक उन्होंने चीन के साथ सहमति और बातचीत की कोशिश की, लेकिन 1959 में जब तिब्बत में बड़ा जनविद्रोह हुआ और स्थिति गंभीर हो गई, तब उन्हें तिब्बत छोड़ना पड़ा.17 मार्च 1959 को वे तिब्बत से गुप्त रूप से भारत की ओर रवाना हुए. कठिन हिमालयी रास्तों से गुजरते हुए वे करीब दो सप्ताह बाद 31 मार्च को भारत की सीमा में पहुंचे. भारत सरकार, विशेष रूप से उस समय के प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें शरण देने का निर्णय लिया. यह निर्णय पूरी तरह मानवीय और नैतिक मूल्यों के आधार पर लिया गया था.दलाई लामा को मिली है पूरी आजादी भारत सरकार ने दलाई लामा और उनके साथ आए तिब्बतियों के लिए धर्मशाला हिमाचल प्रदेश में शरणार्थी शिविर बनवाए. यहीं पर आज तिब्बत सरकार इन एक्ज़ाइल का मुख्यालय भी है. दलाई लामा को यात्रा करने की आज़ादी, धार्मिक आयोजनों की अनुमति, और वैश्विक स्तर पर तिब्बत मुद्दे पर बोलने का पूरा अवसर दिया गया है. भारत के इस कदम से भारत और चीन के रिश्तों में गिरावट आई थी और बाद में 1962 के जंग में इसमें अहम रोल प्ले किया था. इसे भी पढ़ें- प्रधान से ब्लॉक प्रमुख तक, उत्तराखंड पंचायत चुनाव के बीच जानें किसके पास क्या होती है पावर