कहां रखा है वो 'सोने का कलश', जिससे दलाई लामा को चुनने की पैरवी कर रहा चीन, कब से शुरू हुई थी यह परंपरा? 

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तिब्बती धर्मगुरू 'दलाई लामा' के उत्तराधिकारी को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है. 14वें दलाई लामा 6 जुलाई को 90 वर्ष के हो रहे हैं. उन्होंने घोषणा की है कि अपने जन्मदिन पर वह अपने उत्तराधिकारी के बारे में घोषणा करेंगे. चीन ने इस पर आपत्ति जताई है. चीन का कहना है कि 15वें दलाई लामा का चयन 'स्वर्ण कलश' परंपरा से ही होना चाहिए और अगला दलाई लामा चीन की सीमा के अंदर पैदा हुआ होना चाहिए. हालांकि, दलाई लामा ने इस परंपरा को खारिज किया है, उन्होंने यहां तक कहा है कि 15वां दलाई लामा चीन की सीमा से बाहर का होगा.ऐसे में बहुत से लोग जानना चाहते हैं कि चीन की स्वर्ण कलश परंपरा क्या है, जिससे दलाई लामा को चुना जाता है? इस परंपरा की शुरुआत कैसे हुई थी और दलाई लामा के उत्तराधिकारी का चुनाव सोने के कलश से किस तरह किया जाता है? यह भी जानेंगे कि मौजूदा समय में यह सोने का कलश कहां रखा हुआ है? पहले 14वें दलाई लामा के बारे में जानिएसबसे पहले तो यह स्पष्ट कर लें कि दलाई लामा कोई नाम नहीं है. यह एक धार्मिक उपाधि है, जिन्हें तिब्बतियों का सबसे बड़ा धर्मगुरू माना जाता है. वर्तमान दलाई लामा का असली नाम तेनजिन ग्यात्सो है, जिनकी पहचान 2 साल की उम्र में अगले दलाई लामा के तौर पर की गई थी और 4 साल की उम्र में उन्हें ल्हासा लाया गया था. वर्तमान दलाई लामा 1959 से भारत में रह रहे हैं और यहीं से उनकी निर्वासित सरकार भी संचालित होती है. क्या है स्वर्ण कलश परंपरा?तिब्बती आध्यात्मिक नेता या अगले दलाई लामा का चुनाव कैसे होगा? इस विवाद का केंद्र स्वर्ण कलश ही है. चीन का कहना है कि अगले दलाई लामा का चयन इसी स्वर्ण कलश परंपरा के अनुसार होना चाहिए, लेकिन ये परंपरा है क्या? दरअसल, दलाई लामा के चुनाव की कलश विधि की शुरुआत 1792 में किंग राजवंश के दौरान हुई थी. इस राजवंश को तिब्बती क्षेत्र में माचू जातीय समूह के शासन के रूप में भी जाना जाता है. जानकारी के मुताबिक, राजवंश की ओर से 29 सूत्रीय अध्यादेश जारी किया गया था, जिसमें इन नेताओं को चुनने की प्रक्रिया का भी जिक्र किया गया है. इसमें कहा गया है कि जिन बच्चों को दलाई लामा का पुनर्जन्म माना जाता है, उन्हें अधिकृत मंदिरों द्वारा नामित किया जाना चाहिए, जिसके बाद कलश से उनका नाम निकालकर ऐलान किया जाता है. हालांकि, यह नियम विवादित है. कहां रखा है स्वर्ण कलश?माना जाता है कि तिब्बत क्षेत्र में दलाई और पंचेन लामा के चुनाव के लिए एक स्वर्ण कलश को तिब्बती क्षेत्र की राजधानी ल्हासा में रखा गया है. वहीं दूसरे स्वर्ण कलश को मंगोलियाई लामा चुनने के लिए बीजिंग में रखा गया है. यहां यह बता दें कि 14वें दलाई लामा का चुनाव कलश विधि से नहीं किया गया था. यह परंपरा 1792 से शुरू की गई थी, जबकि दलाई लामा की परंपरा 1587 से चली आ रही है. यानी इससे पहले भी दूसरे तरीकों से दलाई लामा का चुनाव किया जाता रहा है.यह भी पढ़ें: क्या भारत ने दलाई लामा को दी है नागरिकता? जानें कैसे की थी तिब्बत के धर्मगुरु की मदद