बस में सवार छात्र पहले ही ईरान में सड़क मार्ग से 2,000 किलोमीटर से अधिक की यात्रा करके आर्मेनिया पहुंचे और फिर कतर के रास्ते उन्होंने दिल्ली के लिए उड़ान भरी थी. इस थका देने वाली यात्रा के बाद उन्हें सड़क मार्ग से श्रीनगर तक एक बार फिर थकाऊ यात्रा करनी पड़ी.