गुड–हैबिट्स- क्या आप दूसरों की बात ध्यान से सुनते हैं:एक अच्छे लिसनर में होतीं हैं 4 खासियतें, 5 स्टेप में सीखें सुनने की कला

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गुड हैबिट्स यानी अच्छी आदतें। हम आपको इस कॉलम में हर हफ्ते एक ऐसी आदत बताते हैं, जो छोटी दिखती है लेकिन असर बड़ा करती है। आज ‘सुनने की आदत’ के बारे में बता रहे हैं। ऐसा सुनना, जिसमें ध्यान हो, समझ हो और जवाब देने की हड़बड़ी न हो। यह कोई कठिन स्किल नहीं है, बल्कि एक साधारण आदत है जो आपके रिश्तों को मजबूत कर सकती है, तनाव कम कर सकती है और आपको बेहतर इंसान बना सकती है। आज इस आदत को समझते हैं और जानते हैं कि इसे अपनी जिंदगी में कैसे शामिल किया जाए। बात करते हुए भी नहीं सुनते हैं लोग रोजमर्रा के जीवन में हम अक्सर दूसरों से बात करते हैं, लेकिन क्या हम सचमुच उनकी बात सुनते हैं? सुनने की आदत का मतलब सिर्फ शब्दों को सुनना नहीं है, बल्कि सामने वाले की बात को पूरे ध्यान से समझना, बीच में टोके बिना और उसमें सहानुभूति भी दिखानी है। यह एक ऐसी आदत है जो हमारे रिश्तों को और कम्युनिकेशन को बेहतर बनाती है। लिसनिंग से मजबूत होता है पार्टनर्स का रिश्ता साल 2018 में स्विट्जरलैंड, जर्मनी और अमेरिका में 365 शादीशुदा जोड़ों पर रिसर्च हुई। इसमें पता चला कि जब एक पार्टनर दूसरे की बात ध्यान से सुनता है तो बोलने वाले का तनाव कम होता है और रिश्ता मजबूत बनता है। एक्टिव लिसनिंग से मानसिक जुड़ाव बढ़ता है, जबकि बिना समझे सिर्फ सुनने से तनाव और दूरी बढ़ सकती है। सुनने के हैं 3 लेवल हर किसी के लिए सुनना अलग-अलग होता है। इसे 3 अलग-अलग लेवल में बांटकर समझ सकते हैं। सिर्फ जवाब देने के लिए सुनना आपने देखा होगा कि कई बार लोग बात पूरी होने से पहले ही जवाब देने को तैयार बैठे होते हैं। यह सुनना नहीं, बल्कि अपनी बात कहने की जल्दी है। सहानुभूति जताने के लिए सुनना इसमें थोड़ा ध्यान होता है, लेकिन फिर भी पूरा फोकस सामने वाले पर नहीं होता है। आमतौर पर लोगों के जवाब इस तरह होते हैं, “हम्म, ठीक है।” पूरी समझ के साथ सुनना यह सबसे गहरा और बेहतर लेवल यही है। इसमें आप सामने वाले की बात को सिर्फ सुनते नहीं हैं, बल्कि उसकी भावनाओं और इरादों को भी समझने की कोशिश करते हैं। सुनने का यही असली तरीका है और यही सबसे असरदार भी होता है। सुनने की आदत क्यों जरूरी है? कल्पना करिए कि आप अपने दोस्त से कोई परेशानी शेयर कर रहे हैं और वो आपको बीच में ही रोककर अपनी सलाह देने लगे, कैसा लगेगा? अब सोचें कि वही दोस्त आपकी पूरी बात सुने, बात को और गहराई से समझने के लिए कुछ सवाल पूछे। इस बार आपको लगेगा कि उसे सचमुच में आपकी परवाह है। यही दोनों में फर्क है। सुनने के सही तरीके से न सिर्फ सामने वाले शख्स को ये महसूस होता है कि उसे सुना गया है, बल्कि वह सम्मानित भी महसूस करता है। इससे रिश्तों में गहराई आती है, गलतफहमियां कम होती हैं और भरोसा बढ़ता है। आप पेरेंट्स के रोल में हों, स्टूडेंट हों या किसी ऑफिस में काम करते हों, ध्यान से सुनना हर जगह काम आता है। एक अच्छा लीडर, टीचर या दोस्त बनने की पहली शर्त यही है। क्या कहती है साइंस? हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की एक स्टडी के मुताबिक, जो लोग दूसरों को ध्यान से सुनते हैं, वे अपने रिश्तों में और करियर में ज्यादा सफल होते हैं। वे कम तनाव में रहते हैं और ज्यादा रचनात्मक सोच रखते हैं। स्टडी में यह भी पता चला कि अच्छे लिसनर्स में कुछ खास खूबियां होती हैं। सुनने की आदत कैसे बनाएं? अच्छा लिसनर बनना कोई मैथ्स की प्रॉब्लम हल करने जैसा काम नहीं है। कुछ आसान स्टेप्स में इसे समझकर आप अपनी आदत बना सकते हैं। इन छोटे स्टेप्स से शुरुआत करें। पहले दिन अपने परिवार के किसी सदस्य को 5 मिनट ध्यान से सुनें। फिर धीरे-धीरे इसे दोस्तों और कुलीग्स तक बढ़ाएं। इस दौरान इस बात का ख्याल रखें कि यह बहुत बनावटी नहीं लगना चाहिए। सुनने से क्या फायदे होते हैं? यह आदत जिंदगी को आसान और खूबसूरत बनाती है। इसे ऐसे समझिए कि ऑफिस में अगर आप अपने बॉस या टीम को ध्यान से सुनते हैं तो आप उनकी जरूरतें समझ पाते हैं और बेहतर सुझाव दे पाते हैं। घर में बच्चे या पार्टनर को सुनने से रिश्ते मजबूत होते हैं। इसके सभी फायदे ग्राफिक में देखिए- सुनना सिर्फ कानों से नहीं होता है प्रसिद्ध अमेरिकन लेखक, मोटिवेशनल स्पीकर और मैनेजमेंट गुरु स्टीफन कोवी कहते हैं कि, “सुनना सिर्फ कानों से नहीं होता, यह एक मानसिक उपस्थिति है। अगर हम ध्यान से सुनें, तो सामने वाले की भावनाएं भी हमें सुनाई देती हैं। यही इमोशनल इंटेलिजेंस की शुरुआत है।” यह सिर्फ शब्दों को सुनने की बात नहीं है। यह समझने की बात है कि वो शब्द क्यों बोले गए। इसमें धैर्य चाहिए, खुला दिमाग चाहिए और थोड़ा सा प्यार भी चाहिए। हर कोई बन सकता है अच्छा लिसनर सबसे अच्छी बात ये है कि इसके लिए किसी डिग्री या खास ट्रेनिंग की जरूरत नहीं है। आप आज से ही शुरू कर सकते हैं। बस अगली बार जब कोई आपसे बात करे तो फोन को साइलेंट करके नीचे रख दें, आई कॉन्टैकक्ट करें और सचमुच उसे समझने की कोशिश करें। धीरे-धीरे यह आपकी आदत बन जाएगी। सुनने की आदत न केवल आपके रिश्तों को बेहतर बनाती है, बल्कि आपको एक समझदार इंसान और स्मार्ट प्रोफेशनल भी बना सकती है। जिंदगी की भागदौड़ के बीच किसी को 5 मिनट ध्यान से सुनने से आपको मानसिक शांति और स्पष्टता मिल सकती है। लिसनिंग और हियरिंग हैं अलग चीजें लिसनिंग और हियरिंग दो बिल्कुल अलग चीजें हैं। लिसनिंग कानों तक पहुंच रहा साउंड या आवाज भर नहीं है। यह वह जानकारी, तथ्य और इमोशन है, जो सुनने वाले के दिमाग में रजिस्टर हो रहा है, उसे मानसिक और भावनात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है। इस तरह लिसनिंग के दौरान दोनों पार्टनर्स के बीच एक कनेक्शन बन रहा है, जो उन्हें मेंटली और इमोशनली ज्यादा करीब ला रहा है। आज से ही शुरू करें सुनने की यह छोटी सी आदत आपके जीवन में बड़े बदलाव ला सकती है। अपने दोस्तों को, परिवार को और कुलीग्स को आज थोड़ा समय दें। उनकी बात ध्यान से सुनें, उनकी भावनाएं समझें और देखें कि कैसे आपके रिश्ते खिल उठते हैं। यह न सिर्फ दूसरों के लिए अच्छा है, बल्कि आपके अपने मन को भी सुकून देता है। .................ये खबर भी पढ़िएगुड हैबिट्स- रोज रात में करें अपना ‘सेल्फ रिव्यू’: क्या अच्छा, क्या बुरा किया, क्या नया सीखा, कौन सी आदत बदलने की जरूरत जिन लोगों को सेल्फ रिव्यू की आदत होती है, वे दूसरों की तुलना में भावनात्मक रूप से ज्यादा मजबूत होते हैं। उनके निर्णय बेहतर होते हैं और वे अपनी आदतों पर नियंत्रण रखने में सक्षम होते हैं। पूरी खबर पढ़िए...