ट्रंप और नेतन्याहू के बीच बातचीत के दौरान इजरायल को राजी करना तो मुश्किल नहीं था. लेकिन ईरान के साथ बातचीत करना एक कठिन काम साबित हुआ क्योंकि अमेरिका द्वारा उसके तीन महत्वपूर्ण परमाणु स्थलों - फोर्डो, नतांज और इस्फ़हान पर बमबारी के बाद तेहरान बदला लेने के लिए बेताब था. यहीं पर वो मौका आया जब कतर ने कदम बढ़ाया.