समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव इटावा कांड के बाद खुलकर कथावाचकों के पक्ष में उतर आए. अखिलेश ने ब्राह्मणों के लिए प्रभुत्ववादी, वर्चस्ववादी विशेषण का इस्तेमाल किया. यह विरोधभरी सियासत कहीं सपा के लिए बैकफायर ना कर जाए.