पेरेंटिंग- क्या हमारे लाड़-दुलार ने बेटे को जिद्दी बना दिया:उसकी शिकायतों से परेशान हैं, 5 साल के बच्चे को कैसे समझाएं

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सवाल- मैं पटना से हूं। मेरा एक 5 साल का बेटा है, जो शादी के कई सालों के इंतजार और ढेरों मन्नतों के बाद पैदा हुआ। इस वजह से वह पूरे घर का दुलारा है। उसके दादा-दादी और हम दोनों भी उसकी हर ख्वाहिश पूरी करते हैं। उसके मुंह से निकलने की देर होती है कि वो चीज सामने हाजिर हो जाती है। लेकिन अब हमें लग रहा है कि शायद हमारे ज्यादा प्यार-दुलार के कारण वो जिद्दी होता जा रहा है। पिछले दिनों उसने अपने प्ले स्कूल में एक बच्चे की कलर पेंसिल ले ली और जब टीचर ने उसे लेकर दूसरे बच्चे को लौटा दिया तो वो क्लास में जोर-जोर से चिल्लाने और रोने लगा। इस तरह की शिकायतें आए दिन आ रही हैं। वो पड़ोसियों के घर में जाकर या दूसरे रिश्तेदारों के बच्चों की चीजें लेने की जिद करता है और जिद पूरी न होने पर हाथ-पैर पटकने लगता है। हमें समझ नहीं आ रहा कि इस जिद्दी व्यवहार को कैसे ठीक करें। हमें मदद की जरूरत है। एक्सपर्ट: डॉ. अमिता श्रृंगी, साइकोलॉजिस्ट, फैमिली एंड चाइल्ड काउंसलर, जयपुर जवाब- मैं समझ सकती हूं कि आप अपने बेटे के व्यवहार को लेकर चिंतित हैं। आपका प्यार-दुलार स्वाभाविक है, खासकर जब बच्चा इतनी मन्नतों के बाद हुआ है। लेकिन जैसा कि आप महसूस कर रहे हैं कि अधिक लाड़-प्यार अनजाने में बच्चे को जिद्दी बना सकता है। ये बात सौ प्रतिशत सच है। इससे बिल्कुल भी इनकार नहीं किया जा सकता है। लेकिन कई बार किसी बात को लेकर बच्चे का पॉइंट भी सही हो सकता है। अक्सर पेरेंट्स चाहते हैं कि उन्होंने जो कह दिया बच्चा वही करे। जैसे आपने बच्चे को कुछ खाने को कहा और वह उसे नहीं खाना चाह रहा है या हो सकता है कि उस समय उसका खाने का मन न हो। बच्चे की भी अपनी एक सॉलिड वजह हो सकती है। लेकिन ऐसी स्थिति में पेरेंट्स ये समझते हैं कि बच्चा जिद कर रहा है, जबकि ऐसा नहीं है। कुछ मामलों में बच्चा इस कारण से भी जिद करने लगता है। इसलिए सबसे पहले तो जिद को आइडेंटिफाई करें कि आप किस चीज को जिद मानते हैं। आपको ये समझना होगा कि जिद का असली मतलब क्या है। अगर बच्चा नीचे ग्राफिक में दी इन 7 हरकतों में से कोई भी हरकत करता है तो इसका मतलब है कि वह जिद कर रहा है। बच्चे की जिद सुधारने से पहले खुद से पूछें ये 14 सवाल बच्चे की जिद आइडेंटिफाई करने के बाद उसे सुधारने की कोशिश करने से पहले खुद से कुछ सवाल पूछना जरूरी है। इन सवालों के जवाब से आप बच्चे की इस आदत के पीछे की वजह समझ पाएंगे। जैसेकि- ये सारे सवाल पूछने का मकसद ये समझना है कि बच्चे का अटैचमेंट स्टाइल क्या है। इन सवालों के जवाब आप एक डायरी में नोट करें और देखें कि इनमें से कौन सी बातें आप पर लागू हो रही हैं। अब तो आप जान ही गए होंगे कि आखिर गलती कहां हुई है तो इसके आधार पर बच्चे की जिद को सुधारने की कोशिश करें। इसके लिए कुछ बातों का ध्यान रखें। बच्चे की परवरिश में संतुलन जरूरी माता-पिता बच्चे के साथ एक समान व्यवहार करें। ऐसा न हो कि मम्मा उसे किसी काम के लिए मना कर रही हैं और पापा ने उसे करने की परमिशन दे दी। साथ ही जब आप कोई नियम बनाते हैं तो उस पर टिके रहें। अगर आप कभी ‘हां’ और कभी ‘ना’ कहेंगे तो बच्चा कन्फ्यूज हो जाएगा और नियमों का पालन करना मुश्किल होगा। इसलिए परिवार के सभी सदस्यों को इन नियमों का पालन करने के लिए प्रोत्साहित करें। जब बच्चा जिद करे या गुस्सा करे तो तुरंत प्रतिक्रिया देने से बचें। कभी-कभी ध्यान न देने से नकारात्मक व्यवहार कम हो सकता है। हालांकि अगर वह खुद को या दूसरों को नुकसान पहुंचा रहा है तो तुरंत उसे राेकें। वहीं जब बच्चा अच्छा व्यवहार करे तो उसकी तारीफ भी करें। इससे उसका मनोबल बढ़ता है। इसके साथ ही जिद्दी बच्चे की परवरिश में कुछ अन्य बातों का भी ख्याल रखना जरूरी है। बच्चे की परवरिश में सामान्य गलतियां बहुत से माता-पिता बच्चे की पेरेंटिंग में जाने-अनजाने में कुछ गलतियां भी करते हैं। यही गलतियां कई बार बच्चे को और जिद्दी बना देती हैं। उदाहरण के लिए, कुछ पेरेंट्स हर बार बच्चे की किसी भी बात को ‘मना’ करते हैं। इसके बजाय उसे विकल्प देने की कोशिश करें। अगर वह दो खिलौनों के लिए जिद कर रहा है तो आप कह सकते हैं कि ‘तुम इनमें से एक चुन सकते हो।’ इससे उसे यह महसूस होगा कि उसकी बात सुनी जा रही है और उसे निर्णय लेने का मौका मिल रहा है। हालांकि ऐसा हर बार नहीं करना चाहिए। इस तरह की कई और सामान्य गलतियां हैं, जिन्हें पेरेंट्स अक्सर करते हैं। बच्चे की हर जिद न करें पूरी इसके अलावा हर बार बच्चे की हर जिद पूरी न करें। कभी-कभी 'ना' कहना भी जरूरी है ताकि वे सीमाएं समझ सकें। साथ ही कोशिश करें कि बच्चे कम से कम 5 से 8 साल की उम्र तक मोबाइल फोन का इस्तेमाल न करें। यह उनके विकास के लिए अच्छा है। उनके साथ इनडोर और आउटडोर गेम्स खेलें। यह उनके शारीरिक और मानसिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है। बच्चों से ऐसे वादे न करें, जिन्हें आप पूरा न कर सकें। इससे उनका आप पर से विश्वास उठ सकता है। अगर तमाम कोशिशों के बावजूद आपको लगता है कि कोई सुधार नहीं हो रहा है तो किसी चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट से सलाह लेने में संकोच न करें। वे आपको सही मार्गदर्शन दे सकते हैं। अंत में यही कहूंगी कि व्यवहार परिवर्तन में समय लगता है। तुरंत रिजल्ट की उम्मीद न करें। धैर्य रखें और लगातार प्रयास करते रहें। अपने बेटे के साथ प्यार और समझदारी से पेश आएं। उसे यह महसूस कराएं कि आप उससे प्यार करते हैं। ....................... पेरेंटिंग की ये खबर भी पढ़िए पेरेंटिंग- बेटा देर रात गर्लफ्रेंड से बातें करता है: पढ़ाई में मन नहीं लगता, 15 साल की उम्र में ये सब ठीक नहीं, उसे कैसे समझाएं देखिए, आप अगर चाहते हैं कि आपका बेटा अपनी गर्लफ्रेंड व दोस्त के बारे में आपको खुलकर बताए और उसके जीवन में क्या कुछ हो रहा है, उसका हिस्सा आप भी हों। इसके लिए सबसे जरूरी है कि बच्चे के अंदर ये डर न हो कि मम्मी-पापा डाटेंगे, जज करेंगे या उन्हें बुरा लगेगा। पूरी खबर पढ़िए...