भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने शुक्रवार को कहा कि संविधान और नागरिकों के अधिकारों को बनाए रखने के लिए न्यायिक सक्रियता जरूरी है। यह बनी रहेगी, लेकिन इसे न्यायिक आतंकवाद में नहीं बदला जा सकता। CJI ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र के तीनों अंगों विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका को उनकी सीमाएं दी गई हैं। तीनों को कानून के अनुसार काम करना होगा। जब संसद कानून या नियम से परे जाती है, तो न्यायपालिका हस्तक्षेप कर सकती है। CJI गवई नागपुर जिला कोर्ट बार एसोसिएशन के कार्यक्रम में बोल रहे थे। इस दौरान CJI भूषण रामकृष्ण गवई ने कुछ किस्से साझा किए, जिसमें उन्होंने अपने माता-पिता के संघर्षों के बारे में बताया। अपने जीवन पर माता-पिता के प्रभाव के बारे में बात करते हुए CJI थोड़े भावुक हो गए। CJI बोले- पिता भी बनना चाहते थे वकील CJI ने कहा, "मैं आर्किटेक्ट बनना चाहता था, लेकिन मेरे पिता ने मेरे लिए अलग सपने देखे थे। वह हमेशा चाहते थे कि मैं वकील बनूं, एक ऐसा सपना जो वह खुद पूरा नहीं कर सके। मेरे पिता ने खुद को अंबेडकर की सेवा में समर्पित कर दिया। वह खुद एक वकील बनना चाहते थे, लेकिन स्वतंत्रता आंदोलन का हिस्सा होने के कारण उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया, इसलिए वह अपनी इच्छा पूरी नहीं कर सके।" जस्टिस गवई ने बताया कि वे संयुक्त परिवार में रहते थे, जिसमें कई बच्चे थे और सारी जिम्मेदारी उनकी मां और चाची पर थी। इसलिए अपने पिता की इच्छा पूरी करने के लिए उन्होंने आर्किटेक्ट बनने के अपने सपने को छोड़ दिया। जानिए क्या न्यायिक सक्रियता और न्यायिक आतंकवाद 2015 में हो गया था CJI गवई के पिता का निधन जब मेरे नाम की सिफारिश हाईकोर्ट में जज के पद के लिए की गई, तो मेरे पिता ने कहा कि अगर तुम वकील बने रहोगे, तो तुम केवल पैसे के पीछे जाओगे, लेकिन अगर तुम जज बन गए तो तुम अंबेडकर द्वारा बताए गए रास्ते पर चलोगे और समाज के लिए अच्छा करोगे। गवई ने कहा, "मेरे पिता ने भी सोचा था कि उनका बेटा एक दिन भारत का मुख्य न्यायाधीश बनेगा, लेकिन वह ऐसा होते देखने के लिए जीवित नहीं रहे, हमने उन्हें 2015 में खो दिया, लेकिन मुझे खुशी है कि मेरी मां वहां हैं।" पिछले 2 दिन में दिए CJI गवई के 2 बयान... -------------------------------------------------------------- CJI बीआर गवई से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें... CJI गवई बोले- जज जमीनी हकीकत नजरअंदाज नहीं कर सकते; न्यायपालिका का लोगों से दूरी बनाए रखना असरदार नहीं बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) के इवेंट में CJI बीआर गवई ने कहा था कि जज जमीनी हकीकत को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं। CJI गवई ने कहा था कि आज की न्यायपालिका मानवीय अनुभवों की जटिलताओं को नजरअंदाज करते हुए कानूनी मामलों को सख्त काले और सफेद शब्दों में देखने का जोखिम नहीं उठा सकती। सीजेआई ने इस बात पर जोर दिया कि न्यायपालिका में लोगों से दूरी रखना असरदार नहीं है। उन्होंने इस धारणा को खारिज कर दिया कि सुप्रीम कोर्ट के जजों को लोगों से जुड़ने से बचना चाहिए। पढ़ें पूरी खबर... जस्टिस गवई का राजनीति में एंट्री से इनकार: बोले- रिटायरमेंट के बाद कोई पद नहीं लूंगा, देश खतरे में हो तो SC अलग नहीं रह सकता सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बी.आर. गवई ने रिटायर होने के बाद पॉलिटिक्स में एंट्री लेने से इनकार किया। उन्होंने कहा- CJI के पद पर रहने के बाद व्यक्ति को कोई जिम्मेदारी नहीं लेनी चाहिए। रविवार को मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने ये बात कही। उन्होंने कहा- 14 मई को बुद्ध पूर्णिमा के शुभ अवसर पर देश के CJI पद की शपथ लेना मेरे लिए बहुत सौभाग्य की बात है। पढ़ें पूरी खबर...