जर्मनी में दो दिन पहले हुए चुनाव में दक्षिणपंथी पार्टी क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन (CDU) सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। पार्टी नेता फ्रेडरिक मर्ज देश के नए मुखिया यानी चांसलर बन सकते हैं। मर्त्ज भले ही उस पार्टी के लीडर हैं, जिसकी नेता एंजेला मर्केल चांसलर रहे चुकी हैं, लेकिन मर्केल की तुलना में मर्त्ज कहीं ज्यादा आक्रामक हैं। वे अमेरिका के बड़े समर्थक माने जाते हैं। हालांकि, यूरोप और यूक्रेन को लेकर ट्रम्प के दिए बयानों की वजह से वे अमेरिका से दूरी बनाने की बात कह चुके हैं। लेकिन उनमें और ट्रम्प में एक बड़ी समानता भी है। वे भी 'नेशन फर्स्ट' की सोच रखते हैं। अवैध अप्रवासियों को लेकर उनका रवैया ट्रम्प की तरह कट्टर है। मर्त्ज जर्मनी में गांजे पर दोबारा प्रतिबंध भी लगाना चाहते हैं। इस प्रतिबंध को 2023 में तब की सरकार ने हटा दिया था। फ्रेडरिक मर्त्ज कौन हैं, अगर चांसलर बनते हैं तो जर्मनी में क्या बदलाव लाएंगे, अमेरिका से दूरी क्यों बनाएंगे … जानेंगे इस स्टोरी में… 1. अमेरिका से जर्मनी को पूरी तरह आजाद करना चाहते हैं मर्त्ज जर्मनी चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद ट्रम्प ने सोशल मीडियो पोस्ट में कहा, ‘जर्मनी में कंजर्वेटिव पार्टी जीत गई है। अमेरिका की ही तरह जर्मनी के लोग भी बिना सोच-समझ वाले एजेंडे से परेशान हो गए थे। खासतौर पर एनर्जी और अप्रवासियों के मुद्दे पर। आज जर्मनी के लिए बड़ा दिन है।’ ट्रम्प जहां मर्त्ज के जीतने पर खुशी जता रहे हैं, वहीं मर्त्ज कह चुके हैं कि जर्मनी को अपनी सुरक्षा व्यवस्था बेहतर करने की जरूरत है। साथ ही वॉशिंगटन पर अपनी लंबे समय से चली आ रही निर्भरता भी खत्म करनी होगी। मर्त्ज यूरोप के भविष्य को लेकर ट्रम्प के बेफिक्री वाले रवैये से नाखुश हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मर्त्ज ने कहा, मुझे नहीं लगा था कि मुझे ऐसा कुछ कहना पड़ेगा... लेकिन ट्रम्प के बयानों से साफ है कि यह अमेरिकी सरकार, यूरोप के भविष्य को लेकर उदासीन है। मैं यूरोपीय संघ के कई प्रधानमंत्रियों और सरकार प्रमुखों से बात कर रहा हूं। इस वक्त हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए कि हम यूरोप को मजबूत करें, ताकि हम अमेरिका से आजादी पा सकें। 2. प्रवासियों को लेकर ट्रम्प की तरह कट्टर रवैया अमेरिका और कई यूरोपीय देशों की तरह जर्मनी में भी बड़ी संख्या में अवैध अप्रवासी पहुंच रहे हैं। इस समस्या से जूझने के लिए मर्त्ज ने अप्रवासी कानून को सख्त बनाने की बात कही है। जर्मनी में हाल ही अप्रवासियों और शरणार्थियों ने कई हमलों को अंजाम दिया है। ये भी बड़ी वजह है कि मर्त्ज अप्रवासियों को डिपोर्ट करने के सख्त नियम और लोगों के अनियंत्रित अप्रवास को रोकने के लिए कदम उठाना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने पांच पॉइंट का प्लान तैयार किया है। 3. जर्मनी में गांजा बैन करेंगे 1 अप्रैल 2023 में जर्मनी ने गांजे के इस्तेमाल को कानूनी मंजूरी दी थी। इसके साथ ही जर्मनी ऐसा करने वाला यूरोप का सबसे बड़ा देश बन गया। इस मौके पर देश की राजधानी बर्लिन के मशहूर ब्रांडेनबुर्ग गेट पर करीब 1,500 लोग जुटे और हुक्के और चिलम के साथ जश्न मनाते दिखाई दिए। नए कानून के तहत 18 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को 25 ग्राम सूखा गांजा रखने की इजाजत मिली। इसके साथ ही घर पर भांग के तीन पौधे उगाने की भी मंजूदी दी गई। तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री कार्ल लाउटरबाख ने X पर लिखा- 'गांजे के सेवन को ‘प्रतिबंधों के दायरे’ से बाहर निकाल दिया गया है। नया कानून लोगों को इसकी लत पड़ने से बचाएगा। बच्चों व युवाओं का बचाव करेगा और काले बाजार से भी लड़ेगा।' मर्त्ज ने जब पिछले साल चुनाव का कैंपेन शुरू किया तो उन्होंने कहा कि वे गांजा पर दोबारा प्रतिबंध लगाएंगे। उन्होंने कहा कि गांजा को वैध करने से ड्रग्स से जुड़े अपराधों में बढ़ोतरी हो रही है। देश में गैंग-वॉर इतने बढ़ गए हैं, जिनकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते। 4. NATO जैसी सुरक्षा व्यवस्था यूरोप में बनाएंगे चुनाव से दो दिन पहले मर्त्ज ने चेतावनी दी थी कि यूरोप को अमेरिका के बिना अपनी सुरक्षा करने के लिए तैयार रहना होगा। उन्होंने कहा था, ‘हमें इस संभावना के लिए तैयारी रखनी चाहिए कि डोनाल्ड ट्रम्प बिना किसी शर्त के NATO के तहत सुरक्षा के वादे को निभाएंगे।’ उन्होंने इस बात का संकेत भी दिया था कि जर्मनी को अपने यूरोपीय साथी देशों से न्यूक्लियर सुरक्षा की मांग करनी पड़ सकती है। उन्होंने कहा- ‘यूरोप के दो न्यूक्लियर पावर- ब्रिटेन और फ्रांस के साथ हमें बातचीत करनी होगी कि क्या वे अपनी न्यूक्लियर सुरक्षा हमारे साथ शेयर करेंगे।’ जून में होने वाली NATO समिट को लेकर मर्त्ज ने कहा कि वे ये देखना चाहते हैं कि क्या NATO ऐसा ही रहेगा या तब तक हमने यूरोप में अपनी स्वतंत्र सुरक्षा व्यवस्था तैयार कर ली होगी। 5. यूरोप को एकजुट करना मकसद, यूक्रेन के लिए समर्थन चुनाव के नतीजे आने के बाद मर्त्ज ने सोमवार को कहा कि अमेरिका और रूस की तरफ से आ रहीं चुनौतियों के सामने यूरोप को एकजुट करना उनकी प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि वे उम्मीद करते हैं कि अमेरिका ये समझेगा कि यूरोप के साथ बने रहने में अमेरिका का भी भला है। मर्त्ज ने रूस-यूक्रेन जंग को खत्म करने की अमेरिका-रूस की बातचीत पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि अगर अमेरिका यूरोप से बात किए बिना, यूक्रेन से बात किए बिना रूस के साथ कोई समझौता करता है तो ये मंजूर नहीं होगा। फ्रेडरिक मर्त्ज का करियर प्रोफाइल... कॉर्पोरेट वकील के तौर पर शुरू किया करियर उन्होंने कानून की पढ़ाई की है। इसके बाद अपने करियर की शुरुआत कॉर्पोरेट वकील के तौर पर की। मर्त्ज ने 1972 में क्रिश्चियन डेमोक्रेट्स यूनियन (CDU) पार्टी जॉइन की। वे सॉरलैंड से पहली बार 1994 में जर्मन संसद के लिए चुने गए थे। अपनी आर्थिक समझ की वजह से राजनीति में तेजी से आगे बढ़े। 2000 के दशक की शुरुआत में मर्त्ज CDU के संसदीय नेता के तौर पर चुने गए। इसी साल एंजेला मर्केल CDU पार्टी की नेता चुनी गई। पूर्व चांसलर मर्केल ने सरकार से निकाला 2002 में मर्केल ने संसदीय पद के लिए दावा ठोका। 2005 में जब CDU ने SPD के साथ मिलकर सरकार बनाई, तो मर्त्ज को सरकार में शामिल नहीं किया गया था। एंजेला मर्केल से बेहतर रिश्ते न होने के चलते मर्त्ज को पार्टी में हाशिए पर डाल दिया गया। 2009 में मर्त्ज ने राजनीति से संन्यास ले लिया। वे लगभग एक दशक तक प्राइवेट सेक्टर से जुड़े रहे। उन्होंने ब्लैकरॉक जैसी बड़ी कंपनी के साथ काम किया। एक दशक बाद राजनीति में लौटे मर्त्ज ने 2018 में राजनीति में वापसी की। तब तक चांसलर एंजेला मर्केल ने भी पद छोड़ने का फैसला कर लिया था। इसके बाद मर्त्ज ने 2018 और 2021 में पार्टी लीडर का चुनाव लड़ा, हालांकि तब वे हार गए। साल 2022 में वे CDU के अध्यक्ष बनने में कामयाब रहे। इसके बाद उन्होंने 2025 में CDU पार्टी से चांसलर का चुनाव लड़ा। मर्त्ज के चांसलर बनने की कितनी संभावना मर्त्ज की पार्टी ने जर्मनी में चुनाव तो जीत लिया है, हालांकि पार्टी को 630 में से सिर्फ 208 सीटें मिली हैं, जबकि सरकार बनाने के लिए 316 सीटों की जरूरत होती है। ऐसे में पार्टी को गठबंधन की सरकार बनानी होगी। अगर पार्टी गठबंधन से सरकार बनाती है, तो मर्ज चांसलर बनेंगे। ----------------------------- जर्मनी चुनाव से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें... जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज आम चुनाव हार गए हैं। उनकी सोशल डेमोक्रेट्स पार्टी (SDP) 630 सीटों में से सिर्फ 121 सीटें ही जीत पाई है। उसे सिर्फ 16.5% वोट ही मिले हैं। कंजर्वेटिव विपक्षी नेता फ्रेडरिक मर्ज की क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन (CDU) पार्टी के गठबंधन ने 208 सीटों पर जीत दर्ज की है। उसे 28.5% वोट हासिल हुए हैं। पूरी खबर यहां पढ़ें...