इसमें कोई शोर नहीं था। यह खामोशी से भरी भाषा थी। कप्तान रोहित, चेहरे पर बड़ी-सी मुस्कान के साथ अपने दोनों हाथ ऊपर उठाते हुए कह रहे हैं, मारना उठाके। यहां तक कि मैदान पर मौजूद उनका जोड़ीदार भी सिर्फ उनके लिए खुद अपने रन से समझौता कर रहा था। विराट के पास ऐसी गेंद आई, जिस पर आसानी से दो रन लेकर भारत को जीत दिला सकते थे, लेकिन दुबई के इस खूबसूरत स्टेडियम में विराट के शतक के लिए प्रार्थना कर रहे हजारों दर्शकों के साथ-साथ दुनियाभर के दर्शक भी शतक के लिए प्रार्थना कर रहे थे। कोई नहीं चाहता था कि वो दो रन बनाकर इस अवसर को गंवाएँं। लाखों-करोड़ों प्रशंसक चाहते थे कि वह चौका लगाएं। उस समय शांत बने रहना किसी के लिए भी मुश्किल होता है। बाहर शोर बहुत ज्यादा था और उनके अंदर भी, क्योंकि उनके अंदर का क्रिकेटर इतना करीब आकर अपने शतक से चूकना नहीं चाहता था। लेकिन उस शोर पर वह खुद हावी हो गए, अपने अंदर की शांति को बरकरार रखा। वह खुशदिल शाह की गेंद खेलने के लिए तैयार थे। वह क्रीज से बाहर निकले, मक्खन सरीखा ड्राइव से चौका लगाया और अपना 51वां शतक हासिल किया। यह रिकॉर्ड महान सचिन तेंदुलकर के 49 शतकों के रिकॉर्ड से दो ज्यादा है। उन्होंने अपना हेलमेट उतारा, दर्शकों का अभिवादन किया और अपने कप्तान को साइन लैंग्वेज में बोला, ‘मैं हूं ना’। और बाहर के शोर को अंदर न आने देकर, अंदर से शांत बने रहने की यही ताकत है। मैच के बाद बाद टीवी इंटरव्यू देते हुए उन्होंने इस बात की पुष्टि की और कहा, ‘मुझे अपने खेल की ठीक-ठाक समझ है, यह बाहर के शोर को दूर रखने, अपनी सीमाओं में रहने और अपनी ऊर्जा के स्तर और विचारों का ख्याल रखने के बारे में है। मेरा काम है कि वर्तमान में रहूं और टीम के लिए काम करूं। मेरा खुद से कहना है कि मैं मैदान पर हर गेंद पर अपना सौ फीसदी दूं और फिर भगवान अंततः आपको इसका पुरस्कार देता है। स्पष्टता होना जरूरी है, यह समझना महत्वपूर्ण है कि जब गेंद में गति हो तो आपको रन बनाने की जरूरत होती है, नहीं तो स्पिनर चीजों को कंट्रोल कर सकते हैं।’ यह उनके अंदर की खामोशी थी, जिसने उनके आलोचकों को खामोश करने में मदद की और साबित कर दिया कि उनमें अभी भी देश के लिए उस मैच में जीत दिलाने की ताकत है, जिसे हमेशा महत्वपूर्ण माना जाता है। वह यहीं नहीं रुके। वह कैमरे के सामने कभी भी इस बात का महिमामंडन नहीं करना चाहते कि उन्होंने 100 रन का स्कोर कैसे हासिल किया। लेकिन उन्होंने अपने इंटरव्यू में कहा, ‘ऐसे खेल में योगदान देना अच्छा लगता है, जहां रोहित का विकेट जल्दी गिर गया था। शाहीन के खिलाफ शुभमन ने अच्छा प्रदर्शन किया। यही कारण है कि वह दुनिया का नंबर एक बल्लेबाज है।’ उन्होंने स्कोर बनाने में साथ देने के लिए श्रेयस की भी प्रशंसा की। विजेता बिल्कुल यही करते हैं। चीयर करने और तालियों की आवाज के बीच वे चुपचाप चले जाते हैं। सफल लोगों में खुद में एक फिल्टर लगाने की आदत होती है ताकि वे दोनों तरह के लोगों- जो प्रशंसा करते हैं और जो आलोचना करते हैं - को खुद से दूर रख सकंे और यह साबित कर सकें कि वे कितने अच्छे हैं। सोमवार की सुबह 6.55 पर, जब मैं अपना कॉलम लिखने वाला था, तब अजमेर के किशनगढ़ से दैनिक भास्कर के एक पाठक और अध्यापक बिरदी चन्द मालाकार ने मुझे लिखा, “हमारे क्षेत्र के ज्यादातर स्टूडेंट्स आईफोन के स्टैंडर्ड के नहीं हैंं (उनका मतलब वित्तीय स्तर से था) और लोअर स्टैंडर्ड (निम्न आर्थिक स्तर) के छात्रों को प्रोत्साहित करने के लिए मुझसे लिखने का अनुरोध किया, जो अभी परीक्षा दे रहे हैं। और तब मैंने विराट के फिल्टर के बारे में लिखने का फैसला किया, जिसने उन्हें रविवार की रात को यह सफलता हासिल करने में मदद की। फंडा यह है कि शोर से भरी इस दुनिया में, जहां कुछ लोग आपकी खूब प्रशंसा करेंगे और कुछ लोग आपकी खूब आलोचना करेंगे, ऐसे में अपने अंदर एक फिल्टर बनाएं, ताकि आप किसी के भी बहकावे में न आ जाएं।