एमके स्टालिन ने पार्टी कार्यकर्ताओं को लिखे पत्र में कहा कि हिंदी तो मुखौटा है, असली चेहरा संस्कृत है। इसके साथ ही उन्होंने तमिलनाडु और तमिल संस्कृति की रक्षा करने की कसम खाई।