मेंटल हेल्थ– घरवाले शादी के पीछे पड़े हैं:पापा ने ताउम्र मां को सताया, भाई भी सख्त, शादी के ख्याल से ही डरती हूं, क्या करूं

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सवाल– मेरी उम्र 29 साल है। मैं कानपुर में अपने पेरेंट्स के साथ रहती हूं और एक कॉलेज में पढ़ाती हूं। मेरे घरवाले मेरे लिए अपनी जाति में एक लड़का ढूंढ रहे हैं। हर हफ्ते घर में कोई-न-कोई मुझे देखने आता है और घरवाले उसके सामने मेरी परेड लगवाते हैं। मैं ये बात उनसे खुलकर बोल नहीं पा रही, लेकिन मुझे शादी से बहुत डर लगता है। मैंने जब से होश संभाला है, मम्मी-पापा को आपस में लड़ते हुए ही देखा है। पापा पूरी तरह मम्मी को डॉमिनेट करते हैं। वो अपनी मर्जी से अपने मायके भी नहीं जा सकतीं। जब मेरे बड़े भाई की शादी हुई तो इस घर में आने के बाद भाभी का भी वही हाल हो गया। भाई ने भाभी की नौकरी छुड़वाकर उन्हें घर बिठा दिया। वो एकाध बार भाभी पर हाथ भी उठा चुका है और घर में किसी ने इस बात के लिए उसे डांटा नहीं। पापा भी कई बार मम्मी पर हाथ उठा चुके हैं। मेरा डर ये है कि कहीं शादी के बाद मेरे साथ भी यही सब न हो। जिस तरह के लड़के अब तक देखने आए हैं, वो सब बिल्कुल स्पाइनलेस और कंजरवेटिव ही लग रहे थे। अजीब-अजीब सवाल पूछते हैं, “शादी के बाद जॉब करोगी क्या,” “तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड था क्या,” “हमारे घर में लड़कियां शाम ढलने के बाद अकेले घर से बाहर नहीं निकलतीं।” और तो और, खुद मुंह खोलकर दहेज की भी बात करते हैं। डर और चिंता में मुझे रातों को नींद नहीं आती। कई बार लगता है कि कहीं दूर भाग जाऊं। मुझे ये सोचकर दुख होता है कि मैं इतने संकीर्ण और रूढ़िवादी घर में क्यों पैदा हुई। मैं वो फिल्मों वाली लड़कियों की तरह अकेले और आजाद क्यों नहीं घूम सकती। मैं शादी नहीं करना चाहती, लेकिन ये बात घरवालों को कैसे समझाऊं। मैं क्या करूं। एक्सपर्ट– डॉ. द्रोण शर्मा, कंसल्टेंट साइकेट्रिस्ट, आयरलैंड, यूके। यूके, आयरिश और जिब्राल्टर मेडिकल काउंसिल के मेंबर। आपका डर एकदम जायज है सबसे पहले तो मैं आपको एक बात का यकीन दिलाना चाहता हूं। आपका डर एकदम जायज है। आपने बचपन से जो देखा है: अपनी मां का दबा हुआ जीवन, पिता का वर्चस्व, भाई की हिंसा और परिवार के पुरुषों की पितृसत्तात्मक सोच, ये सारी बातें आपके मन में यह छवि बना चुके हैं कि शादी एक जेल है, जिसमें औरत की आजादी छिन जाती है। यह डर किसी कल्पना या डरपोक स्वभाव का नतीजा नहीं है। यह तजुर्बे और देखने-समझने की पैनी नजर से उपजा है। घरवालों का दबाव और 'परेड' की भावना हर हफ्ते लड़के वालों के सामने खड़े होने को आपने "परेड" कहा- ये शब्द अपने आप में गहरी अस्वीकृति और अपमान की भावना दर्शाता है। आपका ये अनुभव आपके आत्म-सम्मान को चोट पहुंचा रहा है, और ये कोई छोटी बात नहीं। अपना जीवन बदलने की ताकत लेकिन इसी के साथ सच ये भी है कि आप में अपने जीवन को बदलने की ताकत है। जो आपकी मां और भाभी के साथ हुआ, जरूरी नहीं कि वो आपके साथ भी हो। आप जॉब करती हैं, आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हैं। ये डर अपने मन से निकाल दें कि आपकी कहानी भी उनके जैसी ही होगी। सेल्फ एसेसमेंट टेस्ट समस्या के समाधान से पहले उसकी गंभीरता को समझना जरूरी है। क्या आपकी समस्या बातचीत से सुलझ सकती है या उसके लिए कोई और रास्ता चुनने की जरूरत है। ये जानने के लिए आपको एक सेल्फ एसेसमेंट टेस्ट करना है। नीचे ग्राफिक में दिए सवालों को अपने जवाब के हिसाब से नंबर दें। जवाब 1 से लेकर 5 तक हो सकता है। सवाल और स्कोर चार्ट, दोनों नीचे ग्राफिक में हैं। घरवालों को कैसे समझाएं अगर आपका स्कोर 26 से कम है तो संवाद की गुंजाइश बाकी है। ऐसे में चलिए, अब आपके सवाल के सबसे कठिन हिस्से की बात करते हैं कि आप घरवालों को कैसे समझाएं। इसे मैंने यहां संक्षेप में बिंदुवार समझाने की कोशिश की है। 1. अपने डर और अनुभवों को शब्दों में ढालिए। 2. बातचीत की शुरुआत धीरे-धीरे करिए। 3. कोई विश्वसनीय व्यक्ति बीच में हो तो अच्छा है। कुछ प्रैक्टिकल सुझाव अगर परिवार में मतभेद हो तो कभी सीधे रिश्तों को तोड़ने या अपनी राह अलग करने का रास्ता सही नहीं होता। हमें सबसे पहले बातचीत के जरिए समस्या का हल निकालने की कोशिश करनी चाहिए। लेकिन इसी के साथ अपनी आत्मनिर्भरता और आर्थिक स्वतंत्रता को भी गंभीरता से लेना चाहिए। आपके लिए और उन तमाम लड़कियों के लिए, जो इन स्थितियों से गुजर रही हैं, मेरे ये तीन जरूरी सुझाव हैं। अपनी मदद खुद कैसे करें आप एक एडल्ट हैं और जैसेकि हर एडल्ट व्यक्ति अपनी जिंदगी के लिए खुद जिम्मेदार होता है, वैसे ही आप भी अपने जीवन की जिम्मेदारी खुद लेना चाहती हैं। ये बहुत सुंदर और गंभीर बात है। अगर आपके आसपास का माहौल इस फैसले में आपके साथ न हो तो भी आपको अपनी तरफ से कोशिश नहीं छोड़नी चाहिए। नीचे पॉइंटर्स में कुछ सुझाव हैं। इस दिशा में निरंतर कोशिश करती रहें। 1. खुद को समझें, दिमाग में क्लैरिटी रखें कि आप क्या चाहती हैं 2. पढ़ें, जानकारी हासिल करें, जागरूक बनें 3. एक भरोसेमंद वयस्क से बात करें कोई महिला रिश्तेदार, शिक्षक, या परिवार का मित्र, जो समझदार हो। 4. माता-पिता से संवाद की रणनीति A. बात की तैयारी करें: B. संवाद कैसे करें, कुछ उदाहरण: C. समझौते की बात करें: प्यार, सम्मान और भरोसे वाली बातचीत कई बार कंजरवेटिव होने के बावजूद माता–पिता में खुद को बदलने की संभावना होती है क्योंकि वे अपने बच्चों से प्यार करते हैं। जब हम दुख, नाराजगी और अनादर के साथ अपनी असहमति जताते हैं तो उसका नतीजा उल्टा भी हो जाता है। ऐसे में सिर्फ एक उदाहरण के तौर पर मैं यहां एक चिट्‌टी का मजमून लिख रहा हूं। इसमें आप अपने मन से और बातें जोड़ सकती हैं, इसकी भाषा बदल सकती हैं। लेकिन बात ये है कि जो बातें आप उनके आमने–सामने नहीं कह पा रहीं, उन्हें लिखकर व्यक्त करें। सिर्फ एक बात का ध्यान रखना है– कि चिट्‌टी में प्यार और सम्मान का भाव बना रहे। सेल्फ हीलिंग सबसे जरूरी आप अपने घर में जो कुछ देखते हुए बड़ी हुईं, उसके कारण शादी को लेकर डर महसूस करना स्वाभाविक है। पुराने घावों को भरने के लिए प्यार, सहारा, मदद और वैलिडेशन जरूरी है। अगर ये चीजें न मिलें, तो बचपन के अनुभव हमारे एडल्ट जीवन के हर छोटे–बड़े फैसले को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए परिवार के साथ इन सवालों पर नेगोशिएट करने के साथ–साथ आप सेल्फ हीलिंग पर भी फोकस करें। और जीवन में जब भी आप मानसिक और भावनात्मक रूप से शादी के लिए तैयार हों तो किसी भी नए रिश्ते की शुरुआत से पहले खुद से ये सवाल पूछें– मैं उम्मीद करता हूं कि ये सारी बातें आपको समस्या को एक व्यापक नजरिए से देखने में मदद करेंगी। भारत जैसे देश में आपकी कहानी इकलौती नहीं है। उम्मीद है, इससे आपके जैसी और लड़कियों को भी मदद मिलेगी।