UNSC का अध्यक्ष बना पाकिस्तान, जानें इस कुर्सी पर कौन बैठता है?

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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद  की अध्यक्षता पर पाकिस्तान की नियुक्ति ने एक बार फिर भारत समेत दुनिया में चर्चा का विषय बना हुआ है. भारत में कई लोग इसपर सवाल उठा रहे हैं कि पाकिस्तान जैसे आंतकवाद को समर्थन देना वाले देश को इतनी महत्त्वपूर्ण पद पर कैसे बैठाया जा सकता है. आम लोगों के मन में यह सवाल है कि आखिर इस कुर्सी का महत्व इतना क्यों है और पाकिस्तान को इसकी जिम्मेदारी मिलने से भारत को क्या नुकसान हो सकता है. चलिए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं.  UNSC की कुर्सी का महत्वसंयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद दुनिया की सबसे शक्तिशाली अंतरराष्ट्रीय संस्था का एक अहम अंग है, जिसका मुख्य कार्य विश्व शांति और सुरक्षा बनाए रखना है. इसमें कुल 15 सदस्य होते हैं  5 स्थायी सदस्य जिसमें अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम शामिल हैं और 10 अस्थायी सदस्य, जिन्हें क्षेत्रीय संतुलन के आधार पर दो साल की अवधि के लिए चुना जाता है.अब बात करते हैं अध्यक्ष की तो UNSC में अध्यक्षता स्थायी नहीं होती, बल्कि यह हर महीने बदलती है. यह अध्यक्षता अंग्रेजी वर्णमाला के क्रम से सभी 15 सदस्य देशों के बीच घुमाई जाती है. यानी जनवरी में कोई एक देश अध्यक्ष होता है, फरवरी में दूसरा और ऐसे ही आगे. जुलाई 2025 में यह भूमिका पाकिस्तान को मिली है, जो इस समय अस्थायी सदस्य के रूप में परिषद का हिस्सा है. इससे पहले पाकिस्तान 1952-53, 1968-69, 1976-77, 1983-84, 1993-94, 2003-04 और 2012-13 में इसका सदस्य रह चुका है. इस कुर्सी पर कौन बैठता हैअब सवाल आता है इस कुर्सी पर कौन बैठता है? इसका सीधा उत्तर है उस देश का स्थायी प्रतिनिधि या राजदूत, जो संयुक्त राष्ट्र में नियुक्त होता है वह व्यक्ति सुरक्षा परिषद की बैठकों की अध्यक्षता करता है, एजेंडा तय करता है, प्रेस स्टेटमेंट जारी करता है और विवादित मुद्दों पर चर्चा की रूपरेखा बनाता है.भारत के लिए चिंता का विषयपाकिस्तान का अध्यक्ष बनना तकनीकी रूप से एक सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा है, लेकिन राजनीतिक नजरिए से देखा जाए तो यह बेहद संवेदनशील हो सकता है, खासकर भारत जैसे देशों के लिए. क्योंकि अध्यक्ष को एजेंडा तय करने और चर्चाओं को दिशा देने का अधिकार होता है, इसलिए पाकिस्तान जैसे देश इस मंच का इस्तेमाल अपने राजनीतिक हित साधने के लिए कर सकते हैं. हालांकि, कोई भी निर्णय तभी पास होता है जब 9 सदस्य उसके पक्ष में हों और किसी भी स्थायी सदस्य ने वीटो न किया हो.भारत पहले भी कई बार UNSC का अध्यक्ष रह चुका है और उसने इस भूमिका में शांति, आतंकवाद विरोध और विकास जैसे विषयों को आगे बढ़ाया है.इसे भी पढ़ें-सिर कटने के बाद भी जिंदा रह सकता है आपके घर पर रहने वाला ये कीड़ा, नाम जानकर हैरान रह जाएंगे आप