भविष्य में पैदा हुआ बच्चा दलाई लामा का ही अवतार, पुनर्जन्म के बाद ये कैसे तय होता है? 

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तिब्बतियों के सबसे बड़े धर्मगुरू दलाई लामा के उत्तराधिकारी को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है. चीन ने कहा है कि दलाई लामा का उत्तराधिकारी चुनते समय उसकी सहमति जरूरी है, लेकिन दलाई लामा ने इससे इंकार किया है. दलाई लामा अपने जन्मदिन के मौके पर अपने उत्तराधिकारी और पुनर्जम्न को लेकर बड़ी घोषणा कर सकते हैं, जिस पर चीन की नजरें टिकी हुई हैं. चीन का कहना है कि उत्तराधिकारी का चुनाव 'स्वर्ण कलश' विधि से होना चाहिए, लेकिन दलाई लामा ने इसे खारिज कर दिया है. दलाई लामा ने साफ किया है कि अगले तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा का चयन उनकी संस्था गादेन फोडरंग ट्रस्ट ही करेगा और उनके पुनर्जन्म को मान्यता पर भी यही ट्रस्ट फैसला करेगा. ऐसे में लोग जानना चाहते हैं कि दलाई लामा का चुनाव कैसे होता है और पुनर्जन्म के बाद यह कैसे तय होता है कि भविष्य में होने वाला बच्चा दलाई लामा का अवतार होगा. दलाई लामा का होता है पुनर्जम्नतिब्बती बौद्ध धर्म की मान्यताओं के अनुसार, दलाई लामा का पुनर्जम्न होता है. यानी जब दलाई लामा का देहांत होता है तो वह ही भविष्य में एक शिशु के रूप में जन्म लेते हैं. इस शिशु की खोज पूरी होने के बाद ही दलाई लामा का ऐलान किया जाता है. यह खोज गादेन फोडरंग ट्रस्ट के अधिकारी करते हैं. आमतौर पर वर्तमान दलाई लामा के देहांत के 9 महीनों बाद ही अगले दलाई लामा की खोज शुरू होती है.बच्चा दलाई लामा ही है, ये कैसे तय होता है?सबसे बड़ा सवाल है कि कोई बच्चा दलाई लामा का अवतार ही है, यह बात कैसे तय होती है? दरअसल, इसके लिए कई तरह की प्रक्रियाओं को अपनाया जाता है. दलाई लामा के उत्तराधिकारी की खोज करते समय संस्था के अधिकारी कई तरीके अपनाते हैं, जिसमें कोई भविष्यवाणी, वर्तमान दलाई लामा द्वारा अंतिम समय में दिए गए संकेत और उनके शव की दशा भी मायने रखती है. इस दौरान कई संभावित बच्चों का परीक्षण किया जाता है और उसे पिछले दलाई लामा की कई चीजें दिखाई जाती हैं. यह देखा जाता है कि वह बच्चा उन चीजों को पहचान पा रहा है या नहीं. अगर बच्चा उन चीजों को पहचान लेता है तो उसे दलाई लामा मान लिया जाता है, जिसके बाद अगले दलाई लामा की घोषणा होती है. इसके बाद उसे धार्मिक शिक्षा व अन्य प्रशिक्षण दिए जाते हैं. बता दें, इसी प्रक्रिया के तहत वर्तमान दलाई लामा का चयन भी दो वर्ष की अवस्था में कर लिया गया था. यह भी पढ़ें: कहां रखा है वो 'सोने का कलश', जिससे दलाई लामा को चुनने की पैरवी कर रहा चीन, कब से शुरू हुई थी यह परंपरा?