तालिबान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर अभी तक अलग-थलग माना जाता था. लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि रूस के मान्यता देने वाले क़दम ने बनी हुई वैश्विक सहमति में एक दरार डाल दी है.