मिर्जापुर के मंसूर आलम ने मुहर्रम पर 5700 कागज के ग्लास और थर्माकोल से अनोखा ताजिया बनाया. 22 दिनों की मेहनत और 10 हजार रुपये खर्च कर तैयार यह ताजिया श्रद्धा, कला और नवाचार का सुंदर उदाहरण है.