एक झटके में अमीर बन सकता है अफगानिस्तान, यहां मौजूद है इतना सोना; फिर भी क्यों नहीं कर पा रहा इस्तेमाल? जानिए

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अफगानिस्तान...एक ऐसा देश जो दशकों से जंग में उलझा रहा. कभी सोवियत रूस तो कभी अमेरिका और कभी अफगानिस्तान खुद में ही जंग लड़ता रहा. वैश्विक ताकतों के लिए अफगानिस्तान एक ऐसा देश है, जिसे लंबे समय से जंग के मैदान के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है. 2020 में 20 साल के अभियान के बाद अमेरिकी सैनिक जब वापस अपने देश लौटे तो यहां की हुकूमत पर तालिबान ने कब्जा कर लिया.दुनिया भले ही अफगानिस्तान में फैली अशांति को सोवियत यूनियन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच छिड़ी वर्चस्व की जंग का परिणाम मानती हो, लेकिन एक दूसरा कारण है कि कई ताकतवर देशों की नजरें इस देश पर टिकी हुई रहीं. वह कारण है- अफगानिस्तान में मौजूद अथाह प्राकृतिक संपदा. यहां सोना, तांबा, लीथियम की कई खदानें मौजूद हैं, जिन पर अमेरिका, रूस, चीन जैसे देशों की नजरें टेढ़ी हैं. एक झटके में अमीर हो सकता है अफगानिस्तानएक अनुमान के मुताबिक, अफगानिस्तान में मौजूद प्राकृतिक संसाधनों की कीमत एक ट्रिलियन डॉलर से भी अधिक हो सकी है. इसके बावजूद न तो दुनिया के देश इस संसाधनों का खनन कर पाए और न खुद अफगानिस्तान. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सोवियत और अमेरिका वैज्ञानिकों के मुताबिक, अफगानिस्तान की पहाड़ियों और घाटियों में सोना, मार्बल, तांबा, बॉक्साइट और लौह अयस्क जैसे कई कीमती खनिज मौजूद हैं. ये संसाधन इतनी मात्रा में हैं कि अफगानिस्तान के लोगों की जिंदगी में रातोंरात बदलाव आ सकता है. अफीम के निर्यात पर टिकी अर्थव्यवस्थाप्राकृतिक संसाधनों से भरे होने के बावजूद अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था अफीम के निर्यात पर टिकी हुई है. अफगानिस्तान के पास पैसों की कमी है, जिसकी वजह से वह पहाड़ियों पर मौजूद खनिज भंडार का दोहन नहीं कर पा रहा. ऐसे में वह पूरी तरह अफीम के निर्यात पर ही निर्भर है. संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के मुताबिक, अफगानिस्तान की सभी आर्थिक गतिविधियों का लगभग 10 फीसदी हिस्सा अफीम के उत्पादन और निर्यात से जुड़ा हुआ है.यह भी पढ़ें: क्या अमेरिका ने पैदा किए तालिबान और अलकायदा? जानें क्या था 'ऑपरेशन साइक्लोन'