जरूरत की खबर- बारिश-उमस में बढ़ती थाई रैशेज की समस्या:इन 7 कारणों से होते रैशेज, डॉक्टर से जानें बचाव के लिए 8 जरूरी सावधानियां

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बारिश के मौसम में पसीने और नमी की वजह से कुछ लोगों को थाई रैशेज (inner thigh rashes) की समस्या हो जाती है। यह एक आम स्किन प्रॉब्लम है, जो तब होती है, जब जांघों की स्किन आपस में रगड़ती है या फिर टाइट और सिंथेटिक कपड़ों के कारण हवा थाई स्किन तक नहीं पहुंच पाती है। इससे स्किन पर रेडनेश, जलन, पानी रिसाव या घाव जैसी स्थिति बन सकती है। यह समस्या खासतौर पर उन लोगों में ज्यादा देखने को मिलती है, जिनकी जांघें भारी होती हैं या जो लंबे समय तक गर्मी और पसीने में रहते हैं। हालांकि कुछ आसान सावधानियों को अपनाकर इस समस्या से काफी हद तक बचा जा सकता है। तो चलिए, आज जरूरत की खबर में हम थाई रैशेज के बारे में विस्तार से बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि- एक्सपर्ट: डॉ. जवाहरलाल मनसुखानी, कंसल्टेंट, डर्मेटोलॉजी, कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल, मुंबई सवाल- थाई रैशेज के क्या कारण हैं? जवाब- ये समस्या तब होती है, जब जांघों की स्किन आपस में रगड़ती है या लंबे समय तक पसीने और गंदगी के संपर्क में रहती है। नीचे दिए ग्राफिक से इसके कुछ प्रमुख कारणों को समझिए- सवाल- थाई रैशेज में किस तरह की समस्याएं होती हैं? जवाब- इसमें जांघों की स्किन पर रगड़ के कारण वहां पर रेडनेश आ जाती है, जो देखने में साफ नजर आती है। चलते समय या कपड़ा छूने पर जलन महसूस होती है, साथ ही खुजली की शिकायत भी होती है। रैश वाली जगह पर पसीना जमने से स्किन लगातार गीली बनी रहती है, जिससे घाव बनने का खतरा बढ़ता है। इसके अलावा ज्यादा रगड़ या देर तक नमी रहने से स्किन छिल जाती है और कुछ मामलों में हल्के घाव या फुंसी जैसी समस्या भी हो सकती है। रैश ज्यादा हो जाए तो चलने-फिरने में दर्द और रगड़ महसूस होती है, जिससे सामान्य एक्टिविटीज भी प्रभावित होती हैं। अगर समय पर स्किन की देखभाल न की जाए तो समस्या और बढ़ जाती है। सवाल- क्या थाई रैशेज कम करने के कोई घरेलू उपाय भी हैं? जवाब- हां, थाई रैशेज को कम करने व इससे जल्द राहत पाने के लिए कुछ घरेलू उपाय किए जा सकते हैं। ये उपाय स्किन को ठंडक पहुंचाते हैं, सूजन और जलन कम करते हैं। जैसेकि- एलोवेरा जेल ताजा एलोवेरा जेल लगाने से स्किन को ठंडक मिलती है और जलन व रेडनेश से राहत मिलती है। यह स्किन को तेजी से ठीक करने में भी मदद करता है। नारियल तेल नारियल तेल में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण होते हैं। यह स्किन को मॉइश्चराइज करता है और इन्फेक्शन से बचाता है। बर्फ की सिकाई साफ कपड़े में बर्फ लपेटकर हल्के-हल्के रैश वाली जगह पर लगाने से सूजन और खुजली में आराम मिलता है। पेट्रोलियम जेली और ठंडा पाउडर अमेरिकन एकेडमी ऑफ डर्मेटोलॉजी थाई रैशेज में पेट्रोलियम जेली का लगाने की सलाह देता है। इसके अलावा रैशेज वाली जगह पर मेन्थॉल युक्त ठंडा पाउडर भी लगा सकते हैं। इससे अंदरूनी जांघें सूखी रहती हैं और खुजली शांत होती है। ध्यान रखें कि अगर रैशेज 2–3 दिन में ठीक न हों या घाव बनने लगे तो घरेलू उपाय छोड़कर डॉक्टर से सलाह लें। सवाल- क्या बच्चों को भी थाई रैशेज की समस्या होती है? जवाब- हां, छोटे बच्चों को भी थाई रैशेज या स्किन रैशेज की समस्या हो सकती है। आमतौर पर यह समस्या डायपर की रगड़, लंबे समय तक गीले कपड़ों का संपर्क या स्किन की नमी के कारण होती है। बच्चों की स्किन बहुत नाजुक होती है, इसलिए उन्हें विशेष देखभाल की जरूरत होती है। जैसेकि- सवाल- थाई रैशेज से कैसे बचा जा सकता है? जवाब- डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. जवाहरलाल मनसुखानी बताते हैं कि कुछ आसान आदतें अपनाकर थाई रैशेज की समस्या से बचा जा सकता है। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए- सवाल- थाई रैशेज का इलाज कैसे किया जाता है? जवाब- थाई रैशेज का इलाज उसकी गंभीरता पर निर्भर करता है। अगर रैश हल्का हो तो घरेलू उपाय और हाइजीन काफी होते हैं। लेकिन अगर जलन, दर्द या इन्फेक्शन बढ़ जाए तो डॉक्टर की सलाह जरूरी हो जाती है। आमतौर पर इसके लिए डॉक्टर मॉइश्चराइजर, पेट्रोलियम जेली, मेन्थॉल युक्त पाउडर, एंटी-फंगल या एंटी-बैक्टीरियल क्रीम लगाने की सलाह देते हैं। इलाज के दौरान स्किन को सूखा और साफ रखना जरूरी होता है ताकि घाव और न बढ़े। सवाल- किस कंडीशन में डॉक्टर को दिखाना जरूरी है? जवाब- अगर घरेलू उपचार से आराम नहीं मिलता है और फफोले, गांठ या घाव, रिसाव, सफेद या पीला मवाद, खून निकलने जैसी समस्या हो तो एक बार डॉक्टर की सलाह जरूर लें। ……………... जरूरत की ये खबर भी पढ़िए मानसून में होने वाली 11 आम बीमारियां: डॉक्टर से जानें इनके लक्षण और बचने के 10 उपाय, साफ-सफाई का रखें खास ख्याल बारिश का मौसम भीषण गर्मी से राहत जरूर दिलाता है। लेकिन यह कई संक्रामक बीमारियों का खतरा भी साथ लाता है। नमी और जगह-जगह पानी भरने से बैक्टीरिया और वायरस तेजी से पनपते हैं। इससे इन्फेक्शन फैलने का खतरा बढ़ जाता है। पूरी खबर पढ़िए...