अमेर‍िका सुनता है आत्मा की आवाज... रोनाल्ड रीगन के ये शब्द ट्रंप कैसे भूल गए?

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Written by:Gyanendra MishraAgency:News18HindiLast Updated:June 01, 2025, 04:31 ISTरोनाल्ड रीगन का भाषण वायरल हो रहा है जिसमें वे अमेरिका की आत्मा और आदर्शों की बात करते हैं. ट्रंप के दौर में इमिग्रेंट्स को खतरे की तरह देखा जा रहा है. भारत-अमेरिका संबंधों पर भी इसका असर है.इम्पैक्ट शॉर्ट्ससबसे बड़ी खबरों तक पहुंचने का आपका शॉर्टकटट्रंप जो कर रहे हैं, वह ठीक रोनाल्‍ड रीगन की सोच के उलट है.हाइलाइट्सरीगन का भाषण अमेरिका की आत्मा और आदर्शों पर जोर देता है.ट्रंप के दौर में इमिग्रेंट्स को खतरे की तरह देखा जा रहा है.भारत-अमेरिका संबंधों पर ट्रंप की नीतियों का असर पड़ा है.अमेर‍िका के पूर्व राष्‍ट्रपत‍ि रोनाल्ड रीगन का एक पुराना भाषण सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. इसमें रोनाल्‍ड रीगन कह रहे, ‘अमेरिका की शक्ति उसकी आत्मा में है, उसके आदर्शों में है. अमेरिका खून, नस्ल या सीमाओं से नहीं, बल्कि एक विचार से बना है.’ ये विचार दुनिया भर से आने वालों को अपनाने का था, न कि उन्हें रोकने का. लेकिन आज, जब डोनाल्ड ट्रंप फिर से अमेरिका की राजनीति में अपना वर्चस्व जमाने की कोश‍िश कर रहे हैं, तब यही सवाल उठता है क‍ि क्या ट्रंप ने उस आत्मा की आवाज सुननी बंद कर दी है? क्‍योंक‍ि वे दोस्‍तों को ही दुश्मन समझने लगे हैं. यूरोपीय देशों पर ताबड़तोड़ टैर‍िफ लगा रहे हैं, इजरायल से दूरी बना रहे हैं तो भारत जैसे मुल्‍कों से उन्‍हें परेशानी होने लगी है.रीगन ने कहा था कि अमेरिका की पहचान खून या सरहदों से नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा राष्ट्र है जो दुनिया भर से आने वाले हर व्यक्ति को अपनाता है. लेकिन ट्रंप के दौर में ‘इमिग्रेंट’ शब्द हथियार बन गया. अमेरिका के दरवाजे जो कभी सपनों की तलाश में आने वालों के लिए खुले थे, अब दीवारों से घिरे नजर आते हैं. रीगन अमेरिका को एक ऐसे देश के रूप में देखते थे, ज‍िसमें विव‍िधता थी, साझेदारी थी और सबको साथ लेकर चलने, वक्‍त पर मदद करने की बात थी. लेकिन आज, ट्रंप के दौर में जब ‘इमिग्रेंट’ एक खतरे की तरह प्रस्तुत किया जाता है, तो सवाल है क‍ि क्या यह वही अमेरिका है?View this post on InstagramA post shared by Caroline Codsi (@carocodsigouvernanceaufeminin)भारत को किस अमेरिका की ज़रूरत है?भारत और अमेरिका के रिश्ते आज रणनीतिक ऊंचाइयों पर हैं. रक्षा सौदों से लेकर तकनीक साझा करने तक, दोनों देशों के बीच की निकटता अभूतपूर्व है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की केमिस्ट्री को भी कई बार सुर्खियां मिलीं. लेकिन क्या यह रिश्ता सिर्फ राजनीतिक है? ट्रंप प्रशासन की सबसे विवादास्पद नीतियों में से एक रही उनका प्रवास‍ियों के ख‍िलाफ हो जाना. H1B वीजा पर सख्ती, ग्रीन कार्ड प्रक्रिया में देरी, और नागरिकता संबंधी कानूनों में बदलाव ने लाखों भारतीयों को चिंता में डाल दिया. वही भारतीय जो दशकों से अमेरिका की तकनीकी क्रांति के आधार स्तंभ रहे हैं. आज भारत के लिए अमेरिका सिर्फ एक सामरिक सहयोगी नहीं है, बल्कि वहां बसे करोड़ों प्रवासियों का घर भी है. यदि उस घर के दरवाजे बंद होने लगे, तो संबंधों की आत्मा कैसे जिंदा रह पाएगी?ट्रंप की अलग ही दुनियाडोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में यह भी दावा किया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान को युद्ध से रोका. उन्होंने कहा कि यह परमाणु युद्ध बन सकता था, लेकिन उन्होंने दोनों देशों से कहा कि व्यापार ज्‍यादा अच्छा विकल्प है. यह सुनने में आकर्षक लगता है, लेकिन क्या इसमें आत्मीयता है या सिर्फ सौदेबाजी? विदेश मंत्री एस जयशंकर साफ कह चुके हैं क‍ि हमें सौदेबाजी करने वालों की जरूरत नहीं है. हमें सहयोगी चाह‍िए. सोशल मीडिया में लोग कह रहे क‍ि डोनाल्ड ट्रंप को याद रखना होगा कि रिश्ते हथियारों से नहीं, आत्मा से बनते हैं. अगर अमेरिका को सच में महान बनाना है, तो उसे अपनी आत्मा से फिर से जुड़ना होगा. वरना उसके सबसे करीबी दोस्त भी एक दिन सवाल पूछने लगेंगे: क्या यह वही अमेरिका है, जिसे हमने अपना साथी माना था?About the AuthorGyanendra MishraMr. Gyanendra Kumar Mishra is associated with hindi.news18.com. working on home page. He has 20 yrs of rich experience in journalism. He Started his career with Amar Ujala then worked for 'Hindustan Times Group...और पढ़ेंMr. Gyanendra Kumar Mishra is associated with hindi.news18.com. working on home page. He has 20 yrs of rich experience in journalism. He Started his career with Amar Ujala then worked for 'Hindustan Times Group... और पढ़ेंभारत पाकिस्तान की ताज़ा खबरें News18 India पर देखेंhomeworldअमेर‍िका सुनता है आत्मा की आवाज... रोनाल्ड रीगन के ये शब्द ट्रंप कैसे भूल गए?और पढ़ें