Written by:Gyanendra MishraAgency:एजेंसियांLast Updated:June 01, 2025, 05:01 ISTचीन ने नेपाल को इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर मीडिएशन (IOMed) से जोड़ने की कोशिश शुरू की है, जिससे भारत की चिंता बढ़ी है. IOMed का मुख्यालय हांगकांग में है और पाकिस्तान पहले ही इसमें शामिल हो चुका है.इम्पैक्ट शॉर्ट्ससबसे बड़ी खबरों तक पहुंचने का आपका शॉर्टकटनेपाल चीन के रास्ते भारत को घेरने की प्लानिंग कर रहा है.हाइलाइट्सचीन ने नेपाल को IOMed से जोड़ने की कोशिश की.IOMed का मुख्यालय हांगकांग में है, जिस पर चीन का कब्जा.नेपाल की चीन झुकाव वाली नीति भारत के लिए चिंता का विषय.साउथ एशिया में अपनी पकड़ और कूटनीतिक दखल को और मजबूत करने की रणनीति के तहत चीन ने अब नेपाल को भी एक नए गुट इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर मीडिएशन (IOMed) से जोड़ने की कोशिश शुरू कर दी है. यह वही मंच है जिसे चीन ने हाल ही में हांगकांग में लॉन्च किया और जिसमें पाकिस्तान पहले ही शामिल हो चुका है. अब चीन की नजर नेपाल पर है. इससे भारत की चिंता बढ़ना लाजमी है.चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने हांगकांग में IOMed के उद्घाटन समारोह के दौरान नेपाली विदेश मंत्री अर्जू राणा देउबा से मुलाकात कर औपचारिक रूप से नेपाल से इस संगठन में शामिल होने की अपील की. देउबा कार्यक्रम में उपस्थित थीं लेकिन नेपाल ने अभी तक औपचारिक सदस्यता की पुष्टि नहीं की है.क्या है IOMed?IOMed को चीन ने मीडिएशन प्लेटफार्म के रूप में पेश किया है. इसका मकसद ग्लोबल साउथ (Global South) के देशों को न्याय और स्थिरता के लिए नया विकल्प देना है. समारोह में 33 देशों ने समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिनमें चीन के ‘ऑल वेदर’ दोस्त पाकिस्तान का नाम सबसे प्रमुख है. इस मंच का मुख्यालय हांगकांग में होगा, जो खुद चीन के नियंत्रण में है.भारत को क्यों चिंता होनी चाहिए?नेपाल और पाकिस्तान, दोनों भारत के पड़ोसी हैं और क्षेत्रीय राजनीति में अहम भूमिका निभाते हैं. चीन पहले ही चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) और ग्वादर बंदरगाह के ज़रिए पाकिस्तान में अपनी सैन्य-सामरिक मौजूदगी बढ़ा चुका है. अब नेपाल जैसे देश को भी ‘मध्यस्थता’ के नाम पर एक ऐसे मंच में लाना, जिसका संचालन और नेतृत्व चीन के हाथ में हो. साफ संकेत देता है कि बीजिंग भारत की कूटनीतिक परिधि को काटने की योजना पर काम कर रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि IOMed की आड़ में चीन अपने ‘साफ्ट पावर’ (soft power) को रणनीतिक शक्ति में बदलने की कोशिश कर रहा है. अंतरराष्ट्रीय विवादों में मध्यस्थता की भूमिका लेना न केवल कूटनीतिक बढ़त दिलाता है बल्कि चीन को क्षेत्रीय संतुलन का निर्णायक खिलाड़ी भी बना सकता है.नेपाल की चुप्पी क्या संकेत देती है?हालांकि नेपाल ने अभी IOMed में शामिल होने का एलान नहीं किया है, लेकिन इस मंच की लॉन्चिंग पर नेपाली विदेश मंत्री की मौजूदगी और चीन के साथ जारी कूटनीतिक वार्ता इस ओर इशारा करती है कि बीजिंग ने दबाव बनाना शुरू कर दिया है. देउबा ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, हमने नेपाल-चीन संबंधों के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की और द्विपक्षीय सहयोग को और मजबूत करने पर सहमति बनाई. विश्लेषकों का मानना है कि नेपाल की चीन झुकाव वाली विदेश नीति भारत के लिए चिंता का विषय है, खासकर ऐसे समय में जब सीमा विवाद, वीजा मुद्दों और धार्मिक-राजनीतिक घुसपैठ को लेकर भारत-नेपाल संबंध संवेदनशील दौर से गुजर रहे हैं.चीन की रणनीति स्पष्ट हैIOMed जैसे मंच के जरिए चीन दुनिया को ये दिखाना चाहता है कि वह न सिर्फ एक आर्थिक ताकत है, बल्कि वैश्विक संघर्षों में एक विश्वसनीय मध्यस्थ भी है. लेकिन हकीकत में यह मंच चीन को उन देशों के घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मामलों में प्रवेश और प्रभाव का रास्ता देता है, जहां भारत पहले से परंपरागत रूप से मजबूत रहा है.About the AuthorGyanendra MishraMr. Gyanendra Kumar Mishra is associated with hindi.news18.com. working on home page. He has 20 yrs of rich experience in journalism. He Started his career with Amar Ujala then worked for 'Hindustan Times Group...और पढ़ेंMr. Gyanendra Kumar Mishra is associated with hindi.news18.com. working on home page. He has 20 yrs of rich experience in journalism. He Started his career with Amar Ujala then worked for 'Hindustan Times Group... और पढ़ेंभारत पाकिस्तान की ताज़ा खबरें News18 India पर देखेंhomenationPAK के बाद नेपाल को भी चीन ने फंसाया, IOMed की आड़ में भारत को घेरने की चालऔर पढ़ें