साइबर लिटरेसी- ई-जीरो FIR से साइबर फ्रॉड पर लगेगी लगाम:10 लाख से ऊपर की धोखाधड़ी पर अपने आप दर्ज होगी FIR, समझें पूरा प्रोसेस

Wait 5 sec.

हाल ही में भारत सरकार ने साइबर क्राइम से जुड़ी घटनाओं से निपटने के लिए ई-जीरो FIR सर्विस की शुरुआत की है। इस पहल का उद्देश्य साइबर सुरक्षा को मजबूत बनाना और ऐसे मामलों की जांच प्रक्रिया को तेज करना है। गौरतलब है कि बीते कुछ वर्षों में देश में साइबर अपराध की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) पर जनवरी 2024 से अप्रैल 2024 के बीच 7.4 लाख से ज्यादा साइबर क्राइम की शिकायतें दर्ज की गईं। इन चार महीनों में साइबर अपराधियों ने लोगों को 1,750 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान पहुंचाया। वहीं इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) के अनुसार, मई 2024 में रोजाना औसतन 7,000 साइबर क्राइम की शिकायतें मिलीं। चिंताजनक बात यह है कि I4C ने साल 2025 में 1.2 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की ठगी की आशंका जताई है। ऐसे में सरकार की यह नई ई-जीरो FIR सुविधा साइबर क्राइम को रोकने और इसकी जांच में एक अहम भूमिका निभा सकती है। तो चलिए, आज ‘साइबर लिटरेसी’ कॉलम में हम ई-जीरो FIR के बारे में विस्तार से बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि- एक्सपर्ट: राहुल मिश्रा, साइबर सिक्योरिटी एडवाइजर, उत्तर प्रदेश पुलिस आइए, पहले जानते हैं कि पिछले कुछ सालों में साइबर फ्रॉड की वजह से लोगों को कितना नुकसान हुआ है। NCRP के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले चार सालों में भारत में साइबर फ्रॉड की वजह से कुल 33,165 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। हैरान करने वाली बात यह है कि इस कुल नुकसान का लगभग 69% यानी 22,812 करोड़ रुपए सिर्फ साल 2024 में दर्ज किया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, टियर-2 और टियर-3 शहर इन साइबर अपराधों के प्रमुख केंद्र बनते जा रहे हैं, जो यह दर्शाता है कि डिजिटल फ्रॉड अब सिर्फ मेट्रो शहरों तक सीमित नहीं रह गया है। नीचे दिए ग्राफिक से पिछले चार सालों में हुई साइबर क्राइम की घटनाओं को समझिए- सवाल- ई-जीरो FIR क्या है? जवाब- ई-जीरो FIR एक नई डिजिटल सुविधा है, जो NCRP या साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर दर्ज साइबर फाइनेंशियल फ्रॉड की शिकायतों को अपने आप जीरो FIR में बदलने का काम करती है। शुरुआत में यह सुविधा 10 लाख रुपए से ज्यादा की फाइनेंशियल फ्रॉड के मामलों पर लागू होगी। इसका उद्देश्य जांच प्रक्रिया को बिना देरी के तुरंत शुरू करना है, ताकि पीड़ित को समय रहते राहत मिल सके। फिलहाल यह पहल दिल्ली में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू की गई है। सरकार का इरादा है कि इसकी सफलता के बाद इसे देशभर में लागू किया जाएगा। सवाल- जीरो FIR का क्या मतलब है? जवाब- जीरो FIR एक ऐसी सुविधा है, जिसमें कोई भी व्यक्ति किसी भी पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज करा सकता है, चाहे अपराध उस थाने के क्षेत्राधिकार में हुआ हो या नहीं। इससे पीड़ित को तुरंत शिकायत दर्ज कराने में आसानी होती है, खासकर इमरजेंसी में। बाद में यह FIR संबंधित क्षेत्राधिकार वाले पुलिस स्टेशन को ट्रांसफर कर दी जाती है, जहां आगे की जांच होती है। ई-जीरो FIR, जीरो FIR की डिजिटल फॉर्म है, जिसे खासतौर पर साइबर फाइनेंशियल फ्रॉड के मामलों के लिए तैयार किया गया है। इसका मकसद है कि शिकायत मिलते ही सिस्टम उसे ऑटोमैटिक FIR में बदल दे, जिससे जांच में देरी न हो। सवाल- ई-जीरो FIR दर्ज करने के लिए क्या करना होगा? जवाब- इसके लिए नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) पर जाकर ऑनलाइन शिकायत दर्ज करनी होगी या साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करके भी अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं। शिकायत दर्ज होते ही सिस्टम उसे ऑटोमैटिक जीरो FIR में बदल देगा, जिससे जांच प्रक्रिया तुरंत शुरू की जा सकेगी। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए- सवाल- सरकार ने ई-जीरो FIR को लेकर क्या कहा है? जवाब- केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 19 मई 2025 को ई-जीरो FIR पहल को आधिकारिक रूप से लॉन्च किया। इस मौके पर उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर एक पोस्ट करते हुए कहा था, “इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) ने एक नई पहल ई-जीरो FIR की शुरुआत की है, जिसका मकसद साइबर अपराधियों को तेजी से पकड़ना और जांच प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी बनाना है। यह सुविधा फिलहाल दिल्ली में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू की गई है। इस सिस्टम के तहत NCRP पोर्टल या हेल्पलाइन नंबर 1930 पर दर्ज 10 लाख रुपए से अधिक की साइबर फाइनेंशियल फ्रॉड शिकायतें अपने आप FIR में तब्दील हो जाएंगी।“ उन्होंने आगे कहा था कि यह नया सिस्टम जांच प्रक्रिया को तेज करेगा और साइबर अपराधियों पर जल्दी और सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करेगा। सवाल- ई-जीरो FIR कैसे काम करता है? जवाब- ई-जीरो FIR सिस्टम एक ऑटोमैटिक प्रोसेस पर काम करता है, ताकि साइबर फ्रॉड मामलों में जांच बिना देरी के शुरू की जा सके। इसकी कार्यप्रणाली इस प्रकार है। अगर किसी व्यक्ति ने NCRP पोर्टल या साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर 10 लाख रुपए से अधिक की साइबर ठगी की शिकायत दर्ज कराई है तो यह शिकायत अपने आप जीरो FIR में बदल जाएगी। यह FIR ई-क्राइम पुलिस स्टेशन में दर्ज की जाएगी और इसके बाद उसे संबंधित क्षेत्र के साइबर पुलिस स्टेशन को फॉरवर्ड कर दिया जाएगा। शिकायतकर्ता को 3 दिनों के भीतर संबंधित साइबर थाने में जाकर इस जीरो FIR को फॉर्मल FIR में बदलवाना होगा, ताकि आगे की जांच शुरू हो सके। सवाल- इससे पीड़ितों को क्या फायदा मिलेगा? जवाब- साइबर क्राइम से पीड़ितों को इससे कई फायदे होंगे। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए- सवाल- ई-जीरो FIR की कानूनी वैधता क्या है? जवाब- ई-जीरो FIR भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 173(1) और 1(ii) के तहत पूरी तरह से कानूनी मान्यता प्राप्त है। इससे डिजिटल माध्यम से FIR दर्ज करना और उसे ट्रांसफर करना कानूनी रूप से वैध हो गया है। सवाल- क्या ई-जीरो FIR दर्ज होने के बाद कोई सूचना मिलेगी? जवाब- सिस्टम द्वारा ऑटोमैटिक जीरो FIR दर्ज होने के बाद संभवतः कंप्लेंट नंबर या एक रेफरेंस आईडी प्राप्त होगी। यह शिकायत को ट्रैक करने के लिए जरूरी होगा। सवाल- ई-जीरो FIR को फॉर्मल FIR में बदलने के लिए कौन से डॉक्यूमेंट्स की जरूरत पड़ सकती है? जवाब- थाने जाने पर अपनी शिकायत की डिटेल, ट्रांजैक्शन के सबूत (जैसे बैंक स्टेटमेंट, ट्रांजेक्शन आईडी), पहचान पत्र और अन्य जरूरी कागजात की जरूरत पड़ सकती है। सवाल- क्या ई-जीरो FIR दर्ज करने से खोए हुए पैसे की वापसी की गारंटी है? जवाब- अगर पीड़ित जल्दी रिपोर्ट करे तो इससे जांच में तेजी आएगी और 'गोल्डन आवर' में कार्रवाई होने से पैसे की वापसी की संभावना बढ़ जाएगी। हालांकि यह पैसे की वापसी की गारंटी नहीं देता है। ………………… साइबर लिटरेसी की ये खबर भी पढ़िए लोन एप्स के नाम पर हो रही ब्लैकमेलिंग और ठगी: फेक एप्स के झांसे में न आएं, RBI रजिस्टर्ड असली एप्स की ऐसे करें पहचान पिछले कुछ सालों में ऑनलाइन लोन एप्स के बढ़ते चलन के साथ साइबर फ्रॉड की घटनाएं भी सामने आ रही हैं। हाल ही में इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) ने अपने ट्विटर प्लेटफॉर्म 'साइबर दोस्त' पर ऐसे फेक लोन एप्स को लेकर अलर्ट जारी किया है। पूरी खबर पढ़िए...