Reported by:Arvind Kumar DubeyEdited by:अभिजीत चौहानAgency:News18 Uttar PradeshLast Updated:June 01, 2025, 18:38 ISTShiv Temple: शिवद्वार मंदिर, सोनभद्र में स्थित, 11वीं शताब्दी का शिव और पार्वती को समर्पित मंदिर है. यहां शिवलिंग नहीं, मूर्ति पर जल चढ़ाया जाता है. इसे गुप्त काशी भी कहा जाता है.इम्पैक्ट शॉर्ट्ससबसे बड़ी खबरों तक पहुंचने का आपका शॉर्टकटXदुनिया में सबसे खास है उमा महेश्वर का यह धामसोनभद्र. उत्तर प्रदेश के अंतिम छोर पर मध्य प्रदेश के बार्डर से सटे शिवद्वार जिसे आधिकारिक तौर पर उमा महेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है. यह स्थान सोनभद्र के जिला मुख्यालय से करीब 50 किमी दूर स्थित है. शिवद्वार मंदिर शिव और देवी पार्वती को समर्पित है, और 11 वीं शताब्दी में बनाया गया था. ऐसा कहा जाता है कि यह इस दुनिया में भगवान शिव की एकमात्र मूर्ति है जहां मूर्ति को पवित्र जल चढ़ाया जाता है, शिवलिंग को नहीं.शिवद्वार मंदिर को गुप्त कशी के नाम से भी जाना जाता है. शिव पार्वती जी का एक साथ मंदिर आपको शायद ही कहीं और देखने को मिलेगा, आप कहीं भी गए होंगे वहा आपको भगवान भोलेनाथ का ही मंदिर मिला होगा, आपको शिवलिंग के दर्शन होते हैं. लेकिन किसी मूर्ति के दर्शन नहीं होते. यहां आपको भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती जी के मूर्ति का दर्शन एक साथ होता है यह बहुत दुर्लभ जगह है आप लोग अपने जीवन काल में एक बार इस पवित्र जगह के दर्शन जरूर करे.जाने मंदिर की संरचना और विशिष्टता मंदिर के अंदर एक बेहद ही प्राचीन और दुर्लभ शिव और पार्वती की मूर्ति स्थापित की गई है. मूर्ति काले पत्थर से बनी है जो लश्या शैली में तीन फीट ऊंची है. यह शिव पार्वती जी का मंदिर है इसके अलावा भी यहां पर बहुत सारी मूर्तियां खुदाई के दौरान या फिर खेतों में हल चलाने के दौरान मिले है. आपको बता दे की घोरावल क्षेत्र में अधिकांश खुदाई के दौरान मूर्तियों के अवशेष मिलने का गाहें बगाहे सूचना आती रहती है. लोगों का मानना है कि जो मूर्ति है यहां वह सतद्वारी गांव के पास में एक किसान द्वारा खेतों में हल चलाने के दौरान उसे मूर्ति मिली थी. यह मूर्ति बहुत ही दुर्लभ है जल्दी आपको कहीं और ऐसा मंदिर या फिर यह मूर्ति देखने को नहीं मिलेगा.सतयुग से जुडा है इस मूर्ति का रहस्यमान्यता है कि दक्ष प्रजापति को अहंकार के कारण पति सती के अपमान से पिता के अहंकार को नष्ट करने के लिए अपने शरीर को त्यागने के लिए शिव को अनुष्ठान में आमंत्रित नहीं किया था. इससे शिव नाराज हो गए. उन्होंने अपने कोमा से वीरभद्र की उत्पत्ति की और प्रजापति दक्ष के वध का आदेश दिया. प्रजापति का वध वीरभद्र ने किया था. भगवान शिव को समझाने के बाद सृष्टिकर्ता ने बकरी के कटे हुए सिर को सिर के स्थान पर प्रजापति पर रख दिया. प्रजापति दक्ष के अहंकार को नष्ट करने के बाद भगवान शिव बहुत उदास मनोदशा से वहां चले गए.कीवदान्तियो की माने तो शिव फिर सोनभूमि कहने के लिए मुड़े. शिव ने अगोरी क्षेत्र में कदम रखा. शिव जिस क्षेत्र में प्रथम चरण रखते हैं, उसे आज शिवद्वार के नाम से जाना जाता है. यहां वे अगोरी बाबा बने और उन्होंने वनवास का फैसला किया. शिव के गुप्त छिपने के स्थान के कारण इस स्थान को गुप्त काशी या दूसरी काशी के नाम से जाना जाता है.About the Authorअभिजीत चौहानन्यूज18 हिंदी डिजिटल में कार्यरत. वेब स्टोरी और AI आधारित कंटेंट में रूचि. राजनीति, क्राइम, मनोरंजन से जुड़ी खबरों को लिखने में रूचि.न्यूज18 हिंदी डिजिटल में कार्यरत. वेब स्टोरी और AI आधारित कंटेंट में रूचि. राजनीति, क्राइम, मनोरंजन से जुड़ी खबरों को लिखने में रूचि.भारत पाकिस्तान की ताज़ा खबरें News18 India पर देखेंhomeuttar-pradeshदुनिया में दुर्लभ है भगवान शिव का यह धाम, एक साथ माता पार्वती और भोलेनाथ देते हैं दर्शनऔर पढ़ें