Written by:Vikas SharmaLast Updated:June 01, 2025, 18:26 ISTनीदरलैंड का कहना है कि बेल्जियम के पवन फार्म उत्तर सागर में नीदरलैंड की हवा 'चुरा' रहे हैं. डच विशेषज्ञ रेमको वर्जिलबर्ग का दावा है कि बेल्जियम के टर्बाइन नीदरलैंड के फार्मों से 3% हवा ले रहे हैं. यह 'विंड शैडो...और पढ़ेंइम्पैक्ट शॉर्ट्ससबसे बड़ी खबरों तक पहुंचने का आपका शॉर्टकटनीदरलैंड का कहना है की बेल्जियम के विंड फार्म की वजह से उनके विंड फार्म प्रभावित हो रहे हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Canva)हाइलाइट्सनीदरलैंड ने बेल्जियम पर हवा चुराने का आरोप लगायाबेल्जियम के पवन फार्म नीदरलैंड की 3% हवा ले रहे हैंअधिक पवन फार्म बनने से समस्या बढ़ सकती हैआपने दुनिया के देशों के बीच जमीन के विवादों के बारे में खूब सुना होगा. यहां तक कि पानी की बंटवारे को लेकर भी विवाद सुना होगा पर क्या आपने कभी हवा को लेकर किसी तरह के विवाद के बारे में सुना है. जी हां. यूरोप के दो हम देश बेल्जियम और नीदरलैंड के बीच इस तरह का विवाद हुआ है. नीदरलैंड की एक कंपनी के प्रमुख ने आरोप लगाया है कि बेल्जियम के पवन फार्म नीदरलेंड की हवा चुरा रहे हैं. उन्होंने इसके बारे में विस्तार से बताते हुए समझाया कि ऐसा कैसे हो रहा है.क्या है आरोप?डच मौसम पूर्वानुमान कंपनी व्हिफल के सीईओ रेमको वर्जिलबर्ग ने दावा किया है कि उत्तर सागर में बेल्जियम के पवन फार्म नीदरलैंड की हवा ‘चुरा’ रहे हैं. उन्होंने बेल्जियम के ब्रॉडकास्टर वीआरटी को बताया कि बेल्जियम के पवन फार्म अपनी स्थिति के कारण फायदा ले रहे हैं. वे नीदरलैंड के पवन फार्मों से 3% तक हवा की ऊर्जा ले रहे हैं.कैसे हो रहा है ये?रेमको ने बताया, “पवन टर्बाइन हवा से ऊर्जा निकालने के लिए बनाए जाते हैं. टर्बाइन के पीछे हवा की गति कम हो जाती है. कई टर्बाइनों वाले पवन फार्म के पीछे हवा और धीमी हो जाती है.” बेल्जियम के पवन फार्म नीदरलैंड के फार्मों के दक्षिण-पश्चिम में हैं. चूंकि हवा अक्सर दक्षिण-पश्चिम से आती है, बेल्जियम के टर्बाइन नीदरलैंड की हवा ले लेते हैं.यूरोप के उत्तरी सागर के आसपास चलने वाले हवा की दिशाओं और देशों की स्थिति की वजह से ये समस्या बनी है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Canva)हवा धीमी होने की प्रक्रियायह घटना ‘विंड शैडो’ या ‘वेक प्रभाव’ कहलाती है. जब टर्बाइन हवा से ऊर्जा लेते हैं, तो उनके पीछे हवा की गति कम हो जाती है. यह प्रभाव बड़े और घने पवन फार्मों में ज्यादा होता है. इससे नीदरलैंड के पवन फार्मों की ऊर्जा उत्पादन क्षमता कम हो रही है क्योंकि उन्हें बेल्जिमय के फार्मों की वजह से धीमी गति की हवा मिल रही है.ये क्यों है ये एक बड़ी समस्या?रेमको ने चेतावनी दी कि उत्तर सागर में और पवन फार्म बनने से यह समस्या बढ़ेगी. कई देश कार्बन न्यूट्रल बनने की दौड़ में हैं. इससे पवन फार्मों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. यूरोप में 2050 तक 300 गीगावाट पवन ऊर्जा का लक्ष्य है. नीदरलैंड, बेल्जियम, डेनमार्क और जर्मनी 2030 तक 65 गीगावाट और 2050 तक 150 गीगावाट की योजना बना रहे हैं.यह भी पढ़ें: ‘ऊंट की सवारी से मेरा ये मतलब नहीं था’ मोटरसाइकिल पर ऊंट को ले जाते दिखे दो शख्स, लोगों ने ली जमकर क्लास!तालमेल की जरूरतअधिक पवन फार्म बनने से ‘हवा चोरी’ की समस्या गंभीर हो सकती है. रेमको ने कहा, “उत्तर सागर धीरे-धीरे पवन फार्मों से भर रहा है. इससे हवा चोरी और बढ़ेगी.” उन्होंने देशों के बीच बेहतर तालमेल की जरूरत बताई. वह नहीं चाहते कि ‘रेस टू द वॉटर’ हो, जहां पहले बनाने वाला सबसे अच्छी हवा ले ले.जानबूझ कर नहीं हो रहा है ऐसादिलचस्प बात ये है कि वर्जिलबर्ग ने साफ किया कि यह चोरी अनजाने में हो रही है. बेल्जियम ने जानबूझकर ऐसा नहीं किया. यह पवन फार्मों की स्थिति के कारण है. फिर भी, यह नीदरलैंड के लिए नुकसानदायक है. उनके पवन फार्मों का उत्पादन कम हो रहा है. यह आर्थिक नुकसान का कारण बन सकता है.यह समस्या केवल बेल्जियम और नीदरलैंड तक सीमित नहीं है. ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस भी उत्तर सागर में बड़े पवन फार्म बना रहे हैं. रेमको का कहना है कि बेहतर योजना जरूरी है. इससे विवादों को रोका जा सकता है. अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो जमीन और पानी की तरह हवा को लेकर भी विवाद होने शुरू हो जाएंगे.About the AuthorVikas SharmaAs an exclusive digital content Creator, specifically work in the area of Science and technology, with special interest in International affairs. A civil engineer by education, with vast experience of training...और पढ़ेंAs an exclusive digital content Creator, specifically work in the area of Science and technology, with special interest in International affairs. A civil engineer by education, with vast experience of training... और पढ़ेंभारत पाकिस्तान की ताज़ा खबरें News18 India पर देखेंhomeajab-gajabएक देश चुरा रहा है दूसरे की हवा, हकीकत में लगाया गया है ऐसा आरोप!और पढ़ें