हाल ही में गुरुग्राम के फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां डॉक्टरों ने एक 70 वर्षीय बुजुर्ग मरीज के पित्ताशय (Gallbladder) से 8,125 स्टोन निकाले। बुजुर्ग व्यक्ति लंबे समय से पेट दर्द, बीच-बीच में बुखार, भूख न लगने, कमजोरी और सीने व पीठ में भारीपन जैसी कई समस्याओं से जूझ रहा था। सर्जरी के बाद अब मरीज को इन समस्याओं से राहत मिली है। मेडिसिन की भाषा में इस बीमारी को गॉलस्टोन कहा जाता है और इसे ठीक करने के लिए जो सर्जरी की जाती है, उसे कोलिसिस्टेक्टॉमी (Cholecystectomy) कहते हैं। पिछले कुछ सालों में गॉलस्टोन के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। इसका मुख्य कारण हमारी खराब लाइफस्टाइल और असंतुलित खानपान है। ग्लोबल डेटा डॉट कॉम की एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2022 में भारत में गॉल ब्लैडर से जुड़ी लगभग 32.9 लाख सर्जरी की गई थी। वहीं क्लिनिकल गैस्ट्रोएंटेरोलॉजी एंड हेपेटोलॉजी जर्नल में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, दुनिया की लगभग 6% आबादी गॉलस्टोन की समस्या से जूझ रही है। अमेरिका में यह आंकड़ा लगभग 15% है। अनुमान है कि आने वाले समय में यह समस्या और भी तेजी से बढ़ सकती है। हालांकि कुछ सावधानियों और लाइफस्टाइल में बदलाव के साथ गॉलस्टोन के खतरे से बचा जा सकता है। तो चलिए, आज फिजिकल हेल्थ कॉलम में हम गॉलस्टोन के बारे में विस्तार से बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि- शरीर में गॉल ब्लैडर का काम गॉल ब्लैडर (पित्त की थैली) पेट के दाहिनी ओर, लिवर के ठीक नीचे स्थित एक छोटा नाशपाती के आकार का अंग है। यह पित्त को स्टोर करता है और जरूरत पड़ने पर उसे छोटी आंत में छोड़ता है। पित्त का काम भोजन में मौजूद फैट को छोटे-छोटे हिस्सों में तोड़कर उन्हें पचाने में मदद करना है। वहीं जब गॉल ब्लैडर में पथरी (स्टोन) बन जाती है तो इसका सीधा असर पाचन तंत्र पर पड़ता है। इससे खाना पचाना मुश्किल हो जाता है और पेट दर्द, अपच जैसी समस्याएं होने लगती हैं। गॉलस्टोन क्यों होता है? जब हमारे पित्ताशय के भीतर मौजूद पित्त में कोलेस्ट्रॉल, बिलीरुबिन जैसे तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है तो ये अतिरिक्त तत्व पित्ताशय की दीवारों पर जमा होने लगते हैं। समय के साथ ये कठोर होकर पथरी यानी स्टोन का रूप ले लेते हैं। आइए जानते हैं कि ऐसे कौन-से कारण हैं, जो पित्ताशय में स्टोन का कारण बन सकते हैं। कोलेस्ट्रॉल ज्यादा होने से अगर आप ज्यादा फैट खा रहे हैं और आपके खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बहुत ज्यादा बढ़ गई है तो पित्त में भी इसकी मात्रा बढ़ जाएगी। वह एक्स्ट्रा कोलेस्ट्रॉल पित्ताशय की दीवारों पर जमा हो जाता है और धीरे-धीरे स्टोन का रूप ले लेता है। बिलीरुबिन ज्यादा होने से बिलीरुबिन एक बाय-प्रोडक्ट है, जो रेड ब्लड सेल्स के टूटने से बनता है। अगर शरीर में बहुत अधिक बिलीरुबिन है तो इसका कारण यह हो सकता है कि व्यक्ति को कोई ब्लड डिसऑर्डर है, जो बहुत अधिक रेड ब्लड सेल्स को खराब कर रहा है या फिर लिवर में कोई समस्या है। जरूरत से ज्यादा बिलीरुबिन भी पित्ताशय में स्टोन का कारण बन सकता है। बाइल एसिड की कमी से कुछ बीमारियां ‘बाइल एसिड मालएब्सॉर्प्शन’ का कारण बन सकती हैं, जिसका मतलब है कि शरीर से शौच के रास्ते बहुत ज्यादा बाइल एसिड निकल रहा है। बाइल एसिड की कमी के कारण पित्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे पथरी बनने का खतरा होता है। गॉल ब्लैडर के ठीक काम न करने से अगर गॉल ब्लैडर ठीक ढंग से काम नहीं कर पाता है तो वह पित्त को खाली नहीं कर पाता है। ऐसे में पित्त गाढ़ा होकर जमने लगता है और स्टोन बनने लगते हैं। गॉलस्टोन के रिस्क फैक्टर कुछ लोगों में गॉलस्टोन का खतरा ज्यादा होता है। इसकी वजहें शरीर की स्थिति, लाइफस्टाइल या जेनेटिक्स से जुड़ी हो सकती हैं। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए- गॉलस्टोन के लक्षण गॉलस्टोन के कई मामलों में कोई लक्षण नहीं दिखाई देते, इसलिए इसे 'साइलेंट स्टोन' भी कहा जाता है। लेकिन जब यह स्टोन पित्त नली (bile duct) में फंस जाते हैं तो तेज दर्द के साथ मतली, उल्टी और पीलिया जैसे लक्षण हो सकते हैं। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए- गॉलस्टोन का इलाज इसका सबसे बेहतर इलाज गॉल ब्लैडर हटाने की सर्जरी है। ये आमतौर पर लेप्रोस्कोपिक तकनीक से होती है और बहुत सुरक्षित मानी जाती है। इसे निकालने के बाद भी व्यक्ति सामान्य जीवन जी सकता है क्योंकि सर्जरी के बाद पित्त सीधा लिवर से छोटी आंत में पहुंचता है। अगर गॉल ब्लैडर में ज्यादा सूजन, इन्फेक्शन या जख्म हो तो डॉक्टर ओपन सर्जरी की भी सलाह दे सकते हैं। गॉलस्टोन से कैसे बचें गॉलस्टोन से पूरी तरह बचने का कोई खास तरीका तो नहीं है, लेकिन कुछ हेल्दी आदतें अपनाकर इसके खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है। चूंकि गॉलस्टोन बनने में कोलेस्ट्रॉल की भूमिका अहम होती है, इसलिए ऐसी लाइफस्टाइल और डाइट चुनें, जो शरीर में कोलेस्ट्रॉल के लेवल को संतुलित रखे। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए- गॉलस्टोन से जुड़े कुछ कॉमन सवाल और जवाब सवाल- क्या गॉल ब्लैडर में 8000 स्टोन बनना सामान्य बात है? जवाब- गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. आशीष कुमार बताते हैं कि नहीं, ये बहुत ही रेयर है। आमतौर पर गॉल ब्लैडर में सीमित संख्या में ही स्टोन बनते हैं। सवाल- गॉलस्टोन का पता कैसे लगाया जाता है? जवाब- इसके लिए डॉक्टर सबसे पहले मरीज की मेडिकल हिस्ट्री लेते हैं और फिजिकल एग्जामिनेशन करते हैं। साथ ही गॉलस्टोन की स्थिति देखने के लिए अल्ट्रासाउंड कराते हैं। आमतौर पर अल्ट्रासाउंड से ही स्टोन का पता चल जाता है। लेकि गंभीर मामलों में एब्डोमिनल सीटी स्कैन, कोलांजियोग्राम, एमआरआई स्कैन, गॉल ब्लैडर रेडियोन्यूक्लाइड स्कैन जैसी कुछ जांचें की जा सकती हैं। सवाल- क्या गॉलस्टोन अपने आप निकल सकते हैं? जवाब- डॉ. आशीष कुमार बताते हैं कि गॉलस्टोन बिना इलाज के खुद से नहीं निकलते हैं। कभी-कभी एकाध छोटा स्टोन पाचन तंत्र के रास्ते पॉटी के साथ बाहर आ सकता है, लेकिन बाकी स्टोन शरीर में रह जाते हैं। सवाल- क्या सर्जरी के बाद स्टोन बनने का खतरा नहीं होता है? जवाब- डॉ. आशीष कुमार बताते हैं कि सर्जरी में पूरा गॉल ब्लैडर ही निकाल दिया जाता है, इसलिए उसमें दोबारा स्टोन बनने की संभावना नहीं रहती है। सवाल- क्या हेल्दी लाइफस्टाइल से गॉलस्टोन के खतरे से पूरी तरह बचा जा सकता है? जवाब- नहीं, इससे 100% बचाव नहीं होता क्योंकि कुछ मामलों में जेनेटिक और हॉर्मोनल कारण भी इसके जिम्मेदार होते हैं। सवाल- अगर गॉलस्टोन का इलाज न किया जाए तो क्या हो सकता है? जवाब- इससे कई बार गंभीर स्थिति पैदा हो सकती है। जैसेकि- सवाल- गॉल ब्लैडर सर्जरी के बाद क्या साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं? जवाब- सर्जरी के बाद शुरुआती कुछ दिनों तक पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती है। लेकिन अधिकतर लोगों में ये धीरे-धीरे ठीक हो जाती है। हालांकि सर्जरी के बाद खानपान में बदलाव की जरूरत होती है। इस बारे में हमने पहले भी एक स्टोरी में विस्तार से बात की है। इसे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें। ................... फिजिकल हेल्थ की ये खबर पढ़िए किडनी स्टोन के इन 7 लक्षणों को न करें इग्नोर: हाइड्रेशन और हेल्दी डाइट से कम होता है रिस्क, जानें बचने के 7 आसान उपाय एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ नेफ्रोलॉजी एंड यूरोलॉजी (AINU) के एक्सपर्ट्स के मुताबिक, गर्मियों में युवाओं में किडनी स्टोन के मामले बढ़ने के पीछे कई कारण हैं। इनमें डिहाइड्रेशन यानी शरीर में पानी की कमी एक मुख्य वजह है। इसके अलावा खराब लाइफस्टाइल इस खतरे को और बढ़ा देती है। पूरी खबर पढ़िए...