Reported by:Nitesh UchbagleEdited by:Rishi mishraAgency:Local18Last Updated:May 31, 2025, 07:30 ISTBalaghat News: बालाघाट का बड़ा इलाका जंगल है. यहां वनोपज भी खूब है. इन दिनों बालाघाट के हरे सोने की डिमांड खूब बढ़ गई है. छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, हैदराबाद के व्यापारी इसे खरीद रहे हैं, लेकिन इसको लाना इतना आसान नही...और पढ़ेंइम्पैक्ट शॉर्ट्ससबसे बड़ी खबरों तक पहुंचने का आपका शॉर्टकटXआदिवासियों की आय के साधन हरा सोनाहाइलाइट्सबालाघाट के जंगल में मिलने वाले इन पत्तों की हैदराबाद तक डिमांडहरे पत्तों से आदिवासियों की आय 10-15 हजार रुपये तक बढ़ गईबाघ की दहशत के बावजूद ग्रामीण पत्ते और महुआ इकट्ठा कर रहेBalaghat News: मध्य प्रदेश में बालाघाट जिला वन के मामले में अव्वल है. यहां के करीब 53 प्रतिशत भू-भाग में जंगल है. ऐसे में यहां पर वनोपज की भी भरमार है. इनकी डिमांड दूर दराज तक है. इन्हीं में से एक वनोपज है तेंदू का पेड़. इसका फल ही नहीं, इसके पत्ते भी आय का स्त्रोत बन रहे हैं. बालाघाट के ग्रामीण अंचलों में ये पेड़ आदिवासियों के लिए स्वाद और शक्ति के साथ आमदनी का जरिया भी है. इस पेड़ के फल के साथ पत्तों की भी भारी डिमांड है.तेंदू पेड़ से मिलता है हरा सोनाबालाघाट के जंगलों में तेंदू का पेड़ बहुत ज्यादा मात्रा में पाया जाता है. ऐसे में लोग इसे तोड़ने जाते हैं. वहीं, तेंदू के पेड़ से स्वादिष्ट और पौष्टिक फल मिलते हैं, तो वहीं दूसरी तरफ इसके पत्ते ग्रामीण अंचलों में लोगों के लिए आजीविका का साधन होते हैं. गर्मियों के दौरान ही तेंदू पत्ता इकठ्ठे करने का काम किया जाता है.तेंदू पत्ता नहीं हरा सोना बालाघाट के जंगलों में पाए जाने वाले तेंदू के पेड़ से लोग सुबह जाकर पत्ते तोड़ते हैं. इसके बाद उन पत्तों को घर लेकर आते हैं. उन पत्तों की गड्डी बनाते हैं. जिसके बाद लघु वनोपज समितियों के माध्यम से निर्धारित दर पर इसकी खरीदी की जाती है. फिलहाल, बालाघाट जिले में ₹400 प्रति सैकड़ा की दर से तेंदूपत्ता संग्रहण का काम जारी है. इससे ग्रामीणों को करीब 10 से 15 हजार रुपये की आय होती है.हैदराबाद तक इसकी डिमांडबालाघाट में इस साल तेंदू पत्ता की गुणवत्ता बेहतर रही है. इसकी मांग हैदराबाद तक पहुंच गई है. महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के व्यापारी भी खरीदारी के लिए बालाघाट आ रहे हैं. उत्तर सामान्य वनमंडल ने 41,578 मानक बोरा और दक्षिण सामान्य वन मंडल ने 30,890 मानक बोरा का लक्ष्य पार किया है.जान जोखिम में डाल कर लाते हैं गांवों में इस समय तेंदू पत्ता और महुआ इकट्ठा करने का सीजन है, जिससे लोग 10 से 15 हजार रुपए तक कमा लेते हैं. यह कमाई उनके लिए बरसात के दिनों में बहुत जरूरी होती है. लेकिन, बाघ की दहशत ने यह कमाई भी छीन ली है. वन विभाग ने साफ चेतावनी दी कि अगर कोई ग्रामीण जंगल जाता है और हादसे का शिकार होता है. ऐसे में विभाग जिम्मेदार नहीं होगा.भारत पाकिस्तान की ताज़ा खबरें News18 India पर देखेंhomemadhya-pradeshबालाघाट के 'हरे सोने' की हैदराबाद तक डिमांड, इनकम भी डबल..पर खतरे में इनकी जानऔर पढ़ें