भारत की पूर्वी रणनीति: थाईलैंड तक हाईवे से चीन को जवाब

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Agency:News18IndiaLast Updated:May 30, 2025, 04:31 ISTIndia Myanmar Thailand Highway: भारत का IMT हाईवे प्रोजेक्ट कोलकाता से बैंकॉक तक 1,360 किमी लंबा है, जो व्यापार, पर्यटन और कूटनीति को बढ़ावा देगा. म्यांमार में अस्थिरता के बावजूद भारत 2027 तक इसे पूरा करने की य...और पढ़ेंइम्पैक्ट शॉर्ट्ससबसे बड़ी खबरों तक पहुंचने का आपका शॉर्टकटहाईवे की प्रतिकात्‍मक तस्‍वीर.हाइलाइट्सभारत का IMT हाईवे प्रोजेक्ट 1,360 किमी लंबा है.भारत ने म्यांमार के हिस्से के लिए 1,177 करोड़ रुपये की मदद दी है.भारत का हाईवे ASEAN देशों के साथ व्यापार बढ़ा सकता है.किशोर अजवाणीजब पूरी दुनिया चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) की चर्चा में व्यस्त है, तब भारत चुपचाप एक ऐसी रणनीति पर काम कर रहा है जो न केवल दक्षिण-पूर्व एशिया से भारत को जोड़ेगी बल्कि उत्तर-पूर्व भारत के कायाकल्प का आधार भी बनेगी. CPEC के जरिए चीन अपने शिनजियांग क्षेत्र को पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट से जोड़ रहा है. मगर सवाल यह है कि क्या भारत हाथ पर हाथ रखे बैठा है? नहीं. भारत भी एक बड़ी योजना पर वर्षों से काम कर रहा है—इंडिया-म्यांमार-थाईलैंड ट्राइलेटरल हाईवे (IMT).कोलकाता से बैंकॉक तक सीधा रास्तायह हाईवे भारत के कोलकाता से शुरू होकर मणिपुर के मोरेह तक जाता है. वहां से म्यांमार होते हुए थाईलैंड के माए सोट और फिर बैंकॉक तक पहुंचता है. कुल लंबाई है करीब 1,360 किलोमीटर, जिसमें से भारत का हिस्सा मोरेह तक 2,800 किमी से ज्यादा लंबा है. यह हाईवे कोई साधारण सड़क नहीं बल्कि व्यापार, पर्यटन और कूटनीति का पुल है. इसके ज़रिए भारत, म्यांमार और थाईलैंड के बीच आसान और तेज़ परिवहन संभव होगा.2002 में बनी योजना, 2004 में बनी सहमतिभारत ने इस प्रोजेक्ट की योजना 2002 में बनाई थी और 2004 में तीनों देशों—भारत, म्यांमार और थाईलैंड—ने मिलकर इसे मंजूरी दी. भारत ने म्यांमार के हिस्से के लिए 1,177 करोड़ रुपये की मदद दी है. म्यांमार में सड़क का प्रमुख हिस्सा कालेवा से यागी तक बनना था और 69 पुराने पुलों का नवीनीकरण भी इसमें शामिल था. थाईलैंड ने अपने हिस्से का काम 2019 में ही पूरा कर लिया है.कहां अटका है पेंच?2021 में म्यांमार की सेना ने सत्ता पर कब्जा कर लिया, जिससे वहां सागाइंग और चिन राज्यों में संघर्ष बढ़ गया. यही वजह है कि सड़क निर्माण कार्य का 70% हिस्सा पूरा होने के बावजूद यह प्रोजेक्ट रुका पड़ा है. अब लक्ष्य है कि इसे 2027 तक पूरा कर लिया जाए.भारत की रणनीति: शतरंज की चाल, शांति से लेकिन धारदारयह सड़क न केवल भारत को थाईलैंड से जोड़ेगी बल्कि भविष्य में इसे कंबोडिया, लाओस और वियतनाम तक बढ़ाया जा सकता है. इससे भारत का ASEAN देशों के साथ व्यापार 20-30% तक बढ़ सकता है, जो अभी 44 अरब डॉलर के आसपास है. मणिपुर, मिज़ोरम जैसे पूर्वोत्तर राज्य इस प्रोजेक्ट से व्यापारिक केंद्र बन सकते हैं और बौद्ध पर्यटन को भी नई दिशा मिलेगी. यह परियोजना करीब 70 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था और 2 करोड़ से ज्यादा नौकरियों की संभावना खोल सकती है.चीन को कड़ा जवाब: एक और वैकल्पिक रास्ताम्यांमार में अस्थिरता को देखते हुए भारत ने मिज़ोरम के ज़ोखावथार से टेडिम तक एक और वैकल्पिक सड़क परियोजना शुरू कर दी है, जिसमें जापान और एशियन डेवेलपमेंट बैंक मदद कर रहे हैं. इसके अलावा तीनों देशों के बीच IMT मोटर वाहन समझौते की तैयारी चल रही है, ताकि यूरोप की तर्ज पर वाहन एक देश से दूसरे में बिना अड़चन के जा सकें.तकनीकी व पर्यावरणीय चुनौतियांम्यांमार के पहाड़ी और जंगली क्षेत्रों में निर्माण कार्य कठिन है. साथ ही वहां की संवेदनशील जनजातियों और पर्यावरणीय पहलुओं को भी ध्यान में रखा जा रहा है. इसके लिए सभी संबंधित प्रक्रियाएं जारी हैं.चीन के CPEC का जवाब है भारत का हाईवेCPEC जहां बलूच विद्रोहियों और पाकिस्तानी अस्थिरता से जूझ रहा है, वहीं भारत का ये प्रोजेक्ट थोड़ी धीमी गति से ही सही, मगर स्थिर और दूरदर्शी योजना के तहत आगे बढ़ रहा है. यह कहानी सड़क की नहीं, भारत की ताकत की है, जो बिना शोर के दुनिया को नई दिशा दे रही है.सौ बात की एक बात: जब कोई आपसे चीन की CPEC की बात करे, तो याद दिलाइए कि भारत भी ऐसा रास्ता बना रहा है जो सिर्फ़ सड़क नहीं, साफ-सुथरी रणनीति और स्थायी ताकत का प्रतीक है.भारत पाकिस्तान की ताज़ा खबरें News18 India पर देखेंhomenationभारत की पूर्वी रणनीति: थाईलैंड तक हाईवे से चीन को जवाबऔर पढ़ें