मेंटल हेल्थ– ऑफिस मीटिंग में बोलने में डर लगता है:लड़कियों से बात करते हुए हकलाने लगता हूं, इस डर से कैसे निजात पाऊं

Wait 5 sec.

सवाल– मेरी उम्र 28 साल है और मैं नोएडा में एक आईटी कंपनी में काम करता हूं। मैं पहली बार रांची से बाहर निकला हूं और घर से दूर अकेले रहकर जॉब करने का ये पहला मौका है। मैं हमेशा से ही थोड़ा कम बोलने वाला और दब्बू किस्म का बच्चा था। स्कूल में भी इस कारण मुझे काफी बुली किया गया है। मेरे कभी कोई दोस्त भी नहीं रहे। मेरे पापा की डेथ बहुत बचपन में ही हो गई थी। मेरी मां सिंगल मदर हैं। घर में सिर्फ मैं और मम्मी ही हैं और हमारी कुछ ज्यादा सोशल सर्कल भी नहीं है। मेरी प्रॉब्लम ये है कि मुझे लोगों से मिलने–जुलने और बात करने में डर लगता है। ऑफिस में भी मैं किसी से घुल–मिल नहीं पाता। मीटिंग में प्रेजेंटेशन देते हुए घबराने लगता हूं, जिसका असर मेरी प्रोफेशनल ग्रोथ पर भी पड़ रहा है। ऑफिस में सब मुझे एरोगेंट समझते हैं, जो कि सच नहीं है। मुझे लड़कियों से बात करने में भी अजीब सी घबराहट और संकोच होता है। देखकर ही हकलाने लगता हूं। जब तक रांची में था तो इतना ज्यादा अकेलापन नहीं लगा, जितना अब नोएडा आकर फील होता है। मेरा कोई दोस्त नहीं। मुझे क्या करना चाहिए। एक्सपर्ट– डॉ. द्रोण शर्मा, कंसल्टेंट साइकेट्रिस्ट, आयरलैंड, यूके। यूके, आयरिश और जिब्राल्टर मेडिकल काउंसिल के मेंबर। जवाब– खुलकर आने और सवाल पूछने के लिए आपका बहुत शुक्रिया। आपका सवाल पढ़ने के बाद मुझे जो शुरुआती कंसर्न नजर आ रहे हैं, वो कुछ इस प्रकार हैं– 1. सोशल एंग्जाइटी डिसऑर्डर (SAD) टेस्ट आपने अपने सवाल में जिस सोशल फिअर या डर के बारे में लिखा है, जहां आपको इस बात का डर सताता है कि लोग आपको जज कर रहे हैं। इस कारण आप बात करने, पब्लिकली बोलने से डरते हैं। ये सोशल एंग्जाइटी डिसऑर्डर (SAD) के संकेत हैं। SAD के कारण अकसर चाइल्डहुड बुलिंग और सोशल रिजेक्शन के अनुभवों में छिपे होते हैं SAD सेल्फ स्क्रीनिंग टेस्ट आप SAD के स्पेक्ट्रम में कहां खड़े हैं, ये जानने के लिए हम एक सोशल एंग्जाइटी सेल्फ स्क्रीनिंग करेंगे। यहां हम Liebowitz सोशल एंग्जाइटी स्केल का इस्तेमाल करेंगे। नीचे ग्राफिक में दिए गए सवालों को ध्यान से पढ़ें और खुद को नीचे दिए गए स्कोर चार्ट के हिसाब से नंबर दें। 2. सेल्फ इस्टीम टेस्ट लंबे समय तक सोशल आइसोलेशन झेलने, बुली का शिकार होने और मददगार रिश्तों की कमी के कारण आपकी जो एक सेल्फ इमेज बन गई है, वो ऐसी है कि जिसमें आप खुद को मूल्यवान नहीं समझते। सेल्फ वर्थ का एहसास कम हो गया है। इसके स्पेक्ट्रम को समझने के लिए हम सेल्फ इस्टीम टेस्ट करेंगे, जिसके लिए हम रोजेनबर्ग सेल्फ इस्टीम स्केल (RSE) का इस्तेमाल करेंगे। नीचे ग्राफिक में 10 सवाल दिए हुए हैं। इन सवालों को ध्यान से पढ़ें और खुद को नीचे दिए गए स्कोर चार्ट के हिसाब से नंबर दें। सेल्फ हेल्प प्लान ऊपर दिए गए दोनों सेल्फ एसेसमेंट करने के बाद अब हम बात करेंगे सेल्फ हेल्प प्लान की। आपके लिए इस प्लान को डिजाइन करते हुए मैंने इन बेसिक टेकनीक का सहारा लिया है। इसमें अब हम सबसे पहले बात करेंगे कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी (CBT) की। स्टेप 1 अपने नकारात्मक विचारों और सोच को रीस्ट्रक्चर करना इसके लिए सबसे पहले हमारे मन में जो भी नेगेटिव ख्याल आते हैं, उनके बारे में तार्किक ढंग से सोचने का अभ्यास करना होता है। ये एक डेली प्रैक्टिस है, जो आपको हर उस स्थिति के लिए करनी चाहिए, जिसे लेकर आपके मन में डर या नेगेटिव ख्याल हैं। समस्या: मैं सोशलाइज नहीं कर पाता। लोग समझते हैं कि मैं एरोगेंट हूं। समाधान: एक 'थॉट डायरी' लिखना शुरू करें। इसे विचारों की डायरी भी कह सकते हैं। नीचे ग्राफिक में इसका एक उदाहरण है। स्टेप 2 सोशल एंग्जाइटी को धीरे-धीरे कम करना इसके लिए आपको खुद को एक टारगेट देना है। और हर रोज अपनी डायरी में लिखना है कि आपने अपना टारगेट पूरा किया या नहीं। जैसेकि किसी कुलीग को देखकर मुस्कुरा, हलो कहना, कुलीग्स के साथ बैठकर लंच करना। रोज एक छोटा-छोटा कदम बढ़ाना है। नीचे दिए ग्राफिक के मुताबिक अपनी डायरी में एक ग्राफिक बनाइए और रोज हां या ना में उसका जवाब लिखिए। स्टेप 3 सेल्फ इस्टीम डेवलप करना सेल्फ इस्टीम डेवलप करने के तीन प्रमुख हिस्से हैं: A. डेली अचीवमेंट जर्नल यानी रोज की उपलब्धियों को डायरी में लिखना रोज अपनी कोई तीन उपलब्धियां डायरी में नोट करें- B. एसर्टिवनेस या सकारात्मकता की प्रैक्टिस करना मैं, मुझे, मेरा, मेरे लिए शब्दों के साथ वाक्य बोलने का अभ्यास करें : C. सेल्फ कंपैशन का अभ्यास रोज सुबह एक आईने के सामने खड़े हों और खुद से कहें: स्टेप 4 नए एडल्ट फ्रेंड्स बनाने की प्रैक्टिस करना स्टेप 5 वर्कप्लेस स्किल ट्रेनिंग ऑफिस में खुद को लोगों से इंट्रोड्यूज करने की प्रैक्टिस करें। छोटे-छोटे संवाद करें। फैमिली, हॉबी, मोटिवेशन, सिनेमा, म्यूजिक, इंटरेस्ट वगैरह के बारे में स्मॉल टॉक करें। कुछ उदाहरण: स्टेप 6 डेली सेल्फ रेगुलेशन प्रैक्टिस इससे अपने इमोशंस को कंट्रोल करने और एंग्जाइटी को कम करने में मदद मिलती है। इस प्रैक्टिस के दो हिस्से हैं: A. ब्रीदिंग प्रैक्टिस जब भी सोशल एंग्जाइटी महसूस हो तो ये ब्रीदिंग प्रैक्टिस करें। B. ग्राउंडिंग टेकनीक (5–4–3–2–1) जब भी एंग्जाइटी महसूस हो तो इस ग्राउंडिंग टेकनीक का अभ्यास करें। इस टेकनीक में हम अपने सारे सेंसेज का इस्तेमाल करते हैं। इसे इस उदाहरण से समझें। जब आपका ब्रेन एंग्जाइटी से परेशान हो तो उसे भटकाने के लिए आप इस टेक्नीक का अभ्यास कर रहे हैं। आपके ब्रेन ने सोचना शुरू किया: स्टेप 6 प्रोफेशनल हेल्प कब लें अगर 6 से 8 हफ्ते तक इस सेल्फ हेल्प प्लान पर काम करने के बाद भी आपके मन में नीचे दिए ख्याल आ रहे हों तो आपको तुरंत प्रोफेशनल मदद की जरूरत है। हमेशा याद रखें- आप टूटे हुए नहीं हैं। आप बदलाव के दौर से गुजर रहे हैं। आपके बचपन के अनुभवों ने सामाजिक जीवन को थोड़ा मुश्किल बना दिया है। लेकिन आपका अतीत, आपका वर्तमान नहीं तय करता। आप उससे परिभाषित नहीं होते। आप अभी भी सीख सकते हैं, खुद को बदल सकते हैं और आगे बढ़ सकते हैं।..................... ये खबर भी पढ़ें... फैटी लिवर का कारण बन सकती है ये आदत:जब परेशानी में ज्यादा खाना लगे अच्छा, तो समझें आप इमोशनल ईटिंग के शिकार हैं मेरी उम्र 33 साल है और मैं रांची में रहता हूं। मुझे लगता है कि पिछले डेढ़ साल से मैं इमोशनल ईटिंग का शिकार हूं। जब भी कोई तनाव या परेशानी होती है तो मैं पूरा पैकेट चिप्स, केक, कुकीज या आइसक्रीम का पूरा बॉक्स खा जाता हूं। इस वजह से मेरा वजन भी बढ़ रहा है। हाल ही में ब्लड टेस्ट कराया तो उसमें फैटी लिवर निकला। पूरा दिन कंट्रोल भी करता हूं, लेकिन फिर रात होते-होते स्नैक्स का पैकेट खोल ही लेता हूं। क्या ये मेंटल हेल्थ इश्यू है? पूरी खबर पढ़िए...