वो डर, वो दौर फिर नहीं देखना चाहते बिहार के लोग; नीतीश का फेस,समझिये ये संकेत!

Wait 5 sec.

Agency:News18 BiharLast Updated:May 31, 2025, 17:08 ISTBihar Chunav 2025: वो डर और वो दौर अब इतिहास बन चुका है...प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सासाराम विक्रमगंज की सभा संबोधित करते हुए बिहार के लोगों को फिर जंगलराज की याद दिलाने की कोशिश की. उनके निशाने पर सीधे तौर ...और पढ़ेंइम्पैक्ट शॉर्ट्ससबसे बड़ी खबरों तक पहुंचने का आपका शॉर्टकटप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार में जंगलराज का मुद्दा उठाया.हाइलाइट्सप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार रैली में जंगलराज का जिक्र किया.सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व की पीएम नरेंद्र मोदी ने तारीफ की.एनडीए ने बिहार चुनाव में जंगलराज का मुद्दा उठाने के संकेत दिए.पटना. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के विक्रमगंज की रैली में कहा कि मैंने बिहार के लोगों के सामने दिया वह वादा पूरा किया जिसमें आतंकवादियों को मिट्टी में मिला देने की बात कही थी. मैं अपना यह वचन पूरा करके ही बिहार आया हूं. ऑपरेशन सिंदूर और पाकिस्तान के जिक्र के बीच पीएम मोदी ने कई बातें कहीं और लोगों का उत्साह चरम पर था. राष्ट्रीय मुद्दों की बातों के बीच तालियों की गूंज से जनता पीएम मोदी के संबोधन का समर्थन करती जा रही थी, लेकिन इसी दौरान पीएम मोदी ने बिहार से मुद्दा उठाया और जंगलराज की बात उठा दी और बिहार चुनाव को लेकर अपनी रणनीति पर आगे बढ़ चले. पीएम मोदी ने बिहार के विकास और शांति-सुरक्षा की बात करते हुए कहा कि जंगलराज के डर वाला दौर बीत चुका है. पीएम मोदी ने आखिर जंगलराज की बात क्यों उठाई राजनीति के जानकार इसको अपने नजरिये से देखते हैं. लेकिन आइये पहले वह पूरी बात जानते हैं कि जिसमें पीएम मोदी ने जंगलराज की बात की चर्चा की.पीएम मोदी ने संबोधन में कहा, बिहार में शांति, सुरक्षा, शिक्षा और विकास गांव-गांव तक बिना रुकावट के पहुंचेंगे. जब सुरक्षा और शांति आती है तभी विकास के नए रास्ते खुलते हैं. यहां नीतीश कुमार के नेतृत्व में जब जंगलराज वाली सरकार की विदाई हुई तो बिहार भी प्रगति के मार्ग पर आगे बढ़ने लगा. टूटे हाईवे, खराब रेलवे, गिनी चुनी फ्लाइट कनेक्टिविटी…वो डर और वो दौर अब इतिहास बन चुका है. जाहिर तौर पर पीएम मोदी ने जंगलराज का जिक्र कर बिहार में राष्ट्रवाद, हिंदुत्व और विकासवाद के साथ ही जंगलराज की राजनीति के आधार पर अगले चुनाव में जाने की ओर इशारा कर दिया. यह भी संकेत दे दिया कि एनडीए जंगलराज का मुद्दा बार-बार याद दिलाता रहेगा. राजनीति के जानकार कहते हैं कि बिहार विधानसभा चुनावों में इस बार जनता के सामने सबसे बड़ा मुद्दा लालू-राबड़ी के 15 साल बनाम नीतीश के 19 साल बनने वाला है, क्योंकि एनडीए ही नहीं अब नीतीश सरकार के सत्ता विरोधी रुझान के साथ ही कानून-व्यवस्था के मुद्दे को लगातार उठा रहा है.नीतीश शासनकाल की कमिया भी उजागरदरअसल, इसी वर्ष अक्टूबर-नवंबर में बिहार विधानसभा चुनाव संभावित है और बिहार एनडीए ने अपनी तैयारियां काफी पहले से शुरू कर दी हैं. पीएम मोदी और नीतीश सीएम नीतीश की जोड़ी के कारण बढ़त तो जरूर दिखती है, लेकिन साथ ही 19 वर्षों के नीतीश कुमार के शासनकाल के दौरान की कमियां भी अब उजागर होती जा रहीं हैं. विशेषकर कानून और व्यवस्था के मुद्दे पर कई बार नीतीश सरकार फजीहत झेलती रही है. बालू माफियाओं का खुला आतंक और शहरों, कस्बों और सार्वजनिक जगहों पर अपराधियों का तांडव दिखता रहा है. राजधानी पटना में भी कई बार खुलेआम फायरिंग और मर्डर की घटनाएं हुई हैं.ऐसे में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव बिहार की कानून व्यवस्था का मुद्दा लगातार उठाते रहे हैं और नीतीश सरकार को नाकाम बताने का उनका प्रयास रहा है.मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार में सुशासन के प्रतीक कहे जाते हैं.नैरेटिव बदलने की कोशिश कर रहे तेजस्वी5 अगस्त 1997 को जब पटना हाईकोर्ट ने बिहार की तत्कालीन राबड़ी देवी सरकार पर टिप्पणी करते हुए ‘जंगल राज’ की बात कही थी तो उस समय बिहार के कई इलाकों में अपराध चरम पर थे. उस दौर को याद कर लोग आज भी सिहर उठते हैं और आरजेडी के विरोध में रहने वाली पार्टियां इसे जनता के जेहन से जाने देना भी नहीं चाहतीं. यही कारण है कि आज भी एनडीए के नेता लगातार जंगलराज की चर्चा करते हैं. राजनीति के जानकार कहते हैं कि यह ऐसा नैरेटिव है जो आरजेडी की छवि से जुड़ा हुआ है. ऐसे में राजद के लिए इससे छुटकारा पाना बिल्कुल ही आसान नहीं है. हालांकि, बबदले दौर में तेजस्वी यादव युवा चेहरे के तौर पर उभरे हैं और यूथ में जगह भी बनाई है. खासकर नौकरी और रोजगार की उनकी बातें लोगों को अपील करती है. साथ ही तेजस्वी यादव यह लगातार प्रयास करते हैं कि अपराध के मुद्दे पर नीतीश सरकार को भी उसी कठघरे में लाया जाए जिसमें कभी लालू-रबड़ी सरकार को खड़ा किया गया था.पीएम मोदी ने हर बार जंगलराज की चर्चा कीयही वह नैरेटिव था एनडीए की ओर से भी उसे शासनकाल को जी जब पटना हाईकोर्ट ने जंगल राज कहा था उसको जिसके बूते मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लाल यादव के शासन को उखाड़ फेंका था उसको नहीं छोड़ना चाहती राजनीति के जानकार बताते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब भी बिहार आए हैं तो उन्होंने जंगलराज की चर्चा जरूर की है 1990 से 2005 के बीच के शासनकाल को के की नाकामियों को उन्होंने पूरे तौर पर उठाया है वह अक्सर 1990 से 2005 और 2005 से लेकर मुख्य अब तक कि नीतीश कुमार के शासन काल की तुलना करते हैं और विकासवाद की बात करते हैं, लेकिन हाल के दिनों में तेजस्वी यादव ने भी अपनी रणनीति बदली है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राज में अपराध के मामलों को आंकड़ों के साथ वह सोशल मीडिया के जरिए और मीडिया से प्रत्यक्ष बात करते हुए सामने लाते रहते हैं.तेजस्वी यादव युवा चेहरे की बदौलत लालू यादव और राबड़ी देवी के दौर से आगे दिखना चाहते हैं.आरजेडी का विरोधी खेमा फ्रंटफुट पर खेलता हैवरिष्ठ पत्रकार अशोक कुमार शर्मा कहते हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने सुशासन के लिए जाने जाते रहे हैं. 2005 के बाद से ही जब से बिहार में सत्ता बदली तब से जंगल राज की चर्चा कम हुई. लेकिन यह भी बड़ा तथ्य है कि चुनाव दर चुनाव या मुद्दा उठता जरूर है और इसको लेकर जहां राजद बैकफुट पर खड़ा नजर आता रहा है वहीं आरजेडी का विरोधी खेमा फ्रंटफुट पर खेलता है. हल्का सा भी मौका लगा नहीं कि राजद के विरोध में जंगलराज का नैरेटिव शुरू हो जाता है और बिहार के इस घाव को कुरेदने में विरोधी पक्ष कोई कोर कसर नहीं छोड़ते.जंगलराज दोबारा नहीं देखने की कसम खाते लोगअब एक बार फिर चुनाव पास में है और पीएम नरेंद्र मोदी ने जंगल राज की बात फिर छेड़ दी है. निश्चित तौर पर अभी भी वह आबादी, जिसने जंगल राज के दंश को झेला है वह इसे याद करते ही बेचैन हो उठती है और इसे दोबारा कभी नहीं देखने की कसम खाती है. हालांकि, नई-नई पीढ़ी इससे रूबरू नहीं है, लेकिन अपने बुजुर्गों से सुनी सुनाई बातों का असर थोड़ा बहुत तो कर ही जाता है. हालांकि, यह नैरेटिव का खेल है तेजस्वी यादव लगातार इसको तोड़ने में लगे हुए हैं, जबकि एनडीए का खेमा इसको याद दिलाने में लगा हुआ है. अब देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले चुनाव में जंगलराज कितना बड़ा मुद्दा बन पाता है.भारत पाकिस्तान की ताज़ा खबरें News18 India पर देखें. बिहार की ताजा खबरें पढ़ने के लिए क्लिक करेंhomebiharवो डर, वो दौर फिर नहीं देखना चाहते बिहार के लोग; नीतीश का फेस,समझिये ये संकेत!और पढ़ें