इसके अलावा पशुपालकों को घास और चारे के बीज, साइलो पिट निर्माण की जानकारी तथा चारा संरक्षण तकनीक भी दी जाती है, जिससे वे खुद अपने खेतों में चारे का उत्पादन कर सकें और साल भर पशुओं के लिए पर्याप्त मात्रा में पोषण उपलब्ध हो सके.