तुर्कमेनिस्तान का कुख्यात नरक का द्वार, जो 1971 से लगातार जल रहा है, अब बंद होने की कगार पर है. सोवियत वैज्ञानिकों की गलती से शुरू हुई यह आग अब कमजोर पड़ रही है. विशेषज्ञों का कहना है कि गैस का प्रवाह कम होने से आग की लपटें मंद पड़ रही हैं.