ऑपरेशन ख़त्म होने के बाद हरमंदिर साहिब परिसर के अंदर और आसपास पड़े शवों के अंतिम संस्कार की ज़िम्मेदारी केवल कुमार को सौंपी गई थी. वो अब 73 साल के हैं और बताते हैं कि बीते 41 सालों में वो हरमंदिर साहिब में जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाए हैं.