100 साल बेमिसाल,गुरु दत्त की विरासत को रूपाली गांगुली ने दी श्रद्धांजली

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टीवी की फेमस एक्ट्रेस  रूपाली गांगुली ने भारतीय सिनेमा जगत के सितारे गुरु दत्त को उनकी 100वीं बर्थ एनिवर्सरी पर याद किया और  एक्स हैंडल पर एक भावुक नोट लिखा. एक्ट्रेस ने गुरु दत्त की कला एवं योगदान को याद किया और उनकी फिल्मों की तारीफ की.गुरु दत्त सिर्फ निर्देशक ही नहीं, बल्कि कवि भी थेएक्ट्रेस रूपाली गांगुली ने गुरु दत्त की 100वीं जयंती पर श्रद्धांजलि देते हुए उन्हें एक कवि के रूप में वर्णित किया. उन्होंने लिखा, "गुरु दत्त साहब को उनकी 100वीं जयंती पर नमन, उनके जन्म को 100 साल पूरे हो गए हैं, लेकिन फिर भी उनकी कला पहले से कहीं ज्यादा जीवंत लगती है. वे सिर्फ एक निर्देशक नहीं, बल्कि कवि भी थे, जो सिनेमा के जरिए अपनी बात कहते थे.रूपाली गांगुली ने कहा, प्यासा, कागज के फूल, साहिब बीबी और गुलाम। उनकी फिल्में सिर्फ देखी नहीं जातीं, बल्कि उन्हें महसूस भी किया जाता था. उनकी कहानियों में लालसा, प्रेम, क्षति सब कुछ समाहित थी और उन्होंने भारतीय सिनेमा पर अपनी अमिट छाप छोड़ी दी थी.  उनका जादू आज भी जिंदा हैरूपाली ने आखिरी में कहा, आज भी उनका काम हम सबके अंदर के कलाकार से बात करता है. वे बहुत जल्दी चले गए, लेकिन उनका जादू हमेशा जिंदा रहेगा. गुरु दत्त फिल्मेंगुरु दत्त ने अपने अभिनय की शुरुआत साल 1944 में 'चांद' में श्रीकृष्ण की भूमिका निभाकर की थी. गुरु दत्त ने कुल 8 हिंदी फिल्मों का निर्देशन किया, जिनमें बाजी (1951), जाल (1952), बाज (1953), आर-पार (1954), मिस्टर एंड मिसेज 55 (1955), सीआईडी (1956), प्यासा (1957) और कागज के फूल (1959) शामिल हैं. उनकी फिल्म प्यासा को टाइम मैगजीन की 20वीं सदी की 100 सर्वश्रेष्ठ फिल्मों की लिस्ट में शामिल किया गया, जबकि ‘कागज के फूल’ भारत की पहली सिनेमास्कोप तकनीक से तैयार फिल्म थी. वह खुद ही एक्टर, डायरेक्टर, प्रोड्यूसर, कोरियोग्राफर और राइटर तक की जिम्मेदारी निभाया करते थे.उनकी आखिरी फिल्म 1964 में ऋषिकेश मुखर्जी की 'सांझ और सवेरा' थी, जिसमें उन्होंने मीना कुमारी के साथ काम किया था. 10 अक्टूबर 1964 को महज 39 साल की उम्र में उनकी मौत हो गई. हालांकि, कुछ लोग उनकी मौत को दुर्घटना तो कुछ आत्महत्या मानते हैं.ये भी पढ़ें:-उदयपुर फाइल्स को क्यों बैन करना चाहते हैं मौलाना अरशद मदनी, असली वजह ये है