ट्रेड यूनियन के पदाधिकारियों का कहना है कि किसान और ग्रामीण मजदूर भी आज देशभर में विरोध प्रदर्शन में शामिल हो रहे हैं. सरकार ने हमारी 17 सूत्री मांगों को नजरअंदाज किया है. पिछले 10 सालों में वार्षिक मजदूर सम्मेलन भी नहीं बुलाया है. सरकार ने संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग कर जन आंदोलनों को अपराधी घोषित कर दिया है.