तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने सोमवार (7 जुलाई, 2025) को घोषणा की कि स्कूल और कॉलेज के निर्धन विद्यार्थियों के लिए राज्य सरकार की ओर से संचालित छात्रावास अब सामाजिक न्याय छात्रावास कहे जाएंगे. मुख्यमंत्री ने कहा कि द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) शासन में लैंगिक पहचान या जाति सहित किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होगा.मुख्यमंत्री ने यहां एक बयान में कहा, 'तमिलनाडु में स्कूल और कॉलेज में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लिए विभिन्न विभागों की ओर से संचालित किए जा रहे छात्रावासों को अब से सामाजिक न्याय छात्रावास कहा जाएगा. इसमें किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होगा.'स्टालिन ने इस ओर ध्यान केंद्रित किया कि उन्होंने जाति को संदर्भित करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द कॉलोनी को आधिकारिक अभिलेखों से हटा दिए जाने की राज्य विधानसभा में घोषणा की थी. मुख्यमंत्री ने बताया, 'यह प्रभुत्व और भेदभाव का प्रतीक और एक अपशब्द बन गया है, इसलिए इस शब्द को सरकारी दस्तावेजों से हटाने के लिए कदम उठाए जाएंगे.'स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति समुदाय के नामों के अंत में ‘एन’ और ‘ए’ शब्द का इस्तेमाल कर उनके सम्मान को बहाल किए जाने की अपनी अपील को दोहराया. उन्होंने बताया कि स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से 25 जून को एक सरकारी आदेश जारी किया गया था, जिसमें स्कूली छात्रों के बीच जातिगत और सांप्रदायिक संघर्ष और मतभेदों को रोकने, उनमें सद्भाव और सद्गुणों को विकसित करने के उपाय बताए गए थे.राज्य सरकार ने स्कूलों में जातिगत संघर्षों को रोकने के तरीकों का अध्ययन करने के लिए रिजायर्ड जज जस्टिस के. चंद्रू की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया था और इस आयोग ने स्कूलों के नामों में जाति उपसर्गों और प्रत्ययों को हटाने सहित कई महत्वपूर्ण सिफारिशें की थीं, जिन्हें सरकार ने स्वीकार कर लिया.राज्यभर में 2,739 सरकारी छात्रावास हैं जिनमें 1,79,568 विद्यार्थी रहते हैं और इनका संचालन पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अलावा आदि द्रविड़ और जनजातीय कल्याण विभाग की ओर से किया जाता है.