फ्रांसीसी खुफिया सेवा की तरफ से राफेल लड़ाकू विमानों के खिलाफ चलाए जा रहे प्रचार अभियान को लेकर गहन जांच की गई। इसमें सामने आया कि चीन और पाकिस्तान की तरफ से न सिर्फ ऑनलाइन कैंपेन चलाया गया, बल्कि चीन ने इस दौरान कूटनीतिक जरियों का भी इस्तेमाल किया।