भारत के पहले फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ का नाम भारतीय सैन्य इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है. वे भारतीय सेना के लिविंग लीजेंड थे. उनके जीवन की कहानी इतनी अद्भुद है कि उस पर फिल्म भी बन चुकी है. वे भारत के पहले ऐसे अधिकारी थे, जिनको फील्ड मार्शल की उपाधि दी गई थी. भारतीय सेना में यह उपाधि अब तक सिर्फ दो लोगों को दी जा चुकी है पहले सैम मानेकशॉ हैं और दूसरे केएम करियप्पा हैं. हाल ही में उनकी बेटी माया दारूवाला एक चैनल पर आई थीं और उन्होंने इंटरव्यू के दौरान बताया था कि जब सैम मानेकशॉ के कोर्ट मार्शल की तैयारी चल रही थी, उस वक्त कैसे हालात हो गए थे.कोर्टमार्शल के बारे में परिवार को नहीं थी जानकारीबातचीत के दौरान उनको पूछा गया था कि जब सैम मानेकशॉ के खिलाफ कोर्ट मार्शल की तैयारियां चल रही थीं, तो इसके बारे में परिवार को नहीं पता था. इस पर उनकी बेटी माया ने बताया था कि हमें दिसंबर के महीने पता चला था, लेकिन वे इससे पहले तेजपुर चले गए थे. उस बीच थोड़े दिन के वे मिले थे, हम साथ में बैठे हुए थे. वो बता रहे थे कि उनके ऊपर क्या बीती थी. कैसे उनको बिना बोले महीनों तक बैठाया गया था. उनको नहीं बताया गया था कि क्या हो रहा था, फिर उनको दिल्ली बुला लिया गया था.दिल्ली मेस में रहेजब सैम मानेकशॉ दिल्ली में रह रहे थे, उस वक्त वे मेस में थे. उस समय उनको चार्जशीट दिखाई गई थी और तब उनके पास मिलने के लिए बहुत लोग भी आए थे. सबने उनको पूछा भी था कि क्या हो रहा है, लेकिन उन्होंने इस बारे में किसी को नहीं बताया था. वे दिल्ली कैंट की मेस में अकेले रह रहे थे, लेकिन किसी से भी नहीं मिले थे. उन्होंने उस दौरान खुद को सबसे अलग कर लिया था, वे सुबह जांच के लिए जाते थे और शाम को फिर वहीं वापस आ जाते थे. चीन के साथ युद्ध में अहम भूमिकाजब जांच खत्म हुई थी, तो वे वापस लौटकर अपने घर आ गए थे. सैम मानेकशॉ को भारत-चीन के 1962 के युद्ध में भी भएजा गया था. उस दौरान उन्होंने रणनीति के साथ लड़ाई की थी और सभी का कॉन्फिडेंस बढ़ाया था. यह भी पढ़ें: Earthquake: भारत के इस राज्य में सबसे ज्यादा आता है भूकंप, दिनभर में 8-10 बार हिल जाती है धरती