बारिश का मौसम अपने साथ सुकून और ठंडक तो लाता है, लेकिन साथ ही कई बीमारियों का खतरा भी बढ़ा देता है। हवा में बढ़ी नमी के कारण बैक्टीरिया और फंगस तेजी से पनपते हैं, जिससे सर्दी-जुकाम, खांसी, पेट दर्द और स्किन इन्फेक्शन जैसी दिक्कतें आम हो जाती हैं। ऐसे में इम्यूनिटी को मजबूत रखना बेहद जरूरी है। आयुर्वेद के अनुसार, हमारे किचन में ही ऐसी कई देशी जड़ी-बूटियां और मसाले मौजूद हैं, जो मानसून में शरीर को बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं। इन्हें आप अपनी चाय, काढ़े, पानी या रोजाना के खाने में शामिल करके सेहतमंद रह सकते हैं। तो चलिए, ‘जरूरत की खबर’ में जानते हैं मानसून में कौन-कौन सी हर्ब्स आपके शरीर को मजबूत बनाने में मदद करती हैं? साथ ही बात करेंगे कि- एक्सपर्ट: शिल्पी गोयल, डाइटीशियन, रायपुर, छत्तीसगढ़ सवाल- मानसून में इम्यूनिटी क्यों कमजोर हो जाती है? जवाब- मानसून के दौरान नमी और तापमान में बदलाव के कारण वातावरण में बैक्टीरिया, वायरस और फंगस की संख्या बढ़ जाती है। इससे पाचन कमजोर होता है और शरीर की इम्यूनिटी कम होने लगती है। यही वजह है कि इस मौसम में सर्दी-जुकाम, बुखार, स्किन प्रॉब्लम्स और पेट के इन्फेक्शन तेजी से फैलते हैं। कमजोर इम्यूनिटी वालों पर इनका असर जल्दी होता है। सवाल- मानसून में कौन सी हर्ब्स आपकी सेहत को मजबूत कर सकती हैं? जवाब- आयुर्वेद में कई जड़ी-बूटियों को इम्यूनिटी बूस्टर माना गया है। ये एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरल, और एंटी-इन्फ्लेमेटरी होती हैं। इन्हें आप काढ़ा, चाय या भोजन में शामिल कर सकते हैं। सवाल- क्या एक साथ कई हर्ब्स का सेवन करना सही है? जवाब- डाइटीशियन शिल्पी गोयल बताती हैं कि एक साथ बहुत सारी हर्ब्स लेने से शरीर पर उल्टा असर हो सकता है। बेहतर है कि शरीर की दिनभर में 2-3 हर्ब्स को शामिल करें। जैसे सुबह तुलसी-अदरक की चाय, दोपहर में हल्दी वाला खाना और रात में गिलोय काढ़ा। हर्ब्स को रोटेशन में लेना ज्यादा फायदेमंद होता है। सवाल- इन हर्ब्स को डेली रूटीन में कैसे शामिल करें? जवाब- ये हर्ब्स आपकी रसोई में मौजूद होती हैं और इनका इस्तेमाल आसान भी है। सुबह एक कप तुलसी-अदरक की चाय लें। दोपहर के खाने में हल्दी और पुदीना शामिल करें। शाम को लेमनग्रास या दालचीनी वाली चाय पी सकते हैं। रात को हल्दी वाला दूध या गिलोय का काढ़ा भी फायदेमंद है। कोशिश करें कि प्रोसेस्ड फूड की जगह ये नेचुरल हर्ब्स आपकी डाइट का हिस्सा बनें। सवाल- इम्यूनिटी बढ़ाने वाली हर्ब्स का असर दिखने में कितना समय लगता है? जवाब- इन हर्ब्स का असर धीरे-धीरे दिखता है। अगर आप इन्हें रोजाना संतुलित मात्रा में लेते हैं, तो 2 से 4 हफ्तों में शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बेहतर महसूस होने लगती है। हालांकि, यह आपकी उम्र, लाइफस्टाइल और डाइट पर भी निर्भर करता है। हर्ब्स कोई जादू नहीं हैं, बल्कि एक नेचुरल सपोर्ट हैं जिन्हें नियमित रूप से लेने पर असर दिखता है। सवाल- काढ़ा कब और कितनी मात्रा में पीना चाहिए? जवाब- काढ़ा दिन में एक बार, सुबह या शाम को हल्का गर्म पीना सबसे अच्छा रहता है। ज्यादा तीखा या बार-बार पीने से गैस, जलन या एसिडिटी हो सकती है। हमेशा सीमित मात्रा में लें। सवाल- क्या बच्चे भी ये देशी हर्ब्स ले सकते हैं? जवाब- हां, लेकिन बहुत कम मात्रा में। बच्चों को गुनगुनी तुलसी-अदरक की हल्की चाय या थोड़ा-सा हल्दी वाला दूध दिया जा सकता है। बेहतर होगा डॉक्टर की सलाह लेकर ही दें। सवाल- किन लोगों को इन हर्ब्स के सेवन में सावधानी बरतनी चाहिए? जवाब- प्रेग्नेंट महिलाएं, छोटे बच्चे, बुजुर्ग और जो लोग पहले से कोई दवा ले रहे हैं, उन्हें इन हर्ब्स को रेगुलर लेने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए। कुछ हर्ब्स का अत्यधिक सेवन एलर्जी, गैस या पेट की तकलीफ दे सकता है। सवाल- क्या सिर्फ हर्ब्स लेने से इम्यूनिटी बढ़ जाती है? जवाब- नहीं, हर्ब्स केवल एक हिस्सा हैं। इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए अच्छी नींद, साफ-सफाई, संतुलित डाइट और रोज थोड़ी शारीरिक एक्टिविटी भी जरूरी है। हर्ब्स तभी असर करेंगी जब बाकी आदतें भी सही हों। सवाल- क्या ये देशी हर्ब्स नियमित दवाओं की जगह ले सकती हैं? जवाब- नहीं, ये हर्ब्स केवल आपकी इम्यूनिटी को बढ़ाने में सहायक हैं, लेकिन ये डॉक्टर द्वारा दी गई दवाओं का विकल्प नहीं बन सकतीं। अगर आप किसी बीमारी के लिए दवा ले रहे हैं तो हर्ब्स को इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है। बिना सलाह दवाएं बंद करना या बदलना सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है। सवाल- क्या इन देशी हर्ब्स के सेवन से कोई साइड इफेक्ट हो सकते हैं? जवाब- हां, अगर इन देशी हर्ब्स का अधिक मात्रा में या बिना सलाह के सेवन किया जाए तो कुछ लोगों को साइड इफेक्ट हो सकते हैं। खासतौर पर प्रेग्नेंट महिलाएं, बुजुर्ग, छोटे बच्चे और पहले से किसी दवा का सेवन कर रहे लोग इनका इस्तेमाल डॉक्टर की सलाह से ही करें। हर शरीर की जरूरत और प्रतिक्रिया अलग होती है, इसलिए मात्रा और समय का ध्यान रखना जरूरी है। …………………ये खबर भी पढ़िए...जरूरत की खबर- बारिश में फूट फंगल इन्फेक्शन का रिस्क:इन 9 लक्षणों को न करें इग्नोर, डॉक्टर से जानें मानसून फूट केयर के 10 टिप्स बारिश का मौसम गर्मी से राहत तो देता है। लेकिन यह अपने साथ वायरल इन्फेक्शन और फ्लू जैसी कई स्वास्थ्य समस्याएं भी लाता है। इस दौरान हवा में बढ़ी हुई नमी का असर सिर्फ शरीर के अंदर ही नहीं, बल्कि स्किन, बालों और पैरों पर भी दिखता है। पूरी खबर पढ़िए...