इजराइल-नेतन्याहू की 30 साल में 3 मुस्लिम देशों से माफी:कतर से पहले जॉर्डन ने किया था मजबूर, तुर्किये को मुआवजा भी दिया

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तारीख- 9 सितंबर जगह- दोहा, कतर हमास से जुड़े बड़े लीडर्स राजधानी के एक रिहाइशी कॉम्प्लेक्स में सीजफायर को लेकर चर्चा करने के लिए इकट्ठा हुए थे। मीटिंग चल ही रही थी कि इजराइली एयरफोर्स ने रेड सी से बैलिस्टिक मिसाइल से इमारत को निशाना बनाकर हमला कर दिया। हमले में हमास के 5 अधिकारी समेत कतर सेना के एक सैनिक की मौत हो गई। कतर, अमेरिका का मित्र देश है। अमेरिका उसे 1992 से सुरक्षा गारंटी दे रहा है। बदले में कतर, अमेरिका को अरबों का निवेश देता है। इसी साल मई में कतर ने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प को 3400 करोड़ का लग्जरी प्लेन गिफ्ट किया था। कतर पर हमला ट्रम्प की असफलता माना गया। हमले के 5 दिन बाद ही दोहा में 50 से ज्यादा मुस्लिम देशों के नेता इकट्ठा हुए और इजराइली हमले की निंदा की। दबाव इतना बढ़ा कि 20 दिन बाद नेतन्याहू ने व्हाइट हाउस से कतर के पीएम को फोन कर माफी मांगी। उन्होंने साफ कहा कि इजराइल दोबारा कभी कतर पर हमला करने की गलती नहीं करेगा। यह पहली बार नहीं है जब इजराइल को अपनी आक्रामक नीतियों की वजह से मुस्लिम देशों से माफी मांगनी पड़ी है। इससे पहले भी नेतन्याहू जॉर्डन और तुर्किये से माफी मांग चुके हैं… 1. इजराइल ने हमास नेता को जहर दिया, फिर एंटीडोट देकर जान बचाई बेंजामिन नेतन्याहू जून 1996 में पहली बार इजराइल के प्रधानमंत्री बने थे। पद संभालने के बाद ही उन्होंने हमास को टारगेट करना शुरू किया। उन्होंने हमास में तेजी से उभर रहे नेता खालिद मेशाल को मारने के लिए खुद मोसाद के 6 एजेंट्स चुने। खालिद मेशाल उन दिनों हमास का प्रवक्ता था और जॉर्डन में रह रहा था। 25 सितंबर 1997 का दिन चुना गया जब उसकी हत्या होनी थी। एजेंट्स को एक सप्ताह पहले फर्जी कनाडाई पासपोर्ट के जरिए जॉर्डन भेजा गया। प्लान था कि एजेंट्स खालिद मेशाल को चुपचाप जहर देंगे, जिसका उसे खुद भी पता नहीं चलेगा। इसका असर देर से शुरू होता और 48 घंटे बाद शख्स की मौत हो जाती। तय समय के मुताबिक 2 एजेंट मेशाल के घर में घुसे, बाकी 4 एजेंट अलग-अलग वेश में निगरानी के लिए बाहर रहे। मौका पाकर एक एजेंट ने मेशाल के कानों के पास स्प्रे के जरिए जहर फेंका। एजेंट्स के भागने के दौरान उन्हें कुछ गार्ड्स ने देख लिया और पीछा कर उन्हें पकड़ लिया गया। तब पता चला कि इसके पीछे इजराइल का हाथ है। इधर जहर अपना काम कर चुका था। कुछ ही घंटे में मेशाल की हालत खराब होने लगी। उसे अस्पताल ले जाया गया। उसकी सांसें धीमी हो रही थीं। डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए। उन्होंने कहा कि जल्द से जल्द जहर का एंटीडोट नहीं मिला तो जान नहीं बच पाएगी। इसके बाद जॉर्डन किंग हुसैन ने इजराइल को धमकी दी कि अगर आधी रात से पहले उस जहर का एंटीडोट नहीं भेजा गया तो वह इजराइल के साथ हुआ शांति समझौता तोड़ देंगे। इतना ही नहीं, जहर देने वाले मोसाद के एजेंट्स को फांसी पर लटका देंगे। मोसाद चीफ एंटीडोट लेकर जॉर्डन पहुंचे पहले तो इजराइल ने इस मामले में अपना हाथ होने से ही इनकार कर दिया, लेकिन जब अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने खुद नेतन्याहू को समझाया तो इजराइल एंटीडोट भेजने के लिए राजी हो गया। खुद मोसाद चीफ डैनी यातोम एंटिडोट लेकर राजधानी अम्मान पहुंचे। समय से पहले मेशाल को एंटीडोट पड़ा जिससे उसकी जान बच पाई। इजराइल ने न केवल एंटीडोट भेजा, बल्कि बदले में इजराइल को कई फिलिस्तीनी कैदी भी छोड़ने पड़े थे। 2 महीने बाद नेतन्याहू जॉर्डन भी गए और वहां पर किंग हुसैन से माफी भी मांगी। ये पहली बार हुआ था कि इजराइल ने अपने किसी दुश्मन को मरने से बचाया। तब खालिद मेशाल का नाम ‘जिंदा शहीद’ पड़ा। 28 साल बाद एक बार फिर से इजराइल ने खालिद मेशाल को मारने की कोशिश की। 9 सितंबर को जब दोहा पर हमला किया था तो कई रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया गया कि इसमें हमास चीफ खलील अल हय्या के अलावा खालिद मेशाल को भी मारने की कोशिश की गई थी। 2. तुर्किये के जहाज पर हमला, नेतन्याहू ने 3 साल बाद माफी मांगी 2006 में हमास ने गाजा में चुनाव जीतकर सत्ता संभाली। अगले साल हमास ने सेना और पुलिस दोनों पर कंट्रोल हासिल कर पूरे गाजा को अपने हाथों में ले लिया। इससे नाराज होकर इजराइल ने गाजा में नाकेबंदी शुरू कर दी। न कोई गाजा से बाहर जा सकता था, न ही कोई बाहर से गाजा आ सकता था। समुद्री रास्ते भी बंद कर दिए गए जिससे वहां पर खाने और दवाओं की कमी हो गई। गाजा में जीवनयापन मुश्किल हो गया। 2010 में कुछ एनजीओ ने गाजा में मदद पहुंचाने के लिए ‘गाजा फ्लोटिला’ प्लान बनाया, जिसमें जहाजों की मदद से गाजा में मदद पहुंचाई जानी थी। इसमें सबसे बड़ा जहाज तुर्किये का MV मावी मार्मरा था। यह जहाज 30 मई को गाजा में मदद पहुंचाने के लिए रवाना हुआ। इस पर 740 लोग सवार थे। पहले तो इजराइल ने जहाज को रास्ता बदलने की चेतावनी दी, लेकिन ऐसा नहीं करने पर गाजा तट से 125 किमी पहले उस पर हमला कर दिया। इसमें तुर्किये के 9 लोगों की मौत हो गई। वहीं, 7 इजराइली सैनिक भी मारे गए। इस घटना के बाद तुर्किये और इजराइल के संबंध खराब हो गए। 3 साल बाद मार्च 2013 में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की मध्यस्थता से नेतन्याहू ने तुर्किये के प्रधानमंत्री रजब तैयब एर्दोआन से फोन पर बात की और इस घटना में हुए नुकसान के लिए माफी मांगी। इजराइल ने मृतकों के परिवारों को 20 मिलियन डॉलर का मुआवजा देने की भी घोषणा की। हालांकि इस माफी की वजह से इजराइल में नेतन्याहू को खूब आलोचना झेलनी पड़ी थी। ---------------------------------------- इजराइल-कतर से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें... नेतन्याहू ने दोहा हमले के लिए कतर से माफी मांगी:ट्रम्प ने व्हाइट हाउस से फोन करवाया; 20 दिन पहले हमास पर हमला किया था इजराइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने दोहा हमले के लिए कतर से माफी मांगी है। उन्होंने सोमवार को कतर के प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल-थानी को फोन किया। रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से यह दावा किया है। पूरी खबर यहां पढ़ें...