अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (आईसीएओ) हर तीन वर्ष में अपनी बैठक आयोजित करता है, जिसमें वैश्विक नियमों और मानकों को स्थापित करने के लिए बहुपक्षीय चर्चा होती है। ये निष्कर्ष दुनिया भर में नागरिक उड्डयन के सुरक्षित और व्यवस्थित विकास को सुनिश्चित करते हैं। दुर्भाग्यवश, चीन के दबाव में ताइवान को इसमें शामिल नहीं किया जाता। वर्तमान में इसका 42वां सत्र कनाडा के मॉन्ट्रियल में चल रहा है। आईसीएओ की दीर्घकालिक रणनीतिक योजना "सुरक्षित आकाश, सतत भविष्य' इसी दृष्टिकोण पर आधारित है, जो सहयोग, स्थिरता और समावेशन पर जोर देती है ताकि एक लचीली और टिकाऊ अंतरराष्ट्रीय विमानन प्रणाली बनाई जा सके। हाल के घटनाक्रम जैसे भारत और चीन के बीच सीधी उड़ानों की घोषणा से पूर्वी एशियाई क्षेत्र में हवाई यातायात बढ़ेगा। इससे ताइपे सहित सभी उड़ान सूचना क्षेत्रों (एफआईआर) में निर्बाध समन्वय और सुरक्षा की आवश्यकता और बढ़ जाती है। ऐसे में हमारा आईसीएओ से आग्रह है कि वह ताइवान को अपनी बैठकों और क्षेत्रीय विमानन सुरक्षा तंत्र में शामिल करे। ताइपे उड़ान सूचना क्षेत्र (एफआईआर) पूर्वी एशिया में हवाई यात्रा के सबसे व्यस्त क्षेत्रों में से एक को कवर करता है। यह आईसीएओ के 300 से अधिक एफआईआर नेटवर्कों का अनिवार्य हिस्सा है। ताइवान का नागरिक उड्डयन प्रशासन (सीएए) इसकी देखरेख करता है। सीएए सूचना सेवाओं की विस्तृत शृंखला प्रदान करता है और इस क्षेत्र से गुजरने वाली सभी उड़ानों की सुरक्षा और सुविधा सुनिश्चित करने हेतु हवाई मार्गों का प्रबंधन करता है। जोखिम और सुरक्षा प्रबंधन- दोनों ही दृष्टिकोणों से-आईसीएओ को ताइवान के सीएए को अन्य एफआईआर एजेंसियों के समान भागीदारी देनी चाहिए। इससे यह सुनिश्चित होगा कि ताइपे एफआईआर अन्य आईसीएओ इकाइयों से सीधे संवाद कर सके और सूचना का समय पर आदान-प्रदान बना रहे। ताइपे एफआईआर पर अधिकार न होने के बावजूद, चीन ने हाल में अस्थायी खतरे वाले क्षेत्र घोषित किए हैं, हवाई क्षेत्र आरक्षित किया है और सैन्य अभ्यास क्षेत्र भी स्थापित किए हैं। यह आईसीएओ मानकों का उल्लंघन है, जिनके अनुसार ऐसे उपायों की सूचना कम से कम 7 दिन पहले देना आवश्यक है। इससे ताइपे और आसपास के एफआईआर में उड़ान सुरक्षा प्रभावित हुई है। आज वैश्विक विमानन को जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा संकट, पावर बैलेंस और अंतरराष्ट्रीय भू-राजनीतिक संघर्षों जैसी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में ताइवान, जो बड़े पैमाने के हवाई यातायात का संचालन करता है, अंतरराष्ट्रीय विमानन समुदाय में सक्रिय भूमिका निभाने का प्रयास कर रहा है। वह ताइपे एफआईआर के महत्व की मान्यता और आईसीएओ में भागीदारी की भी मांग कर रहा है, ताकि उसकी सुरक्षा संरचना और मजबूत हो सके।एविएशन सुरक्षा किसी एक देश की चिंता नहीं, बल्कि वैश्विक जिम्मेदारी है। दशकों से सीएए ने ताइपे एफआईआर में उच्चतम सेवा और सुरक्षा मानकों को बनाए रखा है और आईसीएओ के दिशा-निर्देशों का पालन किया है। ताइवान क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा की साझी जिम्मेदारी निभा रहा है। आईसीएओ में भागीदारी से वह अन्य देशों के साथ मिलकर सुरक्षा सहयोग को और मजबूत कर सकेगा। अब समय आ गया है कि आईसीएओ ताइवान को भी अपने समूह में शामिल करे! (ये लेखक के निजी विचार हैं)