बुक रिव्यू- काम, जो जिंदगी में कभी नहीं करने चाहिए:पढ़ें 'नहीं करने वाली सूची,' बचें गलतियों से, सीखें सुखी जीवन का तरीका

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किताब- नहीं करने वाली सूची (अंग्रेजी किताब ‘द नॉट टू डू लिस्ट' का हिंदी अनुवाद) लेखक- रॉल्फ डोबेली अनुवाद- अंजलि तिवारी प्रकाशक- मंजुल पब्लिशिंग हाउस मूल्य- 350 रुपए कभी सोचा है कि सफलता पाने का सबसे आसान रास्ता क्या हो सकता है। ज्यादातर किताबें सिखाती हैं कि क्या करें, कैसे करें, लेकिन स्विस लेखक रॉल्फ डोबेली ने इसका उल्टा सोचा है। उनकी किताब 'नहीं करने वाली सूची' में वे 52 ऐसी गलतियां बताते हैं, जो जीवन को बर्बाद कर सकती हैं। ये कोई उदास कहानियां नहीं, बल्कि हंसाते हुए सबक देने वाली बातें हैं। डोबेली खुद एक सफल बिजनेसमैन और लेखक हैं, जिन्होंने 'स्पष्ट सोचने की कला' जैसी बेस्ट सेलर किताब लिखकर दुनिया भर में नाम कमाया। उन्होंने असफलताओं की कहानियां इकट्ठा कीं- काम, परिवार, शादी सबकी और उनसे मिली सीख को इस किताब में लिखा। नहीं करने वाली सूची किताब में क्या है ये किताब उल्टी सोच पर बनी है, जो अमेरिकी निवेशक चार्ली मंगर की एक स्पीच से प्रेरित है। मंगर ने कहा था, 'मिसरी जीवन की गारंटी कैसे लें?' डोबेली ने सोचा, क्यों न हम उल्टा चलें- गलतियां न करें, तो सही रास्ता खुद खुल जाएगा। ये किताब हर उस शख्स के लिए है, जो जिंदगी में थोड़ा शांति और खुशी चाहता है। इसमें कोई जटिल थ्योरी नहीं, बस रोजमर्रा की जिंदगी के छोटे-छोटे जाल हैं, जिनमें हम फंस जाते हैं। डोबेली की भाषा इतनी सहज है कि लगता है कोई दोस्त चाय की चुस्की लेते हुए बात कर रहा है। किताब क्या सिखाती है? आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हम टू-डू लिस्ट बनाते रहते हैं। क्या करें, क्या अचीव करें। हालांकि, डोबेली कहते हैं, असली कमाल 'नॉट-टू-डू' लिस्ट में है। इसका मतलब है कि क्या न करें, वो तय कर लो। किताब के 52 चैप्टर्स में वे जीवन के हर पहलू को छूते हैं। सेहत, रिश्ते, काम और सोच के बारे में बात करते हैं। हर चैप्टर में पहले वे 'गलत रास्ता' बताते हैं, जैसे 'अपने आलस को पालो' या छोटी जिम्मेदारियां मत निभाओ। फिर, आखिर में इसे उलट देते हैं- आलस को काबू करो, छोटी बातों पर ध्यान दो। किताब क्यों है इतनी खास? 'नहीं करने वाली सूची' इसलिए खास है क्योंकि ये कोई सख्त बातें नहीं सिखाती, बल्कि हल्के-फुल्के अंदाज में आईना दिखाती है। डोबेली की कहानियां असली लगती हैं, जैसे एक आदमी छत की छोटी दरार को नजरअंदाज करता रहा और आखिर में पूरा घर ढह गया। गोरिल्ला का उदाहरण दिया गया है कि उसके 98 फीसदी जीन हमसे मिलते हैं। इसलिए आलस हमारा पुराना दोस्त है, लेकिन उसे कंट्रोल करना सीखना पड़ेगा। किताब में ह्यूमर है, जो इसे मजेदार बनाता है। वे कहते हैं कि मैंने 2500 साल पुरानी बुद्धिमत्ता से ये 52 पॉइंट्स चुने हैं। प्रैक्टिकल है किताब सबसे अच्छी बात ये है कि किताब में बताई गई सभी बातें एकदम प्रैक्टिकल हैं। हर चैप्टर के अंत में लेखक की बात आपको सोचने पर मजबूर कर देती है। आज के दौर में, जब सोशल मीडिया पर समय बर्बाद हो जाता है या ऑफिस की छोटी बहसें दिन खराब कर देती हैं, ये किताब ऊर्जा बचाने के टिप्स देती है। किताब से मिले 10 सबक, जिंदगी में ऐसे अपनाइए किताब 52 चैप्टर्स की है, लेकिन यहां 10 मुख्य चीजें बेहद सरल ढंग से लिखी हैं। हर एक में डोबेली की सलाह उल्टी है, लेकिन अंत में सही दिशा मिलती है। छोटी जिम्मेदारियां नजरअंदाज न करें कई बार हम सोचते हैं, कि ये तो छोटी बात है, बाद में देख लूंगा। लेकिन ये आदत जीवन को बर्बाद कर देती है। वे एक कहानी लिखते हैं- एक शख्स ने छत की छोटी सी दरार को अनदेखा किया। बारिश आई, दरार बड़ी हुई और आखिर में पूरा घर गिर गया। क्या करें? आलस न पालें, उसे काबू करें डोबेली पहले तो हंसाते हैं, कहते हैं कि 'अपने आंतरिक आलसी को पोषण दो।' गोरिल्ला की तरह बैठो, खरोंच मारो, खाना पचाओ। लेकिन फिर उलट देते हैं। हम हंटर-गेदरर के जमाने से आलसी हैं, लेकिन इसे मसल की तरह ट्रेन करो। क्या करें? झूठे वादे न करें, भरोसा बनाए रखें 'वादे मत निभाओ!'- ये सुनकर लगेगा मजाक है, लेकिन डोबेली बाद में बताते हैं कि झूठे वादे से लोग दूर हो जाते हैं। अफवाहें फैलती हैं, रिश्ते टूटते हैं। क्या करें? हर चीज पर हां न कहें, ना बोलना सीखें पहले वे लिखते हैं कि ऑफिस में बॉस की हर डिमांड मानो, दोस्तों की हर पार्टी जाओ- ऊर्जा खत्म। डोबेली कहते हैं, 'हां कहना आसान लगता है, लेकिन ये आपको थका देता है।' क्या करें? दूसरों को बदलने की कोशिश न करें पत्नी को बदलो, बॉस को समझाओ- ये सब बेकार है। डोबेली कहते हैं, लोगों को वैसा ही स्वीकार करो, जैसे वे हैं। क्या करें? हर ख्याल मुंह से न निकालें, चुप्पी साधें छोटी-छोटी बातों पर बहस करो, तो रिश्ते खराब। डोबेली की सलाह है कि 'हर विचार जाहिर करो।’ लेकिन वे इसे उलटकर कहते हैं, चुप रहना भी एक कला है। क्या करें? मल्टीटास्किंग से दूर रहें एक साथ फोन, ईमेल, काम- कुछ सही नहीं होता। डोबेली कहते हैं, 'एक काम पर पूरा ध्यान दो, तो बेहतर रिजल्ट मिलेगा।' क्या करें? अहंकार को बढ़ावा न दें पहले लिखा है कि 'अपना अहं पालें।'- ये मजाक लगेगा, लेकिन डोबेली फिर बताते हैं कि विनम्रता असली ताकत है। क्या करें? नकारात्मक लोगों और विचारों से बचें डोबेली कहते हैं, 'नेगेटिव सोचो, नेगेटिव लोगों से घिरे रहो।' लेकिन फिर उलटकर सलाह देते हैं कि जिंदगी में जितना हो सके विचार से लेकर लोगों तक सबकुछ पॉजिटिव चुनो। क्या करें? सेहत, रिश्ते और जिम्मेदारियों की अनदेखी न करें अफवाहों में फंसो, सेहत को भूल जाओ- जीवन बर्बाद। डोबेली इसे उलटकर कहते हैं कि ये छोटे प्रयास बड़ी खुशी देते हैं। क्या करें? दोस्त की तरह लगेगी ये किताब 'नहीं करने वाली सूची' पढ़ते हुए लगता है जैसे रॉल्फ डोबेली आपके सामने बैठे हैं, चाय पीते हुए अपनी जिंदगी के किस्से सुना रहे हों। ये कोई लेक्चर नहीं, बल्कि हल्की-फुल्की बातचीत है, जो आपको हंसाती है और सोचने पर मजबूर कर देती है। किसे पढ़नी चाहिए? युवा प्रोफेशनल्स: जो काम के बोझ तले दबे हैं। पेरेंट्स: जो बच्चों को सही दिशा देना चाहते हैं। स्टूडेंट्स: जो गलतियों से बचकर आगे बढ़ना चाहते हैं। क्यों पढ़ें? क्योंकि ये किताब स्कूल-कॉलेज में न सिखाई गई वो बातें सिखाती है, जो असल जिंदगी में काम आती हैं। ये सिर्फ सलाह नहीं, बल्कि हर चैप्टर में छोटे-छोटे टास्क देती है। मिसाल के तौर पर, अगर आप मल्टीटास्किंग की आदत छोड़ना चाहते हैं, तो किताब बताएगी कि कैसे दिन को ब्लॉक में बांटें। ये किताब ऐसी और भी बहुत सी बातें सिखाएगी। ……………… ये खबर भी पढ़िए बुक रिव्यू- बिल गेट्स की कहानी, उनकी जुबानी:एक मिडिल क्लास लड़का कैसे बन गया दुनिया का सबसे सफल और अमीर शख्स ‘सोर्स कोड- मेरी शुरुआत’ हमें बिल गेट्स की जिंदगी के पहले 20 सालों की कहानी सुनाती है- 1955 में उनके जन्म से लेकर 1975 में माइक्रोसॉफ्ट की शुरुआत तक। ये किताब बिल गेट्स के बचपन, किशोरावस्था और उस जुनून के बारे में सबकुछ बताती है। पूरी खबर पढ़िए...