जरूरत की खबर- कैसा था गांधीजी का डाइट प्लान:कच्ची फल-सब्जियां, हफ्ते में 1 दिन व्रत, बापू की लाइफस्टाइल फॉलो करने के 6 फायदे

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2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में जन्मे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी अपने सादगीपूर्ण जीवन और उच्च विचारों के लिए पूरी दुनिया में जाने जाते हैं। बापू अपनी सेहत को लेकर बहुत सचेत रहते थे। वह वेजिटेरियन थे और बहुत ही संतुलित डाइट लेते थे। 1949 में छपी महात्मा गांधी की किताब 'डाइट एंड डाइट रिफॉर्म' में उन्होंने डाइट को सिर्फ खाना नहीं, बल्कि जीवन का हिस्सा माना है। वह अनकुक्ड फूड, फल, ड्राईफ्रूट्स, दूध और हरी सब्जियां खाने पर जोर देते थे। वे कहते थे कि हेल्दी डाइट से शरीर, मन और आत्मा तीनों स्वस्थ रहते हैं। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में जहां फास्ट फूड और प्रोसेस्ड फूड ने लोगों की सेहत बिगाड़ रखी है। ऐसे समय में गांधीजी का डाइट प्लान स्वस्थ रहने का एक बेहतरीन विकल्प है। इससे वजन कंट्रोल, डाइजेस्टिव हेल्थ में सुधार और इम्यूनिटी मजबूत होने के साथ मोटापा, डायबिटीज और हार्ट डिजीज का खतरा भी कम होगा। तो चलिए, आज गांधी जयंती के मौके पर जरूरत की खबर में हम गांधीजी के डाइट प्लान के बारे में बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि- सवाल- गांधीजी का डाइट प्लान क्या था? जवाब- गांधीजी की डाइट मिनिमलिस्टिक थी। वे वेजिटेरियन थे और मांसाहार को हिंसा मानते थे। उनकी दिनचर्या भी बहुत अनुशासित थी। वह सुबह 4 बजे उठ जाते थे। उठने के बाद करीब 5 किलोमीटर तक रोजाना पैदल चलते थे। उनकी डाइट में मुख्य रूप से फल (केला, सेब, संतरा), ड्राईफ्रूट्स (बादाम, अखरोट), दूध या दही, सब्जियां (पालक, गाजर, कद्दू, लौकी) और अनाज (गेहूं, बाजरा, चावल) शामिल थे। वह चीनी की जगह गुड़ या शहद इस्तेमाल करते थे। इसके अलावा वह सप्ताह में एक दिन व्रत रहते थे। इस दिन वह फलाहार या लिक्विड डाइट लेते थे। वह फास्टिंग को वे बॉडी डिटॉक्स का तरीका मानते थे। उनका मानना था कि जितनी भूख लगी हो, उससे थोड़ा कम खाओ। खाना खूब चबाकर खाओ और सूर्यास्त से पहले डिनर करो। नीचे दिए ग्राफिक से उनका डाइट चार्ट देखिए- सवाल- गांधीजी की डाइट फॉलो करने के क्या फायदे हैं? जवाब- गांधीजी की डाइट सादगी पर आधारित थी, जो बॉडी को डिटॉक्स करती है। इससे वजन कम होता है क्योंकि कैलोरी लिमिटेड होती है। फल और सब्जियों से विटामिन A और C मिलते हैं। इससे इम्यूनिटी मजबूत होती है। अनप्रोसेस्ड फूड के सेवन से डाइजेशन बेहतर होता है। फास्टिंग से ऑटोफेजी प्रोसेस शुरू होता है, जो पुरानी सेल्स को साफ करता है। इससे कैंसर, डायबिटीज का रिस्क कम होता है। मेंटल क्लैरिटी बढ़ती है क्योंकि कम खाने से ब्रेन अलर्ट रहता है। नीचे दिए ग्राफिक से फायदे समझिए- सवाल- गांधीजी की डाइट अपनाने से पहले किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है? जवाब- गांधीजी की डाइट सर्कैडियन रिदम यानी प्रकृति की लय पर आधारित थी। इसलिए आपको अगर डायबिटीज या थायरॉइड है तो इसे अपनाने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें। शुरुआत में पहले एक मील में फल बढ़ाएं। फिर धीरे-धीरे डाइट में फल-सब्जी, मोटे अनाज, दूध, दही और ड्राईफ्रूट्स शामिल करें। मीठे में गुड़ या शहद का इस्तेमाल करें, शक्कर से बचें। शुरुआत में 12-16 घंटे का फास्ट रखें, जैसे शाम 7 बजे के बाद कुछ न खाएं। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए- सवाल- गांधीजी का डाइट प्लान अपनाने में किस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है? जवाब- गांधीजी का डाइट प्लान अपनाना आसान नहीं है क्योंकि आज की लाइफस्टाइल में फास्ट फूड की आदत है। ऐसे में शुरुआत में कमजोरी या थकान हो सकती है क्योंकि बॉडी डिटॉक्स होती है। फास्टिंग से चिड़चिड़ापन या सिरदर्द हाे सकता है। गांधीजी भी कहते थे कि "संयम से पहले संघर्ष होता है।" हालांकि ये अस्थायी है। 2-3 हफ्ते में ही बॉडी एडजस्ट हो जाती है। सवाल- क्या ज्यादा फास्टिंग नुकसानदायक हो सकती है? जवाब- गांधीजी के डाइट प्लान में फास्टिंग की महत्वपूर्ण भूमिका है। गांधी जी का मानना था कि, 'उपवास मन आत्मा और शरीर का पुनर्जन्म है।' लेकिन ज्यादा फास्टिंग से कमजोरी या मेटाबॉलिज्म धीमा हो सकता है। इसलिए रेगुलर फास्ट रखने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें। सवाल- गांधीजी की डाइट में शाकाहारी जीवन का क्या महत्व है? जवाब- गांधीजी ने शाकाहारी जीवन को नैतिकता और सेहत से जोड़ा है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की एक स्टडी के मुताबिक, शाकाहारी लोगों का BMI (बॉडी मास इंडेक्स) कम होता है, कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल रहता है। यह न सिर्फ शरीर को फायदा पहुंचाता है, बल्कि मन को शांति भी देता है। सवाल- गांधीजी के अनुसार खाना कैसे तैयार करना चाहिए? जवाब- गांधीजी सिंपल खाना पसंद करते थे। कच्चा या हल्का पकाया। खाना हमेशा उबालें या भाप में पकाएं, डीप-फ्राइंग से बचें। इससे पोषक तत्व बने रहते हैं। ………………… जरूरत की ये खबर भी पढ़िए जरूरत की खबर- खाना छुरी-कांटे से नहीं, हाथ से खाएं: आयुर्वेद में बताए गए हैं इसके 10 फायदे, साथ ही ये 9 सावधानियां भी जरूरी चम्मच से खाने में जल्दबाजी होती है। लेकिन हाथ से खाने में हम भोजन की बनावट, तापमान और कंसिस्टेंसी को महसूस करते हैं, जिससे धीरे खाते हैं और ओवरईटिंग कम होती है। इससे वेट मैनेजमेंट में मदद मिलती है। इसके अलावा यह स्ट्रेस कम करता है। पूरी खबर पढ़िए...