पेरेंटिंग- 8 साल का बेटा स्कूल नहीं जाना चाहता:कभी सिरदर्द तो कभी पेट दर्द, रोज नया बहाना, डांट-मार सब बेअसर, उसे कैसे समझाएं

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सवाल- मैं अहमदाबाद से हूं। मेरा एक 8 साल का बेटा है। पिछले कुछ दिनों से मैं देख रही हूं कि उसका स्कूल जाने में इंटरेस्ट कम हो गया है। वह हर सुबह स्कूल जाने में आनाकानी करने लगा है। कभी पेट दर्द या सिरदर्द का बहाना बनाता है तो कभी कहता है कि स्कूल में मन नहीं लगता। पढ़ाई में भी उसका ध्यान काफी कम हो गया है, जबकि पहले ऐसा नहीं था। मैंने उसे इसके लिए समझाने के साथ-साथ डांटने-मारने का तरीका भी अपनाया, लेकिन कोई खास असर नहीं हुआ। मुझे समझ नहीं आ रहा कि यह सिर्फ सुबह की सुस्ती है या इसके पीछे कोई डर, उदासी अथवा स्कूल से जुड़ा कोई दबाव है। एक पेरेंट के तौर पर मैं उसकी मदद कैसे करूं? कृपया मार्गदर्शन करें। एक्सपर्ट: डॉ. अमिता श्रृंगी, साइकोलॉजिस्ट, फैमिली एंड चाइल्ड काउंसलर, जयपुर जवाब: मैं आपकी परेशानी समझ सकती हूं। एक माता-पिता के लिए इस स्थिति को हैंडल करना मुश्किल होता है। लेकिन आपका यह समझना कि इसके पीछे कोई डर या दबाव तो नहीं है, यह बताता है कि आप अपने बच्चे की भावनाओं को गंभीरता से लेते हैं। दरअसल बच्चे का अचानक इस तरह का व्यवहार सिर्फ आलस या जिद नहीं है। इसके पीछे कई वजहें छिपी हो सकती हैं। इसे समझने के लिए पहले आपको खुद से और बच्चे से कुछ सवाल पूछने चाहिए। इन सवालों से यह जानने में मदद मिलेगी कि समस्या कहां है और उसका हल किस तरह निकाला जा सकता है। कोई भी एक्शन लेने से पहले इन सवालों के जवाब पर गौर करना जरूरी है, क्योंकि कई बार वजह सिर्फ सुबह की सुस्ती नहीं होती, बल्कि अंदर ही अंदर कोई डर, उदासी या दबाव काम कर रहा होता है। बच्चे होमवर्क प्रेशर, दोस्तों से लड़ाई या किसी टीचर से डरने जैसी बातों को घर में खुलकर नहीं बताते हैं। ये बातें भले ही आपको छोटी लगें, लेकिन कई बार बच्चे इससे डरकर भी स्कूल जाने से मना करते हैं। ऐसे में आप जितनी जल्दी इन कारणों को पहचान लेंगे, उतनी जल्दी समाधान ढूंढ पाएंगे। बच्चे की नजर से देखने पर समझ आएगा कि उसके लिए स्कूल सिर्फ पढ़ाई की जगह नहीं, बल्कि एक पूरा संसार है, जहां दोस्ती, खेल, टीचर का व्यवहार और माहौल सब मायने रखते हैं। इसके लिए पेरेंट्स को कुछ बातों का विशेष ख्याल रखना चाहिए। गुस्सा करने की बजाय उसकी बात सुनें जब बच्चा रोज-रोज स्कूल जाने से मना करता है तो पेरेंट्स अक्सर गुस्से में आकर उसे मारते-पीटते हैं। लेकिन यह तरीका बिल्कुल भी ठीक नहीं है। बच्चे से उसके दोस्त की तरह ट्रीट करें ताकि वह बिना डर के आपसे अपनी बातें शेयर करे। बच्चे की बातों को ध्यान से सुनें अगर वह कह रहा है कि पेट दर्द है या दोस्त ठीक से बात नहीं करते तो उसकी बातों को नजरअंदाज न करें। उसे महसूस कराएं कि आप उसकी परेशानी को समझ रहे हैं। उसकी भावनाओं को समझें बच्चे सिर्फ बहाने नहीं बनाते, कई बार उनकी बातों के पीछे असली भावनाएं छिपी होती हैं। कभी पढ़ाई का प्रेशर, कभी दोस्ती का टूटना तो कभी किसी टीचर का डर। आपको समझना होगा कि असली वजह क्या है। यह जानना ही समाधान की पहली सीढ़ी है। सुबह की रूटीन को मजेदार बनाएं कई बार स्कूल न जाने की वजह बस सुबह की भागदौड़ और थकान होती है। अगर बच्चा देर रात सोता है या सुबह की शुरुआत तनाव में होती है तो उसका मन और बिगड़ जाता है। बेहतर होगा कि रात को ही बैग और यूनिफॉर्म तैयार कर लें और सुबह को खेल-खेल में आसान बनाएं। टीचर और दोस्तों से जानकारी लें आपका बच्चा क्लास में कैसा है, यह सबसे अच्छा टीचर बता सकता है। उनसे पूछें कि पढ़ाई, ब्रेक टाइम या दोस्तों के बीच उसका व्यवहार कैसा रहता है। अगर बच्चा अकेला पड़ रहा है तो छोटे-छोटे प्ले-डेट्स या ग्रुप एक्टिविटीज से उसकी दोस्ती बढ़ाई जा सकती है। पढ़ाई और होमवर्क को आसान बनाएं अगर बच्चे को होमवर्क का बोझ भारी लग रहा है तो उसे छोटे हिस्सों में बांटें। पढ़ाई को खेल या क्विज की तरह मजेदार बनाएं। जब बच्चा कोई छोटा-सा टास्क पूरा करे तो उसकी मेहनत की तारीफ करें। इससे वह पढ़ाई को बोझ नहीं बल्कि सीखने का मौका समझेगा। हेल्थ कंडीशन पर नजर रखें कभी-कभी सच में बच्चे की सेहत ठीक नहीं होती है। अगर अक्सर ऐसी शिकायत हो तो डॉक्टर से चेकअप जरूर कराएं। यह भी देखें कि नींद, खानपान और बैग का वजन सही है या नहीं। कई बार हेल्थ से जुड़ी छोटी-छोटी बातें बड़ी समस्या बना देती हैं। घर का माहौल पॉजिटिव रखें बच्चे घर के माहौल को बहुत जल्दी अब्जॉर्ब करते हैं। अगर घर में रोज झगड़ा या तनाव का माहौल है तो इसका असर उन पर भी पड़ता है। कोशिश करें कि बच्चे के सामने पॉजिटिव बातें हों, हंसी-मजाक और प्यार भरा माहौल रहे। इससे उसका आत्मविश्वास और सुरक्षा का भाव बढ़ेगा। बुली या डर को हल्के में न लें अगर बच्चा कहता है कि स्कूल में कोई उसे परेशान करता है या टीचर का सख्त व्यवहार उसे डराता है तो इसे नजरअंदाज न करें। स्कूल से तुरंत संपर्क करें और समस्या का हल खोजें। बच्चे को सिखाएं कि वह अपनी असुविधा साफ-साफ बताए और जरूरत पड़ने पर मदद मांगे। छोटे-छोटे कामों पर तारीफ करें जब बच्चा बिना नखरे के तैयार हो जाए या मुस्कुराते हुए बस तक पहुंचे तो उसकी तारीफ जरूर करें। बच्चे को लगेगा कि उसकी मेहनत को नोटिस किया जा रहा है। छोटी-सी शाबाशी भी उसके लिए बहुत बड़ा इनाम होती है। जरूरत पड़ने पर एक्सपर्ट से मदद लें अगर लंबे समय तक स्थिति सुधरती नहीं दिख रही, बच्चा रोज शिकायतें करता है तो किसी चाइल्ड काउंसलर से मिलें। एक्सपर्ट बच्चे की भावनाओं को बेहतर तरीके से समझते हैं और सही समाधान बताते हैं। अंत में यही कहूंगी कि याद रखें बच्चे का ऐसा व्यवहार एक संकेत है कि उसे आपकी मदद और सपोर्ट की जरूरत है। इस समय धैर्य रखें और प्यार से इस समस्या को सुलझाने की कोशिश करें। ...................... पेरेंटिंग की ये खबर भी पढ़िए पेरेंटिंग- क्लास में बोलने से डरता है बेटा: सवाल का जवाब पता हो तो भी नहीं बताता, बात करने में घबराता है, ये डर कैसे दूर करें जो बच्चे पढ़ाई में अच्छे होते हैं, वे अक्सर परफॉर्मेंस प्रेशर और परफेक्ट होने की चाह से घिरे रहते हैं। यही वजह है कि वे गलती करने से डरते हैं क्योंकि वे दूसरों की अपेक्षाओं पर खरा उतरने का दबाव महसूस करते हैं। इसका असर उनके बोलने, अपनी राय रखने और सामने आने पर पड़ता है। पूरी खबर पढ़िए...