बेटे हरिलाल के इस्लाम कबूल करने पर क्या बोले थे महात्मा गांधी और कस्तूरबा

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महात्मा गांधी अपने बेटे हरिलाल के साथ अपने संबंधों को एक दुखद नाकामी के तौर पर देखते थे और उन्हें इसका बहुत अफ़सोस था.