मेंटल हेल्थ– पहले इंजीनियरिंग, यूएस जॉब, सुंदर गर्लफ्रेंड:अब व्हीलचेयर पर बैठा हूं, एक एक्सीडेंट ने मेरी पूरी जिंदगी ही बदल दी

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सवाल– मैं पेशे से इंजीनियर था। 34 साल की उम्र में काम के दौरान मेरा एक भयानक एक्सीडेंट हुआ। चोट रीढ़ की हड्‌डी में लगी थी। उसके बाद डेढ़ साल तक मैं बेड रिडेन रहा। घाव तो भर गया, लेकिन मैं हमेशा के लिए अपंग हो गया। अब मैं व्हीलचेयर पर ही रहता हूं। अपने आप चल-फिर, उठ-बैठ नहीं सकता, कहीं आ-जा नहीं सकता। मैं अपने पेरेंट्स के साथ रहता हूं। एक छोटी बहन है, जिसकी शादी हो चुकी है। मैं घर का बड़ा बेटा हूं, इस उम्र में मुझे अपने बूढ़े मां-बाप का सहारा बनना था, उल्टे अब वो मेरा सहारा बनकर मेरी देखभाल कर रहे हैं। मैंने जिस जिंदगी का सपना देखा था, वो ऐसी तो नहीं थी। एक समय मैं यूएस में जॉब के लिए अप्लाय कर रहा था, मैं अपनी गर्लफ्रेंड को डेट कर रहा था, मैं एक ड्रीम लाइफ जी रहा था और अगले ही क्षण मैं इस व्हीलचेयर पर आ गया। जिंदगी बिल्कुल 180 डिग्री के एंगल पर घूम गई। अब ये लाचार शरीर धीरे-धीरे मेरे मन को भी लाचार बना रहा है। मैं डिप्रेशन में जा रहा हूं। मैं अपनी मदद करना चाहता हूं, लेकिन पता नहीं कि कैसे करूं। प्लीज, हेल्प मी। एक्सपर्ट– डॉ. द्रोण शर्मा, कंसल्टेंट साइकेट्रिस्ट, आयरलैंड, यूके। यूके, आयरिश और जिब्राल्टर मेडिकल काउंसिल के मेंबर। सवाल पूछने के लिए शुक्रिया। सबसे पहले मैं आपकी गहरी पीड़ा को समझना चाहता हूं। आपने अपने जीवन की दिशा अचानक और पूरी तरह बदलते हुए देखी है। एक तरफ इंजीनियरिंग का शानदार करियर, विदेश में नौकरी की संभावना, एक सुंदर रिश्ते और सपनों से भरा हुआ जीवन था। फिर अगले ही पल सबकुछ बदल गया। अब व्हीलचेयर पर रहना, माता-पिता पर निर्भर होना और ‘बड़े बेटे’ की भूमिका को पूरी तरह निभा न पाने की कसक, ये सारी चीजें आपको उदासी और डिप्रेशन की ओर खींच रही हैं। यह बहुत स्वाभाविक भी है। जीवन बदला है, खत्म नहीं हुआ आप अकेले नहीं हैं। जिन भी लोगों के जीवन में अचानक कोई बड़ा शारीरिक बदलाव आता है, वे लगभग हमेशा ही गहरी उदासी, अपराधबोध, और भविष्य के प्रति डर महसूस करते हैं। NICE (नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ एंड केयर एक्सेलेंस, यूके) और RCPsych (रॉयल कॉलेज ऑफ साइकेट्रिस्ट्स, यूके) की गाइडलाइंस भी यह मानती हैं कि यह एक सामान्य मानवीय प्रतिक्रिया है। लेकिन यहां जो सबसे अहम बात समझने वाली है, वो ये कि आपकी जिंदगी अभी सिर्फ बदली है। वो खत्म नहीं हुई है। और जब तक जिंदगी है, उसे बेहतर करने, बुनने और सुंदर बनाने की ताकत हमारे हाथ में है। जो नहीं है, उसके बारे में फिक्र छोड़कर हम उसे सेलिब्रेट कर सकते हैं, जो है और जिसे हम और बेहतर बना सकते हैं। समझने वाली जरूरी बातें आपने अपने सवाल में जो भी बातें लिखी हैं, हम उसे एक–एक करके डिकोड करने और समझने की कोशिश करेंगे। 1. शोक इस वक्त आप गहरे शोक में डूबे हैं। आपने जो बदलाव झेला, वो सिर्फ शारीरिक क्षमताओं का नहीं है। जीवन की जो रूपरेखा बनाई थी, जो सपने देखे थे, सब बदल गए। ऐसे में यह दुख और शोक बिल्कुल वैलिड है। ऐसे में रोना, गुस्सा आना, निराश होना, सब स्वाभाविक है। 2. भूमिका का बदलना एक्सीडेंट के बाद से जीवन में आपकी भूमिकाओं में भी बदलाव आ गया। भारतीय संदर्भ में ‘बड़ा बेटा’ होना माता-पिता के सहारे का प्रतीक माना जाता है। जब आप कहते हैं: “मुझे अपने मां-बाप का सहारा बनना था, लेकिन उल्टे वो मेरा सहारा बन गए हैं।” यह आपके भीतर के अपराधबोध की आवाज है। आपको लगता है कि आप बेटा होने का अपना फर्ज निभा नहीं पा रहे हैं। लेकिन याद रखिए, सहारा सिर्फ पैसे कमाने या शारीरिक काम से ही नहीं होता। भावनात्मक और मानसिक सहारा भी उतना ही कीमती और जरूरी है। 3. अपने डिप्रेशन की पहचान आपने लिखा है कि अब शरीर के साथ आपका “मन भी लाचार हो रहा है।” जाहिर है कि यह अवसाद के शुरुआती संकेत हैं। लेकिन यहां सबसे अच्छी बात ये है कि आप मदद मांग रहे हैं। आपको इस बात का बोध है और यह बहुत सकारात्मक कदम है। जीवन में हर बदलाव की शुरुआत पॉजिटिव तरीके से बदलाव की जरूरत को स्वीकार करने से ही होती है। एक्सीडेंट का असर आपकी मेंटल हेल्थ पर ट्रॉमा स्क्रीनिंग टेस्ट यहां मैं आपको एक ट्रॉमा स्क्रीनिंग टेस्ट दे रहा हूं। इस टेस्ट में कुल 9 सवाल हैं, जिनके जवाब आपको हां या ना में देने हैं। चार से ज्यादा सवालों का जवाब हां मैं है तो आपको एक्सीडेंट के ट्रॉमा से अभी भी गुजर रहे हैं। लेकिन निराश होने की जरूरत नहीं है। आपको सेल्फ हेल्प से मदद मिल सकती है। अगर सभी सवालों का जवाब हां में है तो मैं सुझाव दूंगा कि आप सेल्फ हेल्प के साथ–साथ प्रोफेशनल हेल्प लेने पर भी विचार करें। माता-पिता के साथ आपका रिश्ता जब हम उदासी में होते हैं तो कई बार सच को ठीक–ठीक रोशनी में देख नहीं पाते। ऐसे में दूसरे लोग हमें वस्तुस्थिति को समझने में मदद कर सकते हैं। यहां मैं आपको एक बार बहुत साफ तौर पर समझाना चाहता हूं कि आपके माता–पिता अभी आपके लिए जो कर रहे हैं, वो बोझ नहीं, उनका प्यार है। वो आपका बोझ नहीं ढो रहे हैं, वो अपना प्यार निभा रहे हैं। उनके लिये यह त्याग नहीं है, बल्कि उनका अपनापन है। बेहतर होता कि यह स्थिति नहीं आती। लेकिन स्थितियों का आना हमारे वश में नहीं है। ये जो है कि हम उस स्थिति को कैसे देखते हैं। आप अभी भी अपने माता–पिता के लिए ये चीजें कर सकते हैं– आगे का रास्ता कैसे बनाएं मैं दो टूक शब्दों में आपको ये कहना चाहता हूं कि आपका शरीर भले निर्भर हो, लेकिन आपका दिल और दिमाग पूरी तरह स्वस्थ और सक्षम है। आप हर वो काम कर सकते हैं, जो दिमाग से किया जाता है और हर वो चीज महसूस कर सकते हैं, जो दिल से महसूस की जाती है। हम जीवन में जितने भी काम करते हैं, शरीर के जरिए किए जाने वाले काम उसका एक बहुत छोटा सा हिस्सा हैं। इसलिए बैठिए और एक लिस्ट बनाइए उन कामों की, जो आप अपने दिमाग से कर सकते हैं। मैं यहां आपको कुछ समझाव दे रहा हूं– घर को व्हीलचेयर के अनुकूल बनाना: सबसे पहले अपने घर को व्हीलचेयर के अनुकूल बनाने की कोशिश करें। इससे आपके रोजमर्रा के काम आसान होंगे, दूसरों पर आपकी निर्भरता कम होगी और आपको भी सेल्फ सफिशिएंट होने का एहसास होगा। करियर के नए विकल्प: आपको गंभीरता इस बारे में रिसर्च करनी चाहिए और एक्सपर्ट की भी हेल्प लेनी चाहिए कि व्हीलचेयर यूज करने वाले लोगों के लिए कौन–कौन से ऑनलाइन और ऑफलाइन करियर ऑप्शन हैं। अगर बतौर इंजीनियर आपके काम का कोई हिस्सा ऐसा था, जो आप कुर्सी–मेज पर बैठकर कंप्यूटर पर करते थे तो क्या उस काम को रेज्यूम किया जा सकता है। निराशा से निकलिए और इस बारे में सोचिए। मैं आपको यकीन दिलाता हूं कि आप 1 विकल्प खोजने निकलेंगे और आपको 10 नए रास्ते दिखाई देंगे। आज की शुरुआत कीजिए। घर में नई भूमिकाएं: घर के कामों और जिम्मेदारियों में अपने तरीके से हिस्सेदारी करिए। सारे ऑनलाइन काम करिए, आर्थिक फैसलों में योगदान करिए, घर के बच्चों या रिश्तेदारों को गाइड करिए। यकीन मानिए, आप उस कुर्सी पर बैठे–बैठे भी फैमिली काउंसलर की भूमिका निभा सकते हैं। रिलेशनशिप: आप ऐसा मत सोचिए कि आपके लिए रिलेशनशिप की सारी संभावनाएं खत्म हो गई हैं। आत्मविश्वास और ईमानदारी से बने रिश्ते लंबे समय तक चलते हैं। इसलिए डेटिंग साइट्स पर अपनी प्रोफाइल बनाइए और अपने बारे में सबकुछ ईमानदारी से बताइए। इतनी बड़ी दुनिया में कोई होगा, जो आपको वैसे ही स्वीकार करेगा, जैसेकि आप हैं। सपोर्ट ग्रुप्स: इन स्थितियों में एक सबसे महत्वपूर्ण बात होती है, यह समझना कि हम अकेले नहीं हैं। दुनिया में हमारे जैसे और भी बहुत लोग हैं। अपनी फीलिंग्स शेयर करने के लिए आप कोई सपोर्ट ग्रुप भी जॉइन कर सकते हैं। यहां मैं आपको कुछ इंडियन सपोर्ट ग्रुप्स के नाम सुझा रहा हूं– 4 सप्ताह का “रीबिल्डिंग लाइफ” प्लान यह योजना आपको छोटे-छोटे कदमों से आत्मनिर्भरता, आत्म-सम्मान और नये अवसरों की दिशा में ले जाएगी। पहला सप्ताह स्वीकार और आधार दूसरा सप्ताह नई जिम्मेदारियां तीसरा हफ्ता नये अवसर चौथा सप्ताह आगे की राह लास्ट मैसेज आपने कहा कि आपकी जिंदगी 180 डिग्री घूम गई है। यह बात सही है, लेकिन सच तो ये है कि यह आधा घेरा पूरा नहीं है। बाकी का आधा घेरा अब आप अपने तरीके से बना सकते हैं। आपका शरीर बदल गया है, लेकिन आपकी बुद्धि, अनुभव, और आत्मा अब भी उतने ही मजबूत हैं। आपके माता-पिता आपको बोझ नहीं, बल्कि आशीर्वाद मानते हैं। और सबसे महत्वपूर्ण बात, आपने मदद मांगकर पहला कदम उठा लिया है। यही साहस है। धीरे-धीरे, इन छोटे कदमों से आप अपने जीवन को एक नए रूप में गढ़ पाएंगे, जो भले ही अलग हो, लेकिन अब भी मूल्यवान, अर्थपूर्ण और प्यार से भरा हुआ होगा। ……………… ये खबर भी पढ़िए रिलेशनशिप एडवाइज- पति बेरोजगार हैं: ससुराल से मदद लेने में उनका इगो टकराता है, पति को कैसे समझाऊं, मदद लेना कमजोरी नहीं, साहस है शादी के 3 साल बाद, आपके पति की नौकरी छूटने से आर्थिक तनाव बढ़ गया है। आप अपनी इनकम और कुछ बचत पर निर्भर हैं और आपके अलग-अलग खर्च करने के तरीकों के कारण बहस हो रही है। पूरी खबर पढ़िए...