न सैलरी मिलती है न कोई काम फिर भी दफ्तर जाते हैं लोग, जानिए चीन में क्यों बढ़ रहा 'नकली ऑफिस' का ट्रेंड?

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पढ़ने-लिखने के बाद आमतौर पर जब लोग नौकरी की तलाश में निकलते हैं तो हर किसी की ख्वाहिश होती है कि उसे अच्छी सैलरी वाला पैकेज मिले. लेकिन सोचिए कि जब आपको बिना सैलरी के काम करना पड़े और उससे भी बुरा तो तब हो जब काम के लिए अपने ही बॉस को पैसे देने पड़ें. आप सोच रहे होंगे कि यह हम क्या कह रहे हैं? लेकिन जहां बेरोजगारी चरम सीमा पर पहुंच गई हो, वहां पर ऐसा संभव है. यह दिखावा चीन में हो रहा है. चीन में युवा और बेरोजगार लोगों के बीच में कंपनियों को पैसे देकर उनके लिए काम करने का दिखावा लोकप्रिय हो रहा है. इतना ही नहीं, ऐसी सेवाएं देने वाली कंपनियों की संख्या भी इसीलिए बढ़ रही है.  नकली ऑफिस में काम करने का नाटकचीन में असली नौकरियां मिलना बहुत मुश्किल हो गया है. ऐसे में लोग सोचते हैं कि घर में बैठे रहने से बेहतर है कि वे पैसे देकर ही ऑफिस जाएं. यह चलन बढ़ा है चीन की सुस्त अर्थव्यवस्था और जॉब मार्केट की वजह से. चीन के कुछ नौजवान और नौकरी की तलाश वाले लोग पैसे देकर नकली ऑफिस में काम करने का नाटक करते हैं. सिर्फ इतना ही नहीं उनके दफ्तरों में कंप्यूटर, इंटरनेट, मीटिंग रूम्स और चाय-कॉफी की भी सहूलियत होती है, ताकि उनको असली दफ्तर जैसा फील आए. बेरोजगारी ने बढ़ाया फर्जी ऑफिस का चलनइस दिखावे की नौकरी का मकसद सिर्फ वक्त बिताना नहीं है, बल्कि खुद को एक रूटीन में रखना और इस तरह से दिखाना है जैसे कि वे किसी कंपनी के दफ्तर में काम कर रहे हैं. ये लोग रोजाना 30-50 युआन यानि कि 300-500 रुपये देते हैं, तब जाकर किसी ऑफिस में बैठते हैं. कुछ नौकरी की तलाश करते हैं, तो कुछ अपने प्रोजेक्ट्स पर काम करते हैं. दरअसल चीन में इतनी बेरोजगारी है कि फर्जी ऑफिसों में पैसे देकर काम करने का चलन बढ़ रहा है.कितने रुपये देकर ऑफिस में करते हैं कामयह बिजनेस चीन के कई बड़े शहर जैसे शंघाई, शेन्जेन, वुहान, नानजिंग, चेंग्दू और कुनमिंग जैसे बड़े शहरों में फैल चुका है. यहां पर कुछ लोग नौकरी खोजने के लिए आते हैं, तो वहीं कुछ लोग अपने स्टार्टअप आइडिया पर काम करने के लिए होते हैं. आमतौर पर यहां का दैनिक किराया 30-50 युआन होता है, जिसमें नाश्ता, खाना और कोई ड्रिंक शामिल हो सकती है. इसकी मजेदार बात यह है कि ऐसी कंपनियों में आने वाले 40 फीसदी लोग हाल ही में ग्रेजुएट हुए हैं और टीचर्स को इंटर्नशिप साबित करने के लिए अपनी तस्वीरें खिंचाते हैं. बाकी ते 60 फीसदी लोगों में ज्यादातर फ्रीलांसर और डिजिटल खानाबदोश भी हैं.यह भी पढ़ें: रूस से कितने रुपये में एक गैलन क्रूड ऑयल खरीदता है भारत, अमेरिका से आने वाला ऑयल कितना महंगा?