नीरो को एक ऐसे क्रूर शासक के रूप में जाना जाता था, जिसने अपनी मां, सौतेले भाई और पत्नियों की हत्या करवा दी थी. कहा जाता है कि उसने अपने दरबार में मौजूद किन्नरों से शादी कर ली थी. नीरो एक ऐसा शासक था कि जो कि अपने महल के अंदर जो चाहे वो करता था, लेकिन रोम पर पूरा ध्यान देता था. उसी ने युद्ध के दौरान थके हुए लोगों के लिए मनोरंजन की बात सोची थी. यह उस वक्त में एक अलग तरह की सोच थी. नीरो को ही सर्कस की शुरुआत का श्रेय दिया जाता है. उसका गीत-संगीत पर बहुत ध्यान होता था. उसे खुद संगीत बहुत पसंद था. कहा जाता है कि 64वीं ई. में जब रोम में भयंकर आग लगी तो जलते हुए शहर को देखकर वह बांसुरी बजा रहा था. चलिए जानें कि यह कहावत कितनी सच्ची है.क्रूर शासक नीरो54वीं ई. में सिर्फ 16 साल की उम्र में नीरो सिर्फ अपनी मां की कोशिशों की वजह से एक ऐसे साम्राज्य का बादशाह बना था, जो कि स्पेन से लेकर उत्तर में ब्रिटेन और पूर्व में सीरिया तक फैली हुई थी. उसकी मां ने महल में साजिशों और जोड़-तोड़ करके नीरो को सत्ता दिलाई थी. जब नीरो ने सत्ता संभाली उस वक्त उसकी मां उसकी सबसे करीबी सलाहकार हुआ करती थीं. लेकिन सत्ता और स्वतंत्रता की अंधी चाह में उसने अपनी मां की हत्या करवा दी थी. उसने अपनी पत्नी और सौतेले भाइयों को भी नहीं छोड़ा था.नीरो ने लगवाई थी आग? 64वीं शताब्दी में रोम जलकर खाक हो गया था. ऐसा कहा गया था कि यह आग खुद नीरो ने लगवाई थी. तभी बाद में ऐसा कहा जाने लगा था कि जब रोम जल रहा था, तब नीरो बांसुरी बजा रहा था. वहीं बीबीसी से बातचीत में इतिहासकार सुषमा मलिक की मानें तो दूसरी और तीसरी शताब्दी में कम से कम दो इतिहासकार तो इस बात की स्वयं पुष्टि करते हैं कि वाकई रोम में नीरो ने खुद आग लगवाई थी. क्योंकि वह अपने मशहूर गोल्डन हाउस का निर्माण कराना चाह रहा था. क्या सच में नीरो बांसुरी बजा रहा था? बीबीसी से ही बातचीत में इतिहासकार मैथ्यू का कहना है कि बांसुरी का अविष्कार सातवीं शताब्दी में हुआ था. नीरो के वक्त तो बांसुरी थी भी नहीं. हां यह जरूर कहा जाता है कि नीरो के वक्त पर एक वाद्य यंत्र हुआ करता था, जिसे लाइरे कहा जाता था, वह खुद इसे बजाता था. इसी आग के बाद रोम पूरी तरह से खत्म हो गया था, जिसे बाद में नीरो ने खुद फिर से बनाया था. यह भी पढ़ें: बुलेट से लेकर बुलडोजर तक, जानें दुनिया के दूसरे देशों को क्या-क्या बेचता है भारत?